अदाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस के सीईओ आशीष राजवंशी ने शनिवार को एनडीटीवी डिफेंस समिट 2025 में कहा वर्तमान सुरक्षा चुनौतियां वास्तव में अवसर हैं. आधुनिक युद्ध को डेटा के जरिए आकार दिया जा रहा है और कॉग्निटिव वारफेयर (Cognitive Warfare) यानी संज्ञानात्मक युद्ध की भूमिका, जैसा कि ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान देखा गया, यह तय करेगी कि भविष्य के युद्ध में कौन जीतेगा. आशीष राजवंशी ने कहा ऑपरेशन सिंदूर में हमने जो देखा, वह संज्ञानात्मक युद्ध का एक प्रतिबिंब (Reflection) है. जिसके प्रति हम सभी को पूरी तरह सचेत और तैयार रहना चाहिए. संज्ञानात्मक युद्ध (Cognitive Warfare) क्या है? कृत्रिम बुद्धिमत्ता को कंट्रोल में करना है - मनुष्य और मशीन का एक साथ आना और एक ही मिशन के लिए एक ही दिशा में काम करना. यह एवेंजर्स: एज ऑफ़ अल्ट्रॉन के योद्धा जैसा है.
उन्होंने कहा कि दुनिया भर में युद्ध के मैदानों में ड्रोन युद्ध जैसी प्रौद्योगिकी में हो रहे क्रांतिकारी बदलावों को देखते हुए, भारत के लिए अगले पांच वर्षों में इन क्षमताओं का निर्माण करना महत्वपूर्ण है. उन्होंने आगे कहा अगले पांच वर्षों में यदि हम काम नहीं करते और इन क्षमताओं का निर्माण नहीं करते, तो हम बर्बाद हो जाएंगे. उन्होंने कहा मैं इन शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहता, लेकिन हमने वैश्विक बाजार के संदर्भ में हो रही तैयारी को देखा है.
अदाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस के सीईओ आशीष राजवंशी ने आगे कहा वैश्वीकरण की पूरी अवधारणा ख़त्म हो चुकी है. नाटो अब अस्तित्व में नहीं है और यूरोपीय बोर्डरूम या दक्षिण एशियाई बोर्डरूम में जो भी बातचीत हो रही है, वह स्थानीयकरण, राष्ट्रीयकरण, आत्मनिर्भरता के बारे में है. इसलिए अब नौकरशाही, अविश्वास, भ्रष्टाचार के नाम पर कोई भी अलग रास्ता अपनाने से मुझे लगता है कि हम पूरी तरह से गलत रास्ते पर जा रहे हैं.
राजवंशी ने कहा आधुनिक युद्ध में तीव्र प्रगति और भविष्य के युद्ध में तेजी से हो रहे बदलाव को समझने के लिए युद्ध के इतिहास में जाना महत्वपूर्ण है. अगर हम मानव जाति के इतिहास पर नज़र डालें, तो युद्ध उतना ही पुराना है जितना कि मानवता. हमारी सहज प्रवृत्तियों, हमारी तकनीक और हमारे समाजों को आकार देने के मामले में मानव विकास का सबसे बड़ा त्वरक, अतीत में युद्ध ही रहा है. आप दो विश्व युद्धों को देखें, उन्होंने वास्तव में पूरी तरह से नए उद्योगों को बढ़ावा दिया मशीनगनों से लेकर युद्धक टैंकों, जेट इंजनों और परमाणु बमों तक - और सबसे महत्वपूर्ण बात, स्थायी सैन्य-औद्योगिक परिसर की स्थापना, जो रक्षा के हमारे दृष्टिकोण का मुख्य आधार बन गया.
भारत के लिए यह एक बड़ा अवसर है, न कि कोई विपत्ति, क्योंकि भारत अपने उद्योग में निवेश कर रहा है. हम अपने स्टार्टअप्स में निवेश कर रहे हैं. पहली बार हम प्रतिशत के बारे में बात नहीं कर रहे हैं, कि 60 प्रतिशत स्वदेशीकरण, 70 प्रतिशत स्वदेशीकरण की बात नहीं कर रहे हैं; हम 100 प्रतिशत आत्मनिर्भरता की बात कर रहे हैं. जैसा की रक्षा मंत्री ने कहा, यह हमारे लिए अस्तित्व का सवाल है. इसलिए मुझे लगता है कि भारत जो लिख रहा है वह अतीत के सबक को मिलाकर, वर्तमान के अवसरों पर काम कर रहा है, लेकिन हमें पूरा यकीन है कि हम एक कंपनी, एक उद्योग के रूप में और एक विजन के साथ काम करते हुए भविष्य का इतिहास लिखेंगे.
राजवंशी ने कहा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के बिना 2047 तक डिफेंस में भारत आत्मनिर्भर नहीं बन सकता है. ऑपरेशन सिंदूर को लेकर प्राइवेट सेक्टर की आलोचना सही नहीं, और वक्त देना होगा.