• Home/
  • दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण में बच्चों को संभालिए, एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया की चेतावनी

दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण में बच्चों को संभालिए, एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया की चेतावनी

AQI Effects on Health: उम्रदराज लोग और छोटे बच्चे प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं.

Air Pollution: बढ़ते एयर पॉल्यूशन में सांस लेना और खुद को सांस की समस्याओं से बचाना बड़ी चुनौती है. जैसे ही AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़ता है, वैसे ही अस्पतालों में सांस और दिल से जुड़ी समस्याओं वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगती है. खासतौर पर सर्दियों के मौसम में जब स्मॉग और प्रदूषण अपने चरम पर होता है, तब इसका असर सीधे हमारे फेफड़ों और दिल पर पड़ता है. अक्सर लोग यह सोचकर लापरवाह हो जाते हैं कि थोड़ी खराब हवा से क्या ही होगा, लेकिन मेडिकल एक्सपर्ट्स मानते हैं कि लगातार खराब हवा में सांस लेना स्लो जहर की तरह काम करता है. इसका असर तुरंत नहीं, बल्कि धीरे-धीरे शरीर के अंदर दिखाई देता है.

ये भी पढ़ें: कम उम्र में ही क्यों फेल हो रहे हैं लिवर और किडनी? लिवर के सबसे बड़े डॉक्टर ने बताया, किचन की ये 5 चीजें हैं जिम्मेदार

क्या कहते हैं एम्स के पूर्व डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया?

एम्स दिल्ली के पूर्व डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि AQI बढ़ने से सबसे ज्यादा असर हार्ट और लंग्स पर पड़ता है. उनके मुताबिक, "खराब हवा में मौजूद सूक्ष्म कण सीधे फेफड़ों के अंदर पहुंच जाते हैं और खून के जरिए पूरे शरीर में फैलते हैं. इससे हार्ट और लंग डिजीज का खतरा कई गुना बढ़ जाता है."

डॉ. गुलेरिया ने यह भी कहा कि उम्रदराज लोग और छोटे बच्चे इस प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं, क्योंकि उनकी इम्यूनिटी और सांस लेने की क्षमता पहले से कमजोर होती है.

सांस और छाती की समस्याएं क्यों बढ़ती हैं?

AQI बढ़ने पर हवा में मौजूद PM2.5 और PM10 जैसे बारीक कण सांस की नली में जलन पैदा करते हैं. इसके कारण सांस लेने में तकलीफ, छाती में जकड़न, बलगम बनना, लगातार खांसी, जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं. छोटे बच्चों में यह समस्या और गंभीर हो सकती है, क्योंकि वे अपनी तकलीफ सही तरीके से बता भी नहीं पाते.

अस्थमा और COPD मरीजों की क्यों बढ़ जाती है परेशानी?

डॉ. रणदीप गुलेरिया के अनुसार, जो लोग पहले से अस्थमा या COPD जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं, उनके लिए बढ़ा हुआ AQI बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. प्रदूषित हवा अस्थमा अटैक को ट्रिगर कर सकती है, इनहेलर की जरूरत बढ़ जाती है, अस्पताल में भर्ती होने का खतरा बढ़ता है. यही वजह है कि ऐसे मरीजों को AQI ज्यादा होने पर बाहर निकलने से बचने की सलाह दी जाती है.

ये भी पढ़ें: डॉक्टर ने बताया डायबिटीज वालों के लिए जहर बन सकती हैं ये 7 खाने-पीने की चीजें, नंबर 4 तो हर घर में है

हार्ट पेशेंट्स के लिए क्यों है बड़ा खतरा?

AQI बढ़ने से सिर्फ फेफड़े ही नहीं, बल्कि दिल भी प्रभावित होता है. खराब हवा खून को गाढ़ा कर सकती है और ब्लड प्रेशर बढ़ा सकती है. डॉ. गुलेरिया बताते हैं कि हार्ट पेशेंट्स में हार्ट फेल होने का खतरा बढ़ जाता है, हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ सकता है, पहले से कमजोर दिल पर एक्स्ट्रा दबाव पड़ता है.

किन लोगों को सबसे ज्यादा सावधान रहने की जरूरत?

  • बुजुर्ग
  • छोटे बच्चे
  • अस्थमा और COPD मरीज
  • हार्ट पेशेंट्स
  • कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग

बचाव कैसे करें?

  • AQI ज्यादा हो तो बाहर निकलने से बचें.
  • मास्क का इस्तेमाल करें.
  • घर में एयर प्यूरीफायर या वेंटिलेशन रखें.
  • डॉक्टर की दवाइयां रेगुलर लें.

AQI कोई सिर्फ नंबर नहीं है, बल्कि यह हमारी सेहत का सीधा संकेत है. अगर समय रहते सावधानी न बरती जाए, तो यह हवा चुपचाप बड़ी बीमारियों की वजह बन सकती है.



(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Share this story on