वित्त मंत्री जिस तरह शुक्रवार को अपना नया बजट पेश कर रही हैं, राहतों का एलान कर रही हैं, उसमें कुछ भी उम्मीद की जा सकती है. आखिर कॉरपोरेट ने कब सोचा होगा कि सरकार उसे एक दिन 1 लाख 45 हज़ार का घाटा उठाकर करों में छूट देगी. इस फैसले को ऐतिहासिक और साहसिक बताया गया है. वित्त मंत्री ने जुलाई में अपना पहला बजट पेश किया था. अब वो काफी पीछे छूट चुका है. 20 सितंबर की सुबह एलान हुआ कि सरकार ने इनकम टैक्स अधिनियम 1961 और फाइनांस एक्ट 2019 में बदलाव कर दिया गया है. इसके अनुसार भारतीय कंपनियों को दो में एक विकल्प दिया गया है.कंपनियों को 22 प्रतिशत का इनकम टैक्स का विकल्प चुनना होगा. यह तभी मिलेगा जब कंपनी बाकी छूट और प्रोत्साहन का लाभ छोड़ देगी. इस लिहाज़ से ऐसी कंपनियों को प्रभावी रूप से 25.17 प्रतिशत टैक्स देना होगा. मेक इन इंडिया की गाड़ी को धक्का देने के लिए भी टैक्स घटाया गया है. 1 अक्तूबर 2019 के बाद नया निवेश करने पर 15 प्रतिशत टैक्स लगेगा. यह लाभ उसे ही मिलेगा जो किसी प्रकार का छूट या प्रोत्साहन नहीं लेगा.इस तरह मैन्यूफैक्चरिंग पर प्रभावी रूप से टैक्स 17.01 प्रतिशत हो जाएगा.अर्थव्यवस्था की हालत खराब है.बात रोज़गार की हो रही थी.मांग की हो रही थी कि लोगों के पास पैसे नहीं हैं.इस फैसले से कॉरपोरेट को लाभ तो मिला है लेकिन लोगों को क्या मिला.उनके पास मांग को बढ़ाने के लिए पैसा कहां से आएगा.क्या कॉरपोरेट टैक्स में जो कमी आएगी उसका लाभ सैलरी में वृद्धि के रूप में देखने को मिलेगा.
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