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स्कूल, वर्क फ्रॉम होम, अमीर-गरीब और कारों को छूट, दिल्ली में सुप्रीम फैसले की हर बात जानिए

दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिए कई अहम निर्देश

Highlights

  1. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रण में लाने के लिए दीर्घकालिक उपायों पर जोर दिया है
  2. कोर्ट ने स्कूलों को बंद करने के फैसले को विशेषज्ञों के निर्णय के दायरे में रखते हुए दखल देने से इनकार किया है
  3. CAQM को शहरी आवागमन, पराली जलाने पर रोक और ग्रीन कवर बढ़ाने सहित व्यापक योजना बनाने को कहा गया है
नई दिल्ली: 

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम दिशा-निर्देश दिए हैं. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस विपुल एम पंचोली की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए स्कूलों को बंद करने, खाली बैठे निर्माण श्रमिक, एनएचएआई और एमसीडी को यातायात सुगम बनाने और किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए प्रोत्साहन राशि देने सहित कई अहम मुद्दों पर टिप्पणी की.

दिल्ली में GRAP के तहत स्कूलों को बंद करने के फैसले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्कूल खोलना या बंद करना नीति और विशेषज्ञों का विषय है, न कि अदालत का. CJI सूर्यकांत ने कहा कि अगर हाइब्रिड व्यवस्था की अनुमति दी जाती है, तो जहां दोनों माता-पिता कामकाजी हैं, वे अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे. इस फैसले को विशेषज्ञों पर छोड़ना होगा, कोर्ट सुपर-स्पेशलिस्ट नहीं बन सकता. ⁠स्कूल जाना या न जाना, यह अपने आप में एक समस्या बन जाएगा.

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण संकट: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अब हम इस समस्या के व्यावहारिक और कारगर समाधान के बारे में सोचें.
 

  1. वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट: उच्चतम न्यायालय ने कहा, वायु प्रदूषण में खतरनाक वृद्धि हर साल सामने आने वाली समस्या है, उन्होंने सीएक्यूएम से इस खतरे से निपटने के लिए अपने दीर्घकालिक उपायों पर पुनर्विचार करने को कहा. कोर्ट ने सीएक्यूएम और एनसीआर के शहरों के प्रशासन से शहरी परिवहन और किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए प्रोत्साहन राशि देने जैसे मुद्दों पर विचार करने को कहा.
  2. स्कूल बंद करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट: उच्चतम न्यायालय ने नर्सरी से कक्षा पांच तक के छात्रों के लिए स्कूल बंद करने के दिल्ली सरकार के निर्देश में दखल देने से इनकार किया. कोर्ट ने कहा, सर्दियों की छुट्टियां शुरू होने वाली हैं, ऐसे में दिल्ली में नर्सरी से कक्षा पांच तक के छात्रों के लिए स्कूल बंद करने के निर्देश में किसी बदलाव की जरूरत नहीं है.
  3. दिल्ली में यातायात पर सुप्रीम कोर्ट : उच्चतम न्यायालय ने एनएचएआई और एमसीडी को दिल्ली की सीमाओं पर यातायात सुगम बनाने के लिए नौ टोल प्लाजा को स्थानांतरित करने या अस्थायी रूप से बंद करने पर विचार करने को कहा. कोर्ट ने एमसीडी को अपने नौ टोल प्लाजा को अस्थायी तौर पर बंद करने के संबंध में एक हफ्ते के भीतर फैसला लेने को कहा.
  4. श्रमिकों पर सुप्रीम कोर्ट: उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार को प्रतिबंधों के कारण खाली बैठे निर्माण श्रमिकों का सत्यापन करने और उनके खातों में धनराशि अंतरित करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह प्रतिबंधों के कारण खाली बैठे निर्माण श्रमिकों को वैकल्पिक काम उपलब्ध कराने पर विचार करे. ऐसा नहीं होना चाहिए कि निर्माण श्रमिकों के खातों में अंतरित की गई धनराशि “गायब हो जाए, किसी अन्य खाते में पहुंच जाए.”

स्कूल खुले या बंद रहे ये पूरी तरह नीति का विषय- सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि हमारे सामने दो बिल्कुल विपरीत तरह की याचिकाएं हैं. ⁠एक ओर समृद्ध वर्ग के लोग स्कूलों और स्कूलों में खेल गतिविधियों को पूरी तरह बंद करने की मांग कर रहे हैं, ⁠जबकि दूसरी ओर कुछ लोग स्कूल खोलने की मांग कर रहे हैं. यह पूरी तरह नीति का विषय है, अदालत इसमें क्यों हस्तक्षेप करे?

सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि प्रदूषण जैसी स्थितियों में बच्चों की सेहत और प्रशासनिक आकलन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और ऐसे मामलों में अंतिम फैसला सरकार और विशेषज्ञों पर छोड़ा जाना चाहिए. SC ने क्लास 5 तक स्कूल फिर से खोलने या हाइब्रिड क्लास शुरू करने का आदेश देने से इनकार किया. वकीलों ने दलील दी कि गरीब माता-पिता परेशान हैं. वे बच्चों को मिड-डे मील के लिए भी भेजते हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि ये पॉलिसी से जुड़े फैसले हैं. न तो हम और न ही वकील सुपर-स्पेशलिस्ट हैं:

केवल BS4 और नए वाहनों को छूट- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को लेकर अपने पहले आदेश में संशोधन कर दिया है. कोर्ट ने अपने नए आदेश में कहा है कि दिल्ली-NCR में केवल BS4 और नए वाहनों को छूट मिलेगी. संशोधित आदेश में भी बीएस-3 वाहनों को छूट से बाहर रखा गया है. जबकि इससे पुराने वाहनों को सुरक्षा नहीं मिलेगी.

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने CAQM (वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) के अनुरोध के आधार पर ही अपने आदेश में संशोधन किया है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की याचिका पर कार्रवाई करते हुए आदेश दिया था कि 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट ने CAQM से निम्नलिखित मुद्दों को विशेष रूप से संबोधित करने को कहा:

  1. शहरी आवागमन (Urban Mobility) से जुड़ी समस्याएं
  2. प्रदूषणकारी उद्योग और ऊर्जा क्षेत्र
  3. पराली जलाना—किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहन के तरीके, और पराली के वैकल्पिक उपयोग
  4. निर्माण गतिविधियों का नियमन और इनके निलंबन के दौरान वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था
  5. घरेलू गतिविधियों से होने वाला प्रदूषण और उसे नियंत्रित करने के उपाय
  6. हरित क्षेत्र (ग्रीन कवर) बढ़ाना
  7. नागरिक जागरूकता कार्यक्रम और प्रदूषण में प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष योगदान देने वाली गतिविधियों को स्वेच्छा से छोड़ने को प्रोत्साहन
  8. सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को मजबूत करना और नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाना
  9. CAQM द्वारा आवश्यक समझे जाने वाले अन्य क्षेत्र

अदालत ने यह भी कहा कि NCT दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा को मिलकर पूरे NCR के लिए एक साझा निकाय (one body) के गठन पर समन्वित प्रयास करने चाहिए, ताकि प्रदूषण से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके.

प्रदूषण हर साल की समस्या, CAQM दीर्घकालिक योजना दाखिल करे: CJI

वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण एक वार्षिक समस्या बन चुका है और केवल तात्कालिक उपाय पर्याप्त नहीं हैं. ⁠मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से दीर्घकालिक योजना दाखिल करने को कहा.

CJI ने कहा कि CAQM को अपने लॉन्ग टर्म मेजर्स पर दोबारा विचार करना चाहिए, जिनमें शामिल हैं

  • शहरी परिवहन (अर्बन मोबिलिटी) को सीमित/सुधारने के उपाय
  • औद्योगिक गतिविधियों से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण
  • पराली जलाने की समस्या से निपटना
  • किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहन (इंसेंटिव) देने की ठोस व्यवस्था

कार्यालयों में आधे कर्मचारी ही आएंगे, अन्य को वर्क फ्रॉम होम का निर्देश

दिल्ली और आसपास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब बनी हुई है. इसके चलते वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. आयोग के आदेश के अनुसार, पहले चरण चार में आने वाले कुछ उपायों को अब चरण तीन में ही लागू कर दिया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य प्रदूषण को बढ़ने से रोकना है. इन बदलावों में सबसे महत्वपूर्ण है कि अब चरण तीन लागू होने पर ही सार्वजनिक नगरपालिका और निजी कार्यालयों में आधे कर्मचारियों के साथ काम करने की व्यवस्था हो सकती है. पहले यह उपाय चरण चार में था. लेकिन अब इसे पहले लाकर प्रदूषण पर जल्दी काबू पाने की कोशिश की जा रही है.

वजह साफ है कि वाहनों से निकलने वाला धुआं हवा को बहुत प्रदूषित करता है. खासकर जब प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा हो. वाहनों की ज्यादा आवाजाही से हानिकारक कण हवा में फैलते हैं, जिससे लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए वाहनों की संख्या कम करने के लिए कार्यालयों की जगह वर्क फ्रॉम होम को बढ़ावा दिया जा रहा है.

इसी क्रम में दिल्ली सरकार ने आदेश जारी किया है. इस आदेश के तहत दिल्ली में सभी निजी कार्यालयों में कार्यस्थल पर आधे से ज्यादा कर्मचारी मौजूद नहीं रह सकते हैं. बाकी कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से घर से काम करना होगा. इससे न केवल वाहनों की संख्या कम होगी, बल्कि ट्रैफिक जाम और धुएं का असर भी घटेगा. सरकार ने निजी संस्थाओं से अपील की है कि वे जहां संभव हो काम के घंटे अलग-अलग रखें, घर से काम के नियमों का सख्ती से पालन कराएं और कार्यालय आने-जाने वाली गाड़ियों की आवाजाही को न्यूनतम करें.

बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बीते कुछ दिनों से चल रही तेज सर्द हवाओं के कारण वायु प्रदूषण में हल्की गिरावट जरूर दर्ज की गई है, लेकिन हालात अब भी चिंताजनक बने हुए हैं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और यूपीपीसीबी (यूपीपीसीबी) के विभिन्न एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों से मिले आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद के अधिकांश इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 300 के पार दर्ज किया गया है, जो ‘बेहद खराब' श्रेणी में आता है.

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