भुवनेश्वर के जगन्नाथ अस्पताल के निदेशक और नवजात गहन चिकित्सक डॉ अरिजीत महापात्र ने कहा कि बच्चे गंभीर रूप से बीमार नहीं होते हैं, लेकिन जब वे बीमार होते हैं तो हमें विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है. कहने के लिए वह एक लड़ाकू बच्चा था. बच्चा 25 वें दिन जब आया तो उसे सांस लेने में कठिनाई हो रही थी. वह मुश्किल से सांस लेने में सक्षम था. उसे बुखार था. हमारी पूरी एनआईसीयू टीम एक साथ आई और बच्चे को ऑक्सीजन और अन्य सहायक देखभाल के साथ वेंटिलेटर पर रखा. पांच दिन बाद बच्चा ठीक हो गया. यह वास्तव में अविश्वसनीय था और बहुत उम्मीद बंधाने वाला है. मेरा मानना है कि हम इससे निपटने के लिए तैयार हैं. हमारे पास दिशानिर्देश भी हैं. हम सभी हैंडवाशिंग, डिस्टेंसिंग और सभी के बारे में जानते हैं लेकिन हम सभी को टीका लगवाने की जरूरत है. बड़ों की रक्षा होगी तो बच्चों की भी रक्षा होगी. घबराएं नहीं, केवल 1-2 प्रतिशत संभावना है कि बच्चों में मध्यम या गंभीर मामले सामने आएंगे. जितनी जल्दी हो सके 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों का टीकाकरण करें.
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