दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता वायु प्रदूषण अब सिर्फ असुविधा नहीं, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुका है. जहरीली हवा, घना स्मॉग और गिरती एयर क्वालिटी लोगों को शहर छोड़ने पर मजबूर कर रही है. इसी कड़ी में दिल्ली में 13 साल से रह रहे एक प्रोफेशनल ने अपने दर्दनाक अनुभव को सोशल मीडिया पर शेयर किया है, जो अब चर्चा का विषय बन गया है.
LinkedIn पोस्ट में छलका दर्द
मार्केटिंग एडवाइजर रवि वर्मा, जो AdChoreo से जुड़े हैं, ने LinkedIn पर एक भावुक पोस्ट में बताया कि वह स्थायी रूप से दिल्ली छोड़ रहे हैं. उन्होंने लिखा कि बीते पांच साल उनकी जिंदगी के सबसे कठिन साल रहे. कोविड महामारी के दौरान उन्होंने अपने परिवार के सभी वयस्क सदस्यों, पत्नी, भाई, मां और भाभी को खो दिया.
गंभीर बीमारियों से जूझते रहे रवि
व्यक्तिगत नुकसान के साथ-साथ रवि वर्मा को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ा. उन्हें दोनों पैरों के फेमोरल हेड्स में एवस्कुलर नेक्रोसिस का पता चला, जिसके चलते 40 की उम्र में ही टोटल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी करानी पड़ेगी. इसके अलावा बीते एक साल में उन्हें प्रदूषण से होने वाला अस्थमा हो गया और अब वह नियमित रूप से इनहेलर पर निर्भर हैं.
‘दिल्ली की हवा ने जीना मुश्किल कर दिया'
रवि ने लिखा कि इस साल प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया कि सांस लेना भी चुनौती बन गया. अस्थमा की समस्या ने उन्हें यह फैसला लेने पर मजबूर कर दिया कि अब दिल्ली में रहना संभव नहीं है.
सरकार के साथ आम लोगों पर भी उठाए सवाल
अपने पोस्ट में रवि वर्मा ने केवल सरकार को ही नहीं, बल्कि आम लोगों की लापरवाही पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि खराब एयर क्वालिटी के बावजूद लोग मास्क नहीं पहनते, मॉर्निंग वॉक पर जाते हैं और बच्चों को स्कूल भेजते हैं. उनके मुताबिक यह दिखाता है कि प्रदूषण अब लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी का ‘नॉर्मल' हिस्सा बन चुका है.
सोशल मीडिया पर मिली मिली-जुली प्रतिक्रियाएं
रवि की पोस्ट पर कई लोगों ने सहानुभूति जताई, तो कुछ ने अपनी मजबूरी भी बताई. एक यूजर ने लिखा, 'आपके लिए दुख है, लेकिन मैं अपनी जन्मभूमि नहीं छोड़ सकता. दूसरे ने कहा, 10 साल दिल्ली में रहा, हर दिन शिकायत की. आपकी बात समझ सकता हूं. वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा, इतना सब कुछ इतने कम समय में खोने के बाद कोई भी टूट सकता है.
यह पोस्ट एक बार फिर दिल्ली के वायु प्रदूषण और उसके दीर्घकालिक प्रभावों पर बहस छेड़ रही है. सवाल यही है, क्या लोग हालात से समझौता करेंगे या वाकई शहर छोड़ना ही आखिरी रास्ता बचा है?
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Written by: गुरुत्व राजपूत© Copyright NDTV Convergence Limited 2025. All rights reserved.