सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (19 दिसंबर) को दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण के मामले पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान प्रदूषण को कम करने के लिए उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी अगले आदेश तक पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है. दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि राजधानी में पटाखों पर पूरे साल स्टॉक और बिक्री पर रोक लगा दी है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "इसका असर तभी पड़ेगा, जब NCR के दूसरे शहरों में भी ऐसी ही रोक हो. इसलिए यूपी और हरियाणा भी ऐसा करें." अब इस मामले में 15 जनवरी को अगली सुनवाई होगी.
पटाखों पर बैन लगाने के मामले में एमिकस ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली में पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध है, लेकिन इसे प्रभावी बनाने के लिए NCR राज्यों पर भी प्रतिबंध होना चाहिए. दिल्ली सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट फरासत ने अदालत को सूचित किया कि दिल्ली ने पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री, वितरण और उपयोग पर व्यापक प्रतिबंध लगा दिया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस उपाय के प्रभावी होने के लिए, पड़ोसी NCR राज्यों को इसी तरह के प्रतिबंधों को अपनाना चाहिए, क्योंकि पटाखे अभी भी उन राज्यों से दिल्ली में लाए जा सकते हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा को दिल्ली की तर्ज पर पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया.
कोर्ट को सूचित किया गया कि हरियाणा ने ग्रीन पटाखों के उपयोग की अनुमति दी थी, जबकि राजस्थान ने NCR के भीतर आने वाले क्षेत्रों में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था.
श्रमिकों को गुजारा भत्ता मामले में 5 जनवरी तक जवाब दाखिल करें राज्य सरकारें
दिल्ली प्रदूषण मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने सभी राज्यों और NCR क्षेत्र को निर्देश दिया है कि वे GRAP-4 से प्रभावित सभी श्रमिकों को गुजारा भत्ता दें. राज्य सरकारें पता लगाएं कि कौन से श्रमिक GRAP-4 से प्रभावित हैं. श्रमिकों को भत्ता देने के लिए सिर्फ पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए. अगर श्रमिकों को गुजारा भत्ता देने के संबंध में जारी अदालत के निर्देशों का पालन नहीं किया गया, तो हम राज्य सरकारों के खिलाफ अदालत की अवमानना के तहत कार्रवाई शुरू करेंगे. अदालत ने इस मामले पर राज्य सरकारों से 5 जनवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा है.
कोर्ट ने कहा, "पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 5 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए, दिल्ली सरकार ने तत्काल प्रभाव से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से डिलीवरी सहित निर्माण, भंडारण, बिक्री और सभी प्रकार के पटाखे फोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है."
दिल्ली सरकार से बेहतर हलफनामा मांगा
दिल्ली के प्रदूषण पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में 3800 टन से अधिक अनुपचारित ठोस अपशिष्ट पर आश्चर्य व्यक्त किया. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और एमसीडी से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से निपटने के लिए नए उपाय अपनाने को कहा. इसके साथ ही SC ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के अनुपालन पर दिल्ली सरकार से बेहतर हलफनामा मांगा.
इससे पहले अदालत ने कहा था कि कोई भी धर्म प्रदूषणकारी गतिविधियों को प्रोत्साहित नहीं करता है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार के अनुरूप प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने का आह्वान किया था. इसने भारत भर के अन्य शहरों में व्यापक प्रदूषण चुनौतियों का समाधान करने के लिए जनवरी में शुरू होने वाली विशिष्ट मुद्दा-वार सुनवाई आयोजित करने का भी प्रस्ताव दिया है.
दिल्ली में अभी ग्रैप 3 लागू
दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में हवा की गुणवत्ता पर नजर रखने के लिए केंद्र द्वारा गठित समिति ने प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों के कारण वायु गुणवत्ता में आई गिरावट के बीच सोमवार को चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्ययोजना (जीआरएपी) के तीसरे चरण के तहत कई प्रतिबंधों को प्रभावी किया गया था.
इन वाहनों पर रोक
जीआरएपी के तीसरे चरण के तहत दिल्ली में बीएस-4 या उससे पुराने मानक वाले डीजल चालित गैर-जरूरी मध्यम आकार के मालवाहक वाहनों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. दिल्ली के बाहर पंजीकृत बीएस-4 या उससे पुराने मानक वाले डीजल चालित गैर-जरूरी हल्के वाणिज्यिक वाहनों को भी शहर में प्रवेश की अनुमति नहीं है.
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Edited by: अनिता शर्मा© Copyright NDTV Convergence Limited 2024. All rights reserved.