भारत के तिरंगे की कहानी
तिरंगा हमारा राष्ट्रीय ध्वज है. इसके हर धागे में बलिदान, एकता और अटल भावना की कहानी है.
एनडीटीवी इस इंटरैक्टिव के जरिए आपके लिए लेकर आया है तिरंगे की यात्रा की कहानी. यह कहानी आपको भारत के राष्ट्रीय ध्वज 'तिरंगा' के विकास के हर चरण के बारे में बताएगी.
गर्व की उड़ान
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विद्रोह से गणतंत्र तक
भारत के राष्ट्रीय ध्वज की यात्रा
1906
कलकत्ता ध्वज
सचिंद्र प्रसाद बोस
डिजाइनर
हेमचंद्र कानूनगो
- साल 1906 में स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन के दौरान भारत के पहले अनाधिकारिक ध्वज को कोलकाता में फहराया गया था.
- इसमें हरा, पीला और लाल रंग की तीन क्षैतिज पट्टियां थीं. ये पट्टियां एकता और आजादी की भावना का प्रतीक थी.
- इसे 7 अगस्त, 1906 को कलकत्ता के पारसी बागान स्क्वायर (ग्रीन पार्क) पर फहराया गया था.
- इस झंडे की हरे रंग की पट्टी पर आठ सफेद कमल बने हुए थे. पीली पट्टी पर देवनागरी लिपि में 'वंदे मातरम' लिखा था और लाल पट्टी पर आधा चांद और सूर्य का निशान बना हुआ था.
1907
बर्लिन कमेटी फ्लैग
डिजाइनर
भीकाजी कामा
- इस झंडे को भारतीय छात्रों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की बर्लिन कमेटी ने स्वीकार किया था. यह झंडा केसरिया, पीले और हरे रंग से बना हुआ था.इस पर चांद और सूरज बने हुए थे.ये हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतीक थे.
- भीकाजी कामा ने इस झंडे को पहली बार जर्मनी के स्टटगर्ट में आयोजित इंटरनेशनल सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस में 22 अगस्त 1907 को फहराया था.
- इसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम का पहला ध्वज माना जाता है.
1917
दी होम रूल मूवमेंट का झंडा
एनी बेसेंट
डिजाइनर
बाल गंगाधर तिलक
- इसे होम रूल मूवमेंट ने पेश किया था. इसमें ब्रिटेन का राष्ट्रीय झंडा यूनियन जैक और सात तारे बने हुए थे.यह स्वशासन की मांग का प्रतीक था.
- इस झंडे पर तारों को सप्तर्षि तारामंडल की तरह सजाया गया था.
- इस झंडे के ऊपरी हिस्से पर एक अर्धचंद्र और तारा बना हुआ था.
1921
बेजवाड़ा झंडा
डिजाइनर
पिंगली वेंकैया
- इस झंडे में लाल,हरे और सफेद रंग की तीन क्षैतिज पट्टियां थीं. ये पट्टियां शांति और एकता का प्रतीक थीं.
- इस झंडे को बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में महात्मा गांधी को सौंपा गया था.
- महात्मा गांधी ने झंडे में आत्मनिर्भरता के प्रतीक के रूप में चरखा जोड़ने का सुझाव दिया था.
1931
स्वराज का झंडा
डिजाइनर
पिंगली वेंकैया
- इस झंडे के बीच में चरखा बना हुआ था. यह आत्मनिर्भरता और स्वदेशी आंदोलन का प्रतीक है.भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इसे अपने आधिकारिक झंडे के रूप में स्वीकार किया था.
- इसे 31 अगस्त 1931 को स्वीकार किया गया था.
- चरखा, महात्मा गांधी के भारत की आर्थिक आजादी के विचार का प्रतीक था.
1947
भारतीय तिरंगा
डिजाइनर
पिंगली वेंकैया
- यह केसरिया, सफेद और हरे रंग की तीन क्षैतिज पट्टियों से बना था.इसके बीच में अशोक चक्र बना हुआ था.इसे संविधान सभा ने 22 जुलाई 1947 को आजाद भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया था.
- किसी धर्म से जुड़े होने के आरोपों से बचने के लिए चरखे को हटाकर अशोक चक्र लगा दिया गया.यह चक्र धर्म के विधि चक्र का प्रतीक है.
- देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 15 अगस्त 1947 को पहली बार तिरंगा फहराया था.
तिरंगे की भावना
केसरिया
साहस और बलिदान का प्रतीक.सफेद
शांति और सत्य का प्रतीक.हरा
विश्वास और शिष्टता को प्रदर्शित करता है.अशोक चक्र
नीले रंग से बने चक्र में 24 तीलियां बनी हुई हैं.ये तीलियां धर्म और धार्मिकता के चक्र का प्रतीक हैं.
- आजादी से पहले 22 जुलाई 1947 को ही राष्ट्रीय ध्वज को अपना लिया गया था.
- राष्ट्रीय ध्वज की डिजाइन स्वराज के झंडे से प्रेरित थी, जिसका इस्तेमाल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस करती थी.
- पहले राष्ट्रीय ध्वज को बनाने में हाथ से काटे गए सूत और हाथ से बने खादी के कपड़ों का ही इस्तेमाल होता था.
- आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर सरकार ने भारत ध्वज संहिता 2002 में संशोधन कर पॉलिएस्टर और मशीन से बने झंडे को भी इजाजत दे दी है.
- राष्ट्रीय ध्वज आयताकार होना चाहिए. इसकी लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए.
- राष्ट्रीय ध्वज में मौजूद अशोक चक्र को सम्राट अशोक की ओर से बनवाए गए अशोक स्तंभ से लिया गया है.ये स्तंभ ईसा पूर्व 250 में बनवाए गए थे.
राष्ट्रीय ध्वज पर सवाल-जवाब
राष्ट्रीय ध्वज संहिता
- राष्ट्रीय ध्वज को पूरे सम्मान और गरिमा के साथ प्रदर्शित करें.
- राष्ट्रीय ध्वज को तेजी से फहराएं और धीरे-धीरे नीचे उतारें.
- सुनिश्चित करें कि राष्ट्रीय ध्वज हमेशा दूसरे सभी झंडों से ऊपर फहराए.
- राष्ट्रीय और राजकीय छुट्टियों पर ही राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग किया जाए.
- व्यावसायिक हितों के लिए राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग न करें.
- राष्ट्रीय ध्वज को जमीन पर या पानी में न गिरने दें.
- निर्धारित वाहनों को छोड़ दूसरी गाड़ियों पर राष्ट्रीय ध्वज न बांधें.
- राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग अपनी ड्रेस या वर्दी के रूप में न करें.
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