Delhi Coronavirus: देश में रोजाना कोरोना वायरस के दो लाख से ज़्यादा मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में Remdesivir इंजेक्शन की तो भारी कमी है ही साथ ही साथ कोरोना के इलाज के लिए ज़रूरी दूसरी दवाइयां भी नहीं मिल रही हैं. लोग Fabiflu और Ivermectin जैसी दवाओं के लिए दर-दर भटक रहे हैं.
70 साल के चमन गुप्ता दिल्ली के एम्स के पास एक के बाद एक कई मेडिकल स्टोर पर जाकर Fabiflu दवाई ढूंढ रहे हैं पर उनके हाथ निराशा ही लग रही है. चमन गुप्ता के दामाद को कोरोना हुआ है और वे दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हैं जहां डॉक्टरों ने उनसे Fabiflu नाम की दवाई लाने को कहा है. उन्होंने दिन भर में लगभग 100 से ज़्यादा मेडिकल स्टोर ढूढे पर उन्हें Fabiflu नहीं मिली. चमन गुप्ता ने कहा कि ''मेरे दामाद 30 साल के हैं. साहिबाबाद, नोएडा, हर जगह ढूंढ चुका हूं पर यह दवा नहीं मिल रही. डॉ हर्षवर्धन कहते हैं कि दवा की कमी नहीं है, पर हमें नहीं मिल रही.''
दरअसल देश में रेमडेसिविर तो पहले ही नहीं मिल रहा था और अब Anti viral fabiflu भी मेडिकल दुकानों से गायब हो चुका है. हमने भी दिल्ली के कई मेडिकल स्टोर जाकर पता किया. एक मेडिकल स्टेर पर गौतम ने कहा कि ''पिछले 15 दिनों से fabiflu नहीं आ रहा, रोज़ 100 से ज़्यादा लोग पूछकर वापस जाते हैं.''
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी कह रहे हैं कि रेमडेसिविर के अलावा भी कई दवाईयों की कमी हो रही है. केजरीवाल ने कहा कि ''Tocilizumab की किल्लत हो रही है, उसकी सप्लाई उपलब्ध कराई जाए. केंद्र सरकार ने पहले भी मदद की थी, इस बार भी करेंगे.''
सच्चाई यही है कि दिल्ली और यूपी जैसे राज्यों में रेमडेसिविर के अलावा fabiflu जैसे दवाईयों के लिए भी लोग दर दर भटक रहे हैं. मरीज़ों के परिवार वाले परेशान हैं.
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Reported by: भाषा, Written by: मोहित चतुर्वेदीसन 2020 की गर्मियों में जब पूरी दुनिया कोरोनो वायरस महामारी के कारण ठहर गई थी. तब भारतीय मूल की डॉक्टर कुलविंदर कौर गिल ने सरकार की ओर से लगाए गए लॉकडाउन और टीकाकरण के आदेश के खिलाफ बात की थी. लेकिन उनके इस रुख के चलते उन्हें चिकित्सा संस्थानों की ओर से मुकदमों और एक्स (ट्विटर) के पिछले प्रबंधन द्वारा सेंसरशिप का सामना करना पड़ा.
पहले, एक दिन में COVID-19 के 750 मामले रिपोर्ट हो रहे थे, जो अब 200 के नीचे पहुंच गए हैं. वहीं एक्टिव मामले जो 4500 के करीब जा पहुंचे थे, अब 2800 के आसपास ही हैं.
WHO ने कहा कि सबसे ज्यादा चिंता कोरोना (Coronavirus JN.1) के नए JN.1 वेरिएंट ने बढ़ा दी है. दुनियाभर में इसी वेरिएंट की मौजूदगी सबसे ज़्यादा पाई गई. वहीं संक्रमण की वजह से अस्पताल में भर्ती होनो वालों की तादाद भी 42 % बढ़ गई.
अधिकारियों ने कहा कि देश में संक्रमण के मामले बढ़ने और जेएन.1 उपस्वरूप के मामलों की पुष्टि होने के बावजूद तत्काल चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि अधिकतर संक्रमित मरीजों ने घर पर रहकर उपचार का विकल्प चुना है और उनमें संक्रमण के हल्के लक्षण हैं.
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी संतोष सुखदेव ने एक आधिकारिक आदेश में कहा, "जिले में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर कोविड-19 के प्रसार पर अंकुश पाने के लिए एहतियाती कदमों का सख्ती से पालन करने का आदेश दिया जाता है."
अब तक दस राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना वायरस के जेएन.1 सब-वैरिएंट के मामले सामने आये हैं.