देश की राजधानी दिल्ली में जैसे-जैसे पारा लुढ़कता जा रहा है वैसे-वैसे प्रदूषण जी का जंजाल बनता जा रहा है. आलम ये है कि लोग साफ हवा में सांस लेने को तरस रहे हैं. सर्दी की धुंध के बीच दिल्ली की हवा के जहरीले होने का सिलसिला थमता दिख नहीं रहा है. शुक्रवार सुबह 6 बजे जारी आंकड़ों के मुताबिक राजधानी का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 387 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब' (Very Poor) श्रेणी में आता है. पिछले तीन दिनों से हवा की गुणवत्ता लगातार गिर रही है. 16 दिसंबर को AQI 354 था, वहीं 17 दिसंबर को 334 और 18 दिसंबर को 373.
दिल्ली में पिछले दो महीनों में वैध प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाण पत्र के बिना वाहन चलाने वाले लोगों को 1.56 लाख से अधिक चालान जारी किए गए हैं. बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी में वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण संबंधी उपायों को तेज किया गया है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में वैध पीयूसी प्रमाणपत्र के बिना वाहनों के खिलाफ कार्रवाई तीन गुना से अधिक बढ़ गई है. वर्ष 2023 में 2.32 लाख से बढ़कर 2024 में 5.98 लाख और 2025 में 15 दिसंबर तक यह संख्या बढ़कर 8.22 लाख हो गई.
कुल मिलाकर, इस वर्ष 14 अक्टूबर से 15 दिसंबर के बीच जीआरएपी अवधि के दौरान 1,56,993 चालान जारी किए गए, जिनमें से प्रत्येक पर 10,000 रुपये का जुर्माना था. पंद्रह दिसंबर 2025 तक इस श्रेणी के अंतर्गत जारी किए गए 8.22 लाख चालानों में से एक महत्वपूर्ण हिस्सा इसी श्रेणी का था. प्रवर्तन एजेंसियों ने निर्माण एवं ध्वस्तीकरण (सी एंड डी) अपशिष्ट उल्लंघनों के खिलाफ भी कार्रवाई की. जीआरएपी अवधि के दौरान, मलबे और संबंधित सामग्री को उचित आवरण के बिना परिवहन करने के लिए 545 चालान काटे गए. यह एक ऐसा अपराध है जिसके लिए 20,000 रुपये का जुर्माना है.
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स्वास्थ्य विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने चेतावनी दी कि प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से स्ट्रोक, हृदय और श्वसन संबंधी बीमारियों, अल्जाइमर जैसे तंत्रिका संबंधी विकारों और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में तेजी से वृद्धि हो रही है, जबकि स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर भी दबाव बढ़ रहा है. यहां आयोजित 'इलनेस टू वेलनेस' (आईटीडब्ल्यू) सम्मेलन में चिकित्सा विशेषज्ञों ने जहरीली हवा से उत्पन्न गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों को सामने लाने वाले आंकड़े प्रस्तुत किए.
उन्होंने बताया कि गर्मियों के महीनों में वायु गुणवत्ता सूचकांक अक्सर 200-250 के बीच रहता है, और इस बात पर जोर दिया कि वायु प्रदूषण साल भर चलने वाला सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन गया है जो देश के विकास के लिए खतरा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शून्य से 50 के बीच ‘अच्छा', 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक', 101 से 200 के बीच ‘मध्यम', 201 से 300 के बीच ‘खराब', 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर' श्रेणी में माना जाता है.
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Written by: संज्ञा सिंह© Copyright NDTV Convergence Limited 2025. All rights reserved.