दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम दिशा-निर्देश दिए हैं. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस विपुल एम पंचोली की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए स्कूलों को बंद करने, खाली बैठे निर्माण श्रमिक, एनएचएआई और एमसीडी को यातायात सुगम बनाने और किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए प्रोत्साहन राशि देने सहित कई अहम मुद्दों पर टिप्पणी की.
दिल्ली में GRAP के तहत स्कूलों को बंद करने के फैसले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्कूल खोलना या बंद करना नीति और विशेषज्ञों का विषय है, न कि अदालत का. CJI सूर्यकांत ने कहा कि अगर हाइब्रिड व्यवस्था की अनुमति दी जाती है, तो जहां दोनों माता-पिता कामकाजी हैं, वे अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे. इस फैसले को विशेषज्ञों पर छोड़ना होगा, कोर्ट सुपर-स्पेशलिस्ट नहीं बन सकता. स्कूल जाना या न जाना, यह अपने आप में एक समस्या बन जाएगा.
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण संकट: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अब हम इस समस्या के व्यावहारिक और कारगर समाधान के बारे में सोचें.
कोर्ट ने कहा कि हमारे सामने दो बिल्कुल विपरीत तरह की याचिकाएं हैं. एक ओर समृद्ध वर्ग के लोग स्कूलों और स्कूलों में खेल गतिविधियों को पूरी तरह बंद करने की मांग कर रहे हैं, जबकि दूसरी ओर कुछ लोग स्कूल खोलने की मांग कर रहे हैं. यह पूरी तरह नीति का विषय है, अदालत इसमें क्यों हस्तक्षेप करे?
सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि प्रदूषण जैसी स्थितियों में बच्चों की सेहत और प्रशासनिक आकलन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और ऐसे मामलों में अंतिम फैसला सरकार और विशेषज्ञों पर छोड़ा जाना चाहिए. SC ने क्लास 5 तक स्कूल फिर से खोलने या हाइब्रिड क्लास शुरू करने का आदेश देने से इनकार किया. वकीलों ने दलील दी कि गरीब माता-पिता परेशान हैं. वे बच्चों को मिड-डे मील के लिए भी भेजते हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि ये पॉलिसी से जुड़े फैसले हैं. न तो हम और न ही वकील सुपर-स्पेशलिस्ट हैं:
सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को लेकर अपने पहले आदेश में संशोधन कर दिया है. कोर्ट ने अपने नए आदेश में कहा है कि दिल्ली-NCR में केवल BS4 और नए वाहनों को छूट मिलेगी. संशोधित आदेश में भी बीएस-3 वाहनों को छूट से बाहर रखा गया है. जबकि इससे पुराने वाहनों को सुरक्षा नहीं मिलेगी.
अदालत ने यह भी कहा कि NCT दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा को मिलकर पूरे NCR के लिए एक साझा निकाय (one body) के गठन पर समन्वित प्रयास करने चाहिए, ताकि प्रदूषण से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके.
वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण एक वार्षिक समस्या बन चुका है और केवल तात्कालिक उपाय पर्याप्त नहीं हैं. मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से दीर्घकालिक योजना दाखिल करने को कहा.
CJI ने कहा कि CAQM को अपने लॉन्ग टर्म मेजर्स पर दोबारा विचार करना चाहिए, जिनमें शामिल हैं
दिल्ली और आसपास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब बनी हुई है. इसके चलते वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. आयोग के आदेश के अनुसार, पहले चरण चार में आने वाले कुछ उपायों को अब चरण तीन में ही लागू कर दिया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य प्रदूषण को बढ़ने से रोकना है. इन बदलावों में सबसे महत्वपूर्ण है कि अब चरण तीन लागू होने पर ही सार्वजनिक नगरपालिका और निजी कार्यालयों में आधे कर्मचारियों के साथ काम करने की व्यवस्था हो सकती है. पहले यह उपाय चरण चार में था. लेकिन अब इसे पहले लाकर प्रदूषण पर जल्दी काबू पाने की कोशिश की जा रही है.
वजह साफ है कि वाहनों से निकलने वाला धुआं हवा को बहुत प्रदूषित करता है. खासकर जब प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा हो. वाहनों की ज्यादा आवाजाही से हानिकारक कण हवा में फैलते हैं, जिससे लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए वाहनों की संख्या कम करने के लिए कार्यालयों की जगह वर्क फ्रॉम होम को बढ़ावा दिया जा रहा है.
बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बीते कुछ दिनों से चल रही तेज सर्द हवाओं के कारण वायु प्रदूषण में हल्की गिरावट जरूर दर्ज की गई है, लेकिन हालात अब भी चिंताजनक बने हुए हैं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और यूपीपीसीबी (यूपीपीसीबी) के विभिन्न एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों से मिले आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद के अधिकांश इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 300 के पार दर्ज किया गया है, जो ‘बेहद खराब' श्रेणी में आता है.
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