Pollution Cuase Asthma Risk: बढ़ते प्रदूषण के चलते आज के समय में साफ और स्वच्छ हवा की अहमियत काफी बढ़ गई है. सांस लेते समय हवा में मौजूद कई तरह के छोटे-छोटे कण और रसायन हमारे फेफड़ों में पहुंच जाते हैं. इनमें से कुछ कण हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं, खासकर उन लोगों के लिए जिनको अस्थमा जैसी बीमारी है. अस्थमा में फेफड़े सूज जाते हैं और सांस लेने में बड़ी मुश्किल होती है. इस बीच एक नए अध्ययन में साबित हुआ है कि हवा में मौजूद कुछ खास धातु और रसायन अस्थमा को बढ़ा सकते हैं और इसके चलते लोगों को अस्पताल तक जाना पड़ सकता है.
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यह अध्ययन हार्वर्ड विश्वविद्यालय के टी. एच. चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर जोएल श्वार्ट्ज और उनकी टीम ने किया है. उन्होंने हवा में मौजूद निकेल, वैनेडियम और सल्फेट जैसे प्रदूषकों का अस्थमा पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण किया. शोध में पाया गया कि जब हवा में इन प्रदूषकों की मात्रा थोड़ी भी बढ़ जाती है, तो बच्चों में अस्थमा के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या करीब 10.6 प्रतिशत बढ़ जाती है. वहीं, 19 से 64 साल के वयस्कों में यह बढ़ोतरी करीब आठ प्रतिशत देखी गई है.
शोध में बताया गया है कि निकेल और वैनेडियम मुख्य रूप से फ्यूल ऑयल के जलने से निकलते हैं, जबकि सल्फेट कोयले के जलने से बनता है. इसके अलावा, नाइट्रेट, ब्रोमीन और अमोनियम जैसे रसायन भी अस्थमा को बढ़ावा देने में मदद करते हैं.
शोध में शामिल प्रोफेसर श्वार्ट्ज ने कहा कि अगर हम अस्थमा की समस्या को कम करना चाहते हैं, तो हमें इन प्रदूषकों के स्रोतों पर कड़ी नजर रखनी होगी. उदाहरण के तौर पर, कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों में स्क्रबर लगाकर सल्फेट के कणों को कम किया जा सकता है. इसके अलावा, फ्यूल से निकलने वाली धातुओं को हटाने के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल जरूरी है.
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इस अध्ययन में मशीन लर्निंग जैसे कंप्यूटर एल्गोरिदम की मदद से हवा में मौजूद कई तत्वों की पहचान की गई है. टीम ने हवा में पाए जाने वाले ब्रोमीन, कैल्शियम, तांबा, आयरन, पोटैशियम, अमोनियम, निकल, नाइट्रेट, आर्गेनिक कार्बन, सीसा, सिलिका, सल्फेट, वैनेडियम और जिंक जैसे कई तत्वों को जांचा. ये सभी छोटे-छोटे कण हवा में मिलकर पीएम 2.5 के रूप में जाने जाते हैं, जो इतना सूक्ष्म होता है कि सीधे फेफड़ों में जाकर उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है.
अस्थमा के मरीजों के लिए सावधानी बरतना बेहद जरूरी है. अस्थमा के लक्षणों में सांस लेने में दिक्कत, सीने में भारीपन, खांसी और सांस छोड़ते वक्त सीटी जैसी आवाज आना शामिल है. यह समस्या रात को सोते वक्त और ज्यादा परेशान कर सकती है. अगर हवा में प्रदूषण की मात्रा ज्यादा हो तो ये लक्षण और बढ़ सकते हैं और मरीजों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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Written by: तिलकराज© Copyright NDTV Convergence Limited 2025. All rights reserved.