स्वदेस फाउंडेशन की वजह से हजारों गांववालों के घर बसे. बच्चों को शिक्षा का लाभ मिला. आदिवासी परिवारों के घरों में भी उम्मीदों की रोशनियां जलीं. पीने को और स्वस्थ जीवन जीने को पानी मिला. खेत-खलिहान लहलहाने लगे. महिलाओं ने जिम्मेदारियों की मजबूत डोरें थामीं. शहरों से लौटकर युवा अपने घरों को आए. इस साल कोरोना महामारी और आंधी-तूफान के बीच भी स्वदेस फाउंडेशन की टीम नहीं रुकी.
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