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जहरीली होती जा रही हवा सेहत को पहुंचाती है गंभीर समस्या ! इन उपायों से दें प्रदूषण को मात

Air Pollution: एयर पॉल्यूशन का सेहत पर बुरा असर.

Air Pollution: कभी धरती हरी-भरी थी, लेकिन आज कराह रही है. नदियों में गंदगी और हवा में जहर घुल चुका है. आज प्रदूषण हमारे जीवन का ऐसा साया बन चुका है, जो हमें अंदर ही अंदर खोखला कर रहा है. देश की राजधानी दिल्ली का प्रदूषण से हाल बेहाल है. गुरुवार को धूल भरी आंधी के बाद दिल्ली में वायु गुणवत्ता (एक्यूआई) बिगड़ गई. केंद्रीय प्रदूषण एवं नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, दिल्ली में शुक्रवार सुबह 7 बजे तक औसतन वायु गुणवत्ता सूचकांक 305 अंक पर बना हुआ है. यह अंक वायु गुणवत्ता की बहुत खराब स्थिति को दर्शाता है. इसलिए अब वक्त सिर्फ अफसोस करने का नहीं, बल्कि कड़े कदम उठाने का है. 

2023 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने प्रदूषण को लेकर एक अध्ययन किया. इसमें दो शहरों, चेन्नई और दिल्ली, को शामिल किया गया. करीब 9 हजार लोगों को लगातार मॉनिटर करने के बाद रिपोर्ट प्रकाशित की गई. इसमें बताया गया कि हमारे देश में पीएम 2.5 प्रदूषण और टाइप-2 डायबिटीज के बीच गहरा संबंध है. शोध की अगुवाई कर रहे डॉक्टर सिद्धार्थ मंडल ने बताया कि अभी तक वायु प्रदूषण को अस्थमा और दिल के रोगों से ही जोड़ा जाता था. लेकिन हमने अपनी रिसर्च में पाया कि पीएम 2.5 वाली हवा आपको टाइप 2 डायबिटीज का भी शिकार बना सकती है.

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प्रदूषण का प्रभाव हमारे जीवन पर बहुत बुरा पड़ता है. वायु प्रदूषण यानी हवा का जहरीला हो जाना. धूल, धुआं, हानिकारक गैसें और रासायनिक तत्व मिलकर हवा की शुद्धता को खत्म कर रहे हैं. यह सिर्फ इंसानों के लिए खतरनाक नहीं है, बल्कि जानवरों के लिए भी बहुत नुकसानदायक है. इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. वहीं, सांस की बीमारियां, जैसे अस्थमा और फेफड़ों का कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. छोटे बच्चों और बुजुर्गों पर इसका असर और ज्यादा देखने को मिलता है. इससे दिल की बीमारी और आंखों में जलन भी हो सकती है.

प्रदूषण से ग्लोबल वार्मिंग और ओजोन परत को नुकसान होता है, जिससे मौसम में असंतुलन पैदा हो जाता है, जो प्राकृतिक आपदाओं का कारण बनता है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि प्रदूषण से बचने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं. इस कड़ी में पेड़ लगाना बेहद जरूरी है. दुनिया का सबसे सस्ता एयर प्यूरीफायर एक गमला, मिट्टी और स्नेक प्लांट या रबर प्लांट होते हैं. ‘जर्नल फ्रंटियर्स इन मॉलिक्यूलर मेडिसिन' में छपी एक रिसर्च के अनुसार पौधे कार्बन डाइऑक्साइड से ऑक्सीजन तो बनाते ही हैं, ये हवा के दूसरे टॉक्सिन्स को भी जज्ब यानी अब्जॉर्ब कर लेते हैं.

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वाहनों का कम प्रयोग करें, संभव हो तो पैदल चलें, साइकिल चलाएं या फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें. धूम्रपान से बचें, क्योंकि सिगरेट का धुआं हवा को गंदा करता है. कारखानों में फिल्टर का प्रयोग करें ताकि धुआं सीधा वातावरण में न जाए. इन सब प्रयासों से हम हवा को फिर से स्वच्छ कर सकते हैं और आने वाली पीढ़ी को एक सुरक्षित भविष्य दे सकते हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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