क्या हिमालय राज्य उत्तराखंड भी दिल्ली और एनसीआर की तरह होने जा रहा है क्या दिल्ली और एनसीआर में जैसे वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है उत्तराखंड में भी वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है क्या। यह बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उत्तराखंड में भी बीते कुछ सालों में वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है और इसकी वजह कई तरह की है लेकिन सबसे बड़ी वजह तेजी से अंधाधुन पेड़ों का कटान, बड़े पैमाने पर कंक्रीट बनाना और लगातार वाहनों की संख्या बढ़ाना इसके प्रमुख कारण है
अक्सर हम खबरें पढ़ते हैं कि दिल्ली एनसीआर या फिर देश के कई महानगरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स काफी खराब हो गया है इन दोनों तो दिल्ली और एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स बहुत ही खराब चल रहा है और ऐसे में दिल्ली और एनसीआर या इसके अलावा अन्य महानगरों के लोग पहाड़ों पर जाते हैं ताकि वह सुकून से रह सके लेकिन अब हिमालय का वातावरण भी प्रदूषित होता जा रहा है पहाड़ों की हवा प्रदूषण हो रही है क्योंकि उत्तराखंड दिल्ली और एनसीआर से बेहद नजदीक है ऐसे में यहां पर पर्यटकों की संख्या बहुत ज्यादा है उत्तराखंड का भी एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार खराब होता जा रहा है
देहरादून शहर की बात करें तो देहरादून मैं पिछले एक हफ्ते में एयर क्वालिटी इंडेक्स काफी खराब हो गया है 18 दिसंबर को देहरादून का एयर क्वालिटी इंडेक्स 267 मापा गया इसके अलावा पिछले एक हफ्ते की बात करें तो देहरादून में 17 दिसम्बर को 292 AQI रहा ,16 दिसम्बर को 213 AQI रहा ,15 दिसंबर को 133 AQI रहा ,14 दिसंबर को 115 AQI रहा ,13 दिसंबर को 101 AQI रहा है उत्तराखंड के दूसरे शहरों की बात करें जिसमें काशीपुर ऋषिकेश आता है वहां का भी एयर क्वालिटी इंडेक्स ज्यादा अच्छा नहीं है इन शहरों की हवा भी धीरे-धीरे खराब होती जा रही है
पहाड़ों में प्रदूषण बढ़ने के अहम कारण
इसके अलावा कई छोटे-बड़े कारण भी है जिससे वायु प्रदूषण हो रहा है उत्तराखंड में नैनीताल ,मसूरी ,कौसानी, ऋषिकेश ,हरिद्वार, औली, जोशीमठ, जागेश्वर मुक्तेश्वर कैंची धाम रानीखेत रामनगर कॉर्बेट में पर्यटक भारी संख्या में पहुंच रहे हैं पर्यटक ज्यादातर अपने वाहनों के साथ इन पर्यटक स्थलों पर आते हैं इसकी वजह से भी लगातार ज्यादा वहां आने और उनसे निकलने वाला धुआं इस वायु प्रदूषण को और बढ़ा रहा है उत्तराखंड में वाहनों की संख्या के बात करें तो 25 सालों में 43 लाख वाहन का रजिस्ट्रेशन हुआ है इसके अलावा जब पर्यटक सीजन और चार धाम यात्रा के दौरान वाहनों की संख्या और बढ़ जाती है जो वायु प्रदूषण को ज्यादा बढ़ा देती है
इसका एक बड़ा कारण उत्तराखंड में पिछले 50 दिनों में बारिश का नहीं होना है बारिश नहीं होने से सूखी ठंड पड़ रही है और हवा में धूलकण तैर रहे हैं और उसकी वजह से कोहरा हो रहा है और सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है इसी वजह से देहरादून का AQI काफी बढ़ गया है देहरादून क्योंकि घाटी में है और यहां लगातार निर्माण कार्य तेजी से हो रहे हैं वाहनों से निकलने वाला धुआं और सड़क पर चल रहे वाहनों से उड़ रही धूल हवा में तैर रही है बारिश नहीं होने से यह धूल और छोटे कण हवा में होने के कारण देहरादून का एयर क्वालिटी इंडेक्स दिल्ली एनसीआर के आसपास रह रहा है
दून यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर श्रीधर ने बताया कि उत्तराखंड मैं देहरादून शहर का सबसे बुरा हाल है क्योंकि यहां पर ऋषिकेश और काशीपुर से ज्यादा एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब है प्रोफेसर श्रीधर बताते हैं कि क्योंकि लंबे समय से बारिश नहीं हुई है और देहरादून में बड़े पैमाने पर कंस्ट्रक्शन चल रहा है वाहनों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है और हवा में धूल कण और अन्य पार्टिकल्स ज्यादा हो गए हैं । प्रोफेसर श्रीधर ने बताया कि ठंड भी बहुत ज्यादा हो गई है तो ठंड से बचने के लिए लोग आग जला रहे हैं इसके अलावा एटमॉस्फेयर में पार्टिकल्स काफी हैवी हो गए है
उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने जानकारी दी की उत्तराखंड कि अभी फिलहाल बारिश के आसार नहीं दिख रहे हैं 21 दिसंबर और 22 दिसंबर को उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्र जिसमें उत्तरकाशी चमोली रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ में हल्की बारिश और हल्की बर्फबारी हो सकती है वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने बताया कि मैदानी क्षेत्र हरिद्वार और उधम सिंह नगर में घना कोहरा अगले कुछ दिन छह सकता है सुबह और दिन के तापमान में भी गिरावट आ सकती है । वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने बताया कि उत्तराखंड और वेस्टर्न यूपी पर पश्चिमी विक्षोभ बना हुआ है।मौसम विभाग के आंकड़े देखे तो उत्तराखंड में पिछले 50 दिनों से बारिश नहीं हुई है जिसकी वजह से न सिर्फ सूखी ठंड पड़ रही है बल्कि वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ पंकज चौहान बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन और लगातार बढ़ते तापमान की वजह से मौसमी चक्र में बदलाव हो रहा है जो बर्फबारी नवंबर अंतिम सप्ताह और दिसंबर जनवरी में मिलनी चाहिए वह अब नहीं दिख रही है क्योंकि गर्मियों का सीजन बढ़ रहा है डॉ पंकज चौहान ने बताया कि बर्फ ग्लेशियर पर गिर रही है लेकिन उसको जमाने का टाइम नहीं मिल पा रहा है क्योंकि तापमान बड़े हुए हैं जो बर्फबारी हमें जनवरी और दिसंबर में मिलती थी वह अब हमें मार्च अप्रैल में मिल रही है
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