दिल्ली में छाई प्रदूषण की धुंध से निजात दिलाने के लिए मंगलवार को दो बार क्लाउड सीडिंग का प्रयोग किया गया. दिल्ली सरकार की पहल पर आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने सेसना विमान के जरिए दिल्ली के कई इलाकों पर केमिकल का छिड़काव किया. हालांकि पहले दिन इसका खास असर नहीं दिखा और दिल्ली में बारिश दर्ज नहीं की गई. इसे लेकर NDTV ने IIT कानपुर के डायरेक्टर से खास बातचीत की.
एनडीटीवी के मैनेजिंग एडिटर शिव अरूर से बातचीत में आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर मनिंदर अग्रवाल ने बताया कि क्लाउड सीडिंग के प्रयोग के लिए हमने अपना खुद का केमिकल तैयार किया है. इसमें सिल्वर आयोडाइड सिर्फ 20 पर्सेंट है. बाकी के हिस्से में रॉक सॉल्ट और आम नमक भी शामिल है.
क्लाउड सीडिंग के बाद बारिश न होने के बारे में अग्रवाल ने कहा कि अभी तक बारिश नहीं हुई है इसलिए इस प्रयोग को पूरी तरह सफल नहीं कहा जा सकता. इसकी एक वजह ये भी है कि बादलों में उस वक्त सिर्फ 15-20 ह्यूमिडिटी (नमी) थी. इतनी कम नमी में बारिश होने की संभावना काफी कम होती है. हालांकि इस प्रयोग से हमारी टीम का हौसला बढ़ा है कि हम कामयाब जरूर होंगे. हम कल बुधवार को भी दो बार ट्रायल करेंगे.
क्या क्लाउड सीडिंग लॉन्ग टर्म उपाय है? इस सवाल पर आईआईटी डायरेक्टर ने कहा कि यह एसओएस उपाय है. यानी जब प्रदूषण बहुत ज्यादा हो तो इसे आजमाया जा सकता है. इसे प्रदूषण घटाने के कई तरीकों में से एक माना जा सकता है. यह स्थायी समाधान नहीं है. प्रदूषण का स्थायी समाधान उसे रोकना ही है. यह कोई मैजिक समाधान नहीं है.
क्लाउड सीडिंग की ऊंची लागत के बारे में अग्रवाल ने कहा कि इसकी एक वजह ये भी है कि हम विमान को कानपुर से उड़ा रहे हैं. अगर हम दिल्ली के नजदीक से विमान को उड़ा सकें और कुछ अन्य खर्चे कम कर सकें तो लागत काफी कम हो सकती है.
दिल्ली सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, कृत्रिम बारिश के लिए क्लाउड सीडिंग के लिए सेसना विमान ने कानपुर से उड़ान भरी थी. उसने दिल्ली के बुराड़ी, उत्तरी करोल बाग और मयूर विहार जैसे इलाकों में केमिकल का छिड़काव किया और बाद में मेरठ में हवाई पट्टी पर उतरा.
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि कृत्रिम बारिश का परीक्षण करीब आधे घंटे चला. इस दौरान आठ झोकों में केमिकल का छिड़काव किया गया. प्रत्येक फ्लेयर में दो से ढाई किलो केमिकल बादलों में छोड़ा गया. उन्होंने बताया कि क्लाउड सीडिंग के 15 मिनट से लेकर 4 घंटे के अंदर बारिश होने की संभावना रहती है. हालांकि मंगलवार को बादलों में 15 से 20 प्रतिशत आर्द्रता थी, संभवतः इसकी वजह से बारिश नहीं हो सकी. उन्होंने बताया कि कृत्रिम वर्षा के लिए अगले कुछ दिनों में 9-10 परीक्षण किए जा सकते हैं.
बता दें कि दिल्ली में कृत्रिम बारिश का यह तीसरा प्रयोग था. भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले 1971 और 1972 में भी ऐसे परीक्षण राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला परिसर में किए गए थे जिसमें मध्य दिल्ली का लगभग 25 किलोमीटर का इलाका शामिल था. दिसंबर 1971 और मार्च 1972 के बीच 22 दिनों को प्रयोग के लिए अनुकूल माना गया था. आईआईटीएम की रिपोर्ट में बताया गया है कि इनमें से 11 दिनों में कृत्रिम वर्षा कराई गई जबकि बाकी 11 दिनों को तुलनात्मक अध्ययन के लिए नियंत्रण अवधि के रूप में रखा गया था.
दिल्ली की हवा साफ करने के लिए 'ओवरटाइम' करेगी मेट्रो
Reported by: भाषाबढ़ती गर्मी से दुनिया में हर मिनट एक इंसान की मौत! यह रिपोर्ट हमारा काला भविष्य दिखा रही
Edited by: Ashutosh Kumar Singhदिल्ली-नोएडा में कैसी है हवा की सेहत, जानिए देश के सबसे प्रदूषित और साफ हवा वाले शहर
Written by: विजय शंकर पांडेय© Copyright NDTV Convergence Limited 2025. All rights reserved.