Is Air Pollution More Dangerous Than Smoking?: आपने शायद कभी सोचा भी नहीं होगा कि जो हवा आप हर दिन सांस के रूप में अंदर ले रहे हैं, वो धीरे-धीरे आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रही है और वो भी उतना ही, जितना एक सिगरेट. दिल्ली, मुंबई, लखनऊ जैसे शहरों में जब एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index - AQI) 300 से ऊपर चला जाता है, तो एक दिन की सांस लेना लगभग 11 सिगरेट पीने जितना नुकसानदायक हो सकता है. WHO के अनुसार, दुनिया की 99 प्रतिशत आबादी ऐसी हवा में सांस ले रही है जो स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित नहीं है. वायु प्रदूषण से हर साल लगभग 7 मिलियन मौतें होती हैं. यह संख्या तंबाकू से होने वाली मौतों के बराबर है.
WHO की एयर पॉल्यूशन डेटा पोर्टल में बताया गया है कि वायु प्रदूषण हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, फेफड़ों की बीमारी, कैंसर और निमोनिया जैसी बीमारियों का कारण बनता है.
हम अक्सर स्मोकिंग को फेफड़ों की सबसे बड़ी दुश्मन मानते हैं और सही भी है. लेकिन, अब वैज्ञानिक शोध और हेल्थ रिपोर्ट्स बता रही हैं कि प्रदूषित हवा, यानी खराब AQI, स्मोकिंग से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है, खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या सांस की किसी बीमारी से जूझ रहे हैं.
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AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स एक स्केल है जो हवा में मौजूद प्रदूषकों की मात्रा को दर्शाता है. यह स्केल 0 से 500 तक होता है:
AQI को मापने के लिए हवा में मौजूद PM2.5, PM10, NO2, SO2, CO और O3 जैसे तत्वों की मात्रा को देखा जाता है. इनमें से PM2.5 सबसे खतरनाक होता है क्योंकि यह इतना छोटा होता है कि सीधे फेफड़ों में जाकर जमा हो सकता है.
बर्कले अर्थ स्टडी (2015) की रिसर्च के अनुसार, अगर AQI 150 से ऊपर है, तो एक दिन की सांस लेना 1 सिगरेट पीने के बराबर नुकसान पहुंचा सकता है और अगर AQI 300 से ऊपर चला जाए, तो यह 10–14 सिगरेट जितना नुकसान कर सकता है. बर्कले अर्थ की रिपोर्ट के अनुसार दिवाली के बाद दिल्ली की हवा में सांस लेना ऐसा है जैसे कोई इंसान रोजाना करीब 11 सिगरेट पी रहा हो.
दिल्ली में रहने वालों की उम्र भी घट रही!
शिकागो स्टडी ने सामने आया है कि जो दिल्ली में रहते हैं, उनका 12 साल जीवन काल कम होता है और जो भारत में रहता है उसकी लाइफ 5.3 साल कम हो जाती हैं. इसका अर्थ है कि ये समस्या सिर्फ आज की नहीं है बल्कि 12 महीनों की है.
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फेफड़ों की कार्यक्षमता कम होती है: लगातार प्रदूषित हवा में रहने से फेफड़ों की क्षमता घटती है. सांस लेने में तकलीफ, थकान और ऑक्सीजन की कमी महसूस होती है.
सूजन और जलन: PM2.5 और NO2 जैसे प्रदूषक फेफड़ों की अंदरूनी परत में सूजन और जलन पैदा करते हैं, जिससे खांसी और बलगम की समस्या होती है.
अस्थमा और ब्रोंकाइटिस का खतरा: बच्चों और बुजुर्गों में प्रदूषित हवा अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों को जन्म देती है या पहले से मौजूद समस्या को बढ़ा देती है.
फेफड़ों का कैंसर: लंबे समय तक खराब AQI में रहने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, बिल्कुल वैसे ही जैसे स्मोकिंग से होता है.
इम्यून सिस्टम पर असर: प्रदूषित हवा शरीर की इम्यूनिटी को कमजोर करती है, जिससे बार-बार सर्दी-जुकाम और संक्रमण होते हैं.
AQI चेक करें: रोजाना AQI ऐप या वेबसाइट से अपने शहर की हवा की क्वालिटी देखें. अगर AQI 200 से ऊपर है, तो बाहर कम निकलें.
N95 मास्क पहनें: साधारण मास्क PM2.5 को नहीं रोकते. N95 या N99 मास्क ही प्रभावी होते हैं.
घर में एयर प्यूरिफायर लगाएं: खासकर बच्चों और बुजुर्गों के कमरे में एयर प्यूरिफायर लगाना फायदेमंद है.
इनडोर पौधे लगाएं: एलोवेरा, स्नेक प्लांट, मनी प्लांट जैसे पौधे हवा को शुद्ध करने में मदद करते हैं.
सांस की एक्सरसाइज करें: प्राणायाम, डीप ब्रीदिंग और योग से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है.
स्मोकिंग से बचें: अगर आप स्मोकिंग करते हैं, तो प्रदूषित हवा के साथ इसका असर दोगुना हो जाता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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Reported by: इशिका वर्मा, Edited by: मनोज शर्मा© Copyright NDTV Convergence Limited 2025. All rights reserved.