"भारत शांति और संवाद का पक्षधर है, लेकिन जब बात राष्ट्रीय संप्रभुता और जनता की सुरक्षा की आती है, तो हम किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करते." नई दिल्ली में आयोजित "चाणक्य डिफेंस डायलॉग" के समापन सत्र को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने यह बात बोली. उन्होंने कहा, "भारत की आर्थिक प्रगति, तकनीकी क्षमताओं और सिद्धांत-आधारित विदेश नीति ने इसे एक प्रभावशाली आवाज़ बना दिया है. आज हालत यह है कि इंडो-पैसिफिक और ग्लोबल साउथ के देश भारत को एक भरोसेमंद साझेदार मानते हैं."
सेना और CLAWS द्वारा आयोजित इस तीसरे डिफेंस डायलॉग का शीर्षक ‘रिफॉर्म टू ट्रांसफॉर्म—सशक्त, सुरक्षित और विकसित भारत' है. उन्होंने कहा कि, "आज भारत ऐसे क्षेत्र में मौजूद है जहां चुनौतियाँ कई रूपों में उभरती रहती हैं- आतंकवाद, चरमपंथी तत्वों को सीमापार से समर्थन, यथास्थिति बदलने के प्रयास, समुद्री दबाव और यहाँ तक कि सूचना युद्ध तक. इन जटिल परिस्थितियों से निपटने के लिए लगातार सतर्क रहना और उद्देश्य स्पष्ट रखना बेहद जरूरी है. हमारे सशस्त्र बल वह गतिशील शक्ति हैं, जिनकी बदौलत भारत अपने पड़ोस की चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटते हुए क्षेत्रीय स्थिरता को मजबूत करता है."
राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि, "हम विकसित भारत का निर्माण सुरक्षित भारत के बिना नहीं कर सकते. सुरक्षित भारत की आधारशिला सशक्त भारत ही है. हमारी सरकार सेनाओं को भविष्य की चुनौतियों के लिये पूरी तरह तैयार रखने के लिये कदम उठा रही है. सुरक्षा और कनेक्टिविटी दोनों को मजबूत करने के लिये सीमा और समुद्री ढांचे को सुदृढ़ कर रहे हैं. हम नई तकनीकों, आधुनिक प्लेटफार्मों और बेहतर संरचनाओं के माध्यम से सेनाओं का व्यापक आधुनिकीकरण कर रहे हैं. साथ ही खरीद प्रक्रियाओं में गति, पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिये सुधार के प्रयास लगातार जारी हैं."
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