कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया. लंबे वक्त से नाराज चले रहे सिंधिया का पार्टी छोड़ना बस यूं ही नहीं है, सिंधिया ने पार्टी छोड़ने का फैसला एकदम से नहीं लिया है. 2018 में जब कांग्रेस मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव जीती तो मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में सिंधिया का भी नाम था लेकिन वे इस रेस से पिछड़ गए. सिंधिया को उप मुख्यमंत्री पद तक भी नहीं मिल सका था. इसके बाद राज्य में कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी सिंधिया को नवाजा नहीं गया. 2019 लोकसभा चुनाव भी सिंधिया हार गए. पिछले महीन उन्होंने कमलनाथ सरकार को सड़क पर उतरने की चेतावनी दे डाली थी. इसके बाद राज्यसभा सीट के लिए आश्वासन न मिलने पर सिंधिया का सब्र का बांध टूट गया.
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