स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का ऐलान और 10 दिन के भीतर शुरुआत. ये नया भारत है. कथनी और करनी में न कोई फर्क और न ही देर. हम बात कर रहे हैं, सुदर्शन चक्र प्रोजेक्ट के पहले चरण में इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम (IADWS) की, जिसका परीक्षण सफल रहा है. ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को शिकस्त देने के करीब साढ़े तीन महीने बाद भारत की रक्षा प्रणाली में ये एक अहम मोड़ है. पीएम मोदी ने अपने 15 अगस्त के भाषण में एयर डिफेंस सिस्टम 'मिशन सुदर्शन चक्र' की घोषणा की थी. IADWS बार्डर से लेकर शहरों और सामरिक ठिकानों के लिए सुरक्षा कवच के तौर पर काम करेगा.
आसमान से ड्रोन और मिसाइलों के हमलों को नाकाम करने की अपनी क्षमता को और भी मजबूत बनाने के लिए भारत ने ये ऐतिहासिक कदम उठाया है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने रविवार को ओडिशा के तट पर इंटीग्रेटेड एअर डिफेंस वेपन सिस्टम (IADWS) का सफल परीक्षण किया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि की जानकारी इंटरनेट मीडिया एक्स पर साझा करते हुए कहा कि इस परीक्षण ने देश की बहुस्तरीय हवाई सुरक्षा क्षमता को कई गुना बढ़ा दिया है.
बता दें कि 'सुदर्शन चक्र' प्रोजेक्ट भारत को इजराइल के 'आयरन डोम' जैसी एक ऐसी मल्टी-लेयर्ड वायु रक्षा प्रणाली देगी, जो 2035 तक पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाएगी. यह प्रणाली दुश्मन के लड़ाकू विमानों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन हमलों के खिलाफ एक अचूक रक्षा कवच का काम करेगी.
सबसे जरूरी बात ये कि IADWS कोई एक हथियार नहीं है, बल्कि ये एक बहु-स्तरीय रक्षा प्रणाली है, जिसमें तीन मुख्य हथियार एक साथ मिलकर काम करते हैं. ये तीनों ही पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से विकसित किए गए हैं:
डीआरडीओ प्रमुख समीर वी कामत ने इसे 'स्टार वॉर्स जैसी क्षमताओं' की ओर पहला कदम बताया है. यह प्रणाली दुश्मन के तेज रफ्तार और अधिक ऊंचाई वाले खतरों, जैसे कि एयरक्राफ्ट और मिसाइलों का सामना करने के लिए बनाई गई है. रडार से खतरा महसूस होते ही, कमान सेंटर इसे सक्रिय कर देता है. डीआरडीओ द्वारा विकसित इसका प्रोडक्शन बीडीएल (BDL) और बीईएल (BEL) द्वारा किया जा रहा है.
खासियत: इसकी मारक क्षमता 5-30 किलोमीटर तक है और यह 10 किलोमीटर की ऊंचाई तक हमला कर सकती है. इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर है, जो दुश्मन के सिग्नल को पकड़कर उसे भेदता है, जिससे इसे धोखा देना लगभग नामुमकिन है. यह एक साथ 6 लक्ष्यों को निशाना बना सकती है.
यह सिस्टम कम दूरी के और धीमी गति वाले हवाई हमलों से निपटने के लिए बनाया गया है. यह चौथी पीढ़ी का 'मैन पोर्टेबल' एयर डिफेंस सिस्टम (MANPAD) है, जो इतना हल्का है कि सैनिक इसे आसानी से अपने साथ ले जा सकते हैं. यह सेना की फॉरवर्ड पोस्ट्स पर तैनात होगा और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन्स को सटीकता से मार गिराने में सक्षम है.
खासियत: इसकी रेंज 300 मीटर से 6 किलोमीटर तक है. IADWS का हिस्सा बनकर यह भारत की वायु रक्षा का सबसे भीतरी सुरक्षा घेरा होगा.
यह एक भविष्य की तकनीक पर आधारित हथियार है जो बिना किसी गोला-बारूद के, सिर्फ लेजर जैसी ऊर्जा से हमला करता है. यह 30 किलोवाट की लेजर ऊर्जा उत्सर्जित करता है, जो एक सामान्य घर के बिजली कनेक्शन से 10 गुना ज्यादा शक्तिशाली है.
खासियत: यह हथियार दुश्मन के ड्रोन और झुंड में हमला करने वाले ड्रोनों को बिना छुए ही नष्ट या निष्क्रिय कर सकता है. इसका सफल परीक्षण अप्रैल 2025 में आंध्र प्रदेश के कुरनूल में किया गया था. भविष्य में इसे नौसैनिक जहाजों और लड़ाकू विमानों पर भी लगाने की योजना है.
जब कोई दुश्मन का हमला होता है, तो पहले रडार यूनिट से खतरों की पहचान और विश्लेषण किया जाता है. इसके बाद, कमान सेंटर खतरों की गति और ऊंचाई के आधार पर QRSAM या VSHORADS को सक्रिय करता है. यदि कोई हमला बेहद करीब से या धीमी गति से होता है, तो VSHORADS उसे मार गिराता है. वहीं, तेज रफ्तार वाले और दूर के खतरों के लिए QRSAM का इस्तेमाल किया जाता है. इसके साथ ही, DEW प्रणाली भी ड्रोन और मिसाइलों को निष्क्रिय करने में सक्षम है.
यह प्रणाली केवल एक परीक्षण नहीं है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत की ताक़त और सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम है. 'सुदर्शन चक्र' के पूरी तरह से तैयार हो जाने के बाद भारत के आसमान की सुरक्षा अभेद्य हो जाएगी, जो दुश्मन के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.
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