क्या अंकों को काबीलियत का पैमाना बना दिया गया है ?

सीबीएसई 10वीं और 12वीं के नतीजे आ चुके हैं और परीक्षा में अव्वल आने वालों की जमकर वाहवाही हो रही है. कामयाब छात्रों की कहानियों की मीडिया में हर जगह चर्चा है. हालांकि इम्तिहान के नतीजों का एक दूसरा पक्ष भी है. कई छात्र ऐसे हैं जो नतीजों से मायूस हैं. क्या हम कभी सोचते हैं कि ऐसे छात्रों का हौसला कैसे बढ़ेगा? क्या अंको को ही काबीलियत का पैमाना मान लेना ठीक है ?