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दिल्ली में बिना PUC के नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल, BS6 से कम के वाहन पर भी प्रतिबंध

दिल्ली में बिना PUC के नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल, BS6 से कम के वाहन पर भी प्रतिबंध

Highlights

  1. दिल्ली में अब वाहनों को केवल वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र (PUC) के साथ ही पेट्रोल और डीजल मिलेगा
  2. राजधानी में BS6 से कम मानक वाले वाहनों पर प्रतिबंध लागू कर उन्हें जब्त करने की कार्रवाई होगी
  3. बदरपुर और रेत लाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है, उल्लंघन पर जुर्माना लगेगा

दिल्ली में बिना PUC के अब पेट्रोल-डीजल नहीं मिलेगा. इसके अलावा BS6 से कम के वाहनों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. ये जानकारी दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने दी. उन्होंने बताया कि अतिरिक्त नियमों के तहत वाहनों को केवल वैध पीयूसीसी (प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र) के साथ ही ईंधन मिल पाएगा, और दिल्ली के बाहर से आने वाले BS6 से कम के वाहनों को प्रतिबंधित कर जब्त किया जाएगा.

रेता लाने पर भी पूर्ण प्रतिबंध

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मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि प्रदूषण मुक्त दिल्ली के लिए निर्माण सामग्री जैसे बदरपुर और रेता लाने पर भी पूर्ण प्रतिबंध है, जिसमें उल्लंघन पर भारी जुर्माना लगेगा. अन्य प्रयासों में डीजल जनरेटरों पर सख्त कार्रवाई, बैंक्वेट हॉलों पर डीजी नियमों का पालन, उद्योगों की निगरानी, इलेक्ट्रिक वाहन बेड़े का विस्तार, हॉटस्पॉट पर प्रदूषण में कमी, और उत्सर्जन निगरानी प्रणालियों तथा पीयूसीसी चालानों का मजबूत कार्यान्वयन शामिल है.

आप पर मंत्री ने लगाए आरोप

दिल्ली के लगातार प्रदूषण संकट पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने बताया कि प्रदूषण का स्तर 363 है और यह एक दशक से इसी स्तर पर बना हुआ है. राजनीतिक तौर पर, आम आदमी पार्टी (आप) पर 10 साल तक कथित निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए बोले कि वे अब उसी मुद्दे पर विरोध कर रहे हैं, जिसके लिए वे जिम्मेदार हैं. 

दिल्ली सरकार ने क्या किया

सिरसा ने दावा किया कि इस संकट से निपटने के लिए सरकार ने कई कड़े कदम उठाए और महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं. इनमें 202 एकड़ के कूड़े के पहाड़ों में से 45 एकड़ भूमि को पुनः प्राप्त कर वनीकरण करना और 100% गैर-अनुरूप औद्योगिक क्षेत्रों को विनियमित करना शामिल है, जिसके तहत 8000 उद्योगों पर 9.21 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया. लकड़ी जलाने पर अंकुश हेतु 10,000 इलेक्ट्रिक हीटर वितरित किए गए. साथ ही, बायो-माइनिंग क्षमता को 20,000 से बढ़ाकर 35,000 मेट्रिक टन प्रतिदिन किया गया है, जिसका लक्ष्य 2026 तक कूड़े के पहाड़ों को खत्म करना है.

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