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दिल्ली में प्रदूषण पर स्कूल बंद रहें या खुले? अमीर vs गरीब की दलील पर जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

Highlights

  1. SC ने दिल्ली-NCR में स्कूल खोलने या बंद करने के फैसले को विशेषज्ञों और सरकार के अधिकार क्षेत्र में बताया.
  2. वकील मेनका गुरुस्वामी ने स्कूल बंद होने पर गरीब बच्चों को मिड-डे मील जैसी सुविधाओं से वंचित होने की बात कही.
  3. अदालत ने बच्चों की सेहत को प्राथमिकता देते हुए 5वीं तक स्कूल खोलने या हाइब्रिड मॉडल पर करने से इनकार किया.

Delhi-NCR Pollution Level: दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण ने एक बार फिर बच्चों की पढ़ाई पर असर डाला है. सवाल यह है कि क्या स्कूल बंद रहें या खुले? इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने साफ कर दिया कि स्कूल खोलने या बंद करने का फैसला अदालत नहीं बल्कि विशेषज्ञों और सरकार का काम है. आइए जानते हैं, सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा और किस तरह अमीर और गरीब बच्चों के हितों को लेकर दलीलें दी गईं.

स्कूल बंद करने पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

दिल्ली में GRAP (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) के तहत स्कूल बंद करने के फैसले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह नीति का विषय है. अदालत ने स्पष्ट किया कि वह सुपर-स्पेशलिस्ट नहीं बन सकती. स्कूल खोलना या बंद करना विशेषज्ञों और प्रशासन का काम है.

गरीब बच्चों पर असर की दलील

वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ने दलील दी कि हर बार जब स्कूल बंद होते हैं, तो गरीब बच्चों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है. वे मिड-डे मील जैसी सुविधाओं से वंचित हो जाते हैं. इस पर मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने कहा कि अगर हाइब्रिड व्यवस्था लागू होती है, तो कामकाजी माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेज सकेंगे.

हाइब्रिड मॉडल पर चर्चा

अदालत को बताया गया कि GRAP के निर्देश हाइब्रिड मोड के लिए हैं, जबकि दिल्ली सरकार ने कक्षा 5 तक के स्कूल पूरी तरह बंद कर दिए हैं. केंद्र सरकार की ओर से ASG ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि बच्चों की सेहत को देखते हुए यह कदम उठाया गया है. उन्होंने सुझाव दिया कि सभी कक्षाओं के लिए हाइब्रिड मॉडल उपलब्ध कराया जा सकता है.

अदालत का रुख

सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि प्रदूषण जैसी स्थिति में बच्चों की सेहत और प्रशासनिक आकलन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. कोर्ट ने क्लास 5 तक स्कूल खोलने या हाइब्रिड क्लास शुरू करने का आदेश देने से इनकार कर दिया. CJI ने कहा कि यह पूरी तरह नीति का विषय है और अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी.

लंबी अवधि के समाधान पर जोर

CJI सूर्यकांत ने कहा कि हमें लॉन्ग टर्म सॉल्यूशन पर ध्यान देना होगा. छोटे बच्चे, पार्क में जाने वाले बुजुर्ग-सबको प्रदूषण की समस्या है. उन्होंने उम्मीद जताई कि छुट्टियों के बाद हालात सुधरेंगे.

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मजदूरों की आर्थिक मदद का मुद्दा

निर्माण कार्य पर रोक के कारण मजदूरों की आर्थिक सहायता पर भी चर्चा हुई. ASG ने बताया कि 2.5 लाख पंजीकृत श्रमिकों में से 35,000 का सत्यापन हुआ है और 7500 को भुगतान किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि भुगतान सीधे श्रमिकों के खातों में जाए और उनका शोषण न हो.

वैकल्पिक रोजगार की योजना

CJI ने सुझाव दिया कि अगर निर्माण कार्य लंबे समय तक बंद करना पड़े, तो मजदूरों को वैकल्पिक रोजगार देने की नीति बनाई जाए. उन्होंने कहा कि ये मेहनती लोग हैं और अन्य काम करने को तैयार होंगे.

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टोल प्लाजा पर ट्रैफिक जाम का मुद्दा

दिल्ली बॉर्डर पर टोल प्लाजा के कारण ट्रैफिक जाम और प्रदूषण बढ़ने पर भी चर्चा हुई. CJI ने पूछा कि क्या इन महीनों में टोल वसूली रोकी जा सकती है? उन्होंने कहा कि दुनिया भर में ऐसी तकनीक है जिससे बिना रुके टोल वसूली होती है. एमसीडी ने जवाब दिया कि राजस्व सड़कों के रखरखाव और कर्मचारियों के वेतन के लिए जरूरी है.

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