मायूसी, संकट और तबाही के इस समय में, जैसा कि COVID-19 की दूसरी लहर में स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा चरमरा गया है और लोग अपनों के लिए अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की व्यवस्था करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, सेवा या निस्वार्थ सेवा की सिख परंपरा ने आशा की एक किरण प्रदान की है. ऑक्सीजन लंगर, एंबुलेंस, मरीजों के लिए बिस्तर से लेकर हर गुरुद्वारा आराम और उम्मीद देने के लिए अथक प्रयास कर रहा है. इसी पहल के तहत भारत को 'सांसों की लड़ाई' में मदद करने की पहल में योगदान दें.
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