खेल का सामान बनाने से जुड़े कारोबारी जीएसटी से परेशान हैं. इनका सालाना कारोबार तकरीबन 1700 करोड़ रुपये के आसपास है. ये लोग देश के खेल सामान की 55 फीसदी मांग पूरी करते हैं. इनमें से तकरीबन 70-80 फीसदी असंगठित क्षेत्र से जुड़े हैं, इनकी तादाद एक लाख के आसपास है.