
Effects of High Air Pollution AQI 500: दिल्ली, नोएडा समेत लगभग उत्तर भारत के सभी बड़े शहरों की हवा बहुत खराब हो चुकी है. दिल्ली एनसीआर में पिछले 2 दिनों से स्मॉग की चादर फैली हुई है. कई इलाकों में सुबह के वक्त विजिबिलिटी लगभग जीरो हो गई है. इससे न सिर्फ यातायात प्रभावित हो रहा है बल्कि सांस से जुड़ी समस्याएं भी बढ़ गई हैं. बढ़ता वायु प्रदूषण अब सिर्फ मौसम की खबर नहीं रहा, बल्कि यह सीधा हमारी सेहत पर हमला बन चुका है. जब एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 50–100 के बीच होता है, तब हवा सामान्य मानी जाती है. लेकिन, जैसे ही यह 300 के पार जाता है, हालात गंभीर हो जाते हैं और अगर AQI 500 के ऊपर पहुंच जाए, तो इसे बेहद खतरनाक श्रेणी में रखा जाता है. ऐसे में कुछ मिनटों तक सांस लेना भी शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है. खासकर बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और पहले से बीमार लोगों के लिए यह स्थिति किसी इमरजेंसी से कम नहीं होती.
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AQI 500 के पार जाने का मतलब है कि हवा में बेहद महीन जहरीले कण (PM2.5 और PM10), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी गैसें खतरनाक स्तर पर मौजूद हैं. ये कण सांस के जरिए सीधे फेफड़ों और खून तक पहुंच जाते हैं. आइए जानते हैं कि इतनी खराब हवा में सांस लेने से शरीर में कौन-कौन से बड़े नुकसान हो सकते हैं.
AQI 500 से ऊपर होने पर सांस की नलियों में सूजन आ जाती है. सांस फूलना, खांसी, सीने में जकड़न और दम घुटने जैसा एहसास आम हो जाता है. अस्थमा और COPD के मरीजों में अटैक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. लंबे समय तक ऐसी हवा में रहने से फेफड़ों की क्षमता भी कम होने लगती है.

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जहरीले कण खून में मिलकर दिल की नसों को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है, दिल की धड़कन इर्रेगुलर हो सकती है और हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. रिसर्च बताती हैं कि ज्यादा प्रदूषण वाले दिनों में हार्ट पेशेंट्स को अस्पताल में भर्ती होने की नौबत ज्यादा आती है.
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इतने खराब AQI में आंखों में जलन, पानी आना, नाक बहना और गले में खराश होना आम समस्या बन जाती है. कई लोगों को सिरदर्द और चक्कर भी आने लगते हैं, जिससे रोजमर्रा का काम करना मुश्किल हो जाता है.
प्रदूषण सिर्फ शरीर ही नहीं, दिमाग को भी प्रभावित करता है. AQI 500 के पार होने पर चिड़चिड़ापन, बेचैनी, नींद न आना और ध्यान लगाने में परेशानी बढ़ जाती है. लंबे समय तक एक्सपोजर से याददाश्त और मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है.
बच्चों के फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं होते, इसलिए प्रदूषण का असर उन पर ज्यादा होता है. वहीं बुजुर्गों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, जिससे संक्रमण और सांस से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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Delhi's air quality has been a major concern, with the city's Air Quality Index (AQI) worsening to the 'severe plus' category.
A UK traveller's video about running into a visibility problem when visiting the famous Taj Mahal in Agra has resonated with many. The post is also viral at a time when North India is facing serious air pollution concerns.
The severe air quality poses significant health risks, particularly for children and the elderly.
A thick toxic haze blanketed Delhi today morning, reducing visibility and disrupting flights and train schedules as the capital battled hazardous air quality.
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