रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने NDTV डिफेंस समिट में दुनिया में चल रहे राजनीतिक उथल-पुथल, ट्रेड वॉर से लेकर भारतीय सेनाओं के पराक्रम, इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों समेत तमाम मुद्दों पर देश का पक्ष रखा. उन्होंने इशारों ही इशारों में अमेरिका (Rajnath Singh On US Trade War) को भी बता दिया कि भारत किसी के सामने झुकेगा नहीं. कोई भी देश भारत का दुश्मन नहीं है. सबकुछ डिटेल में जानें.
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भारत की सेनाओं ने कुछ ही महीने पहले दुनिया के सामने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए शौर्य और पराक्रम का परिचय दिया है. वहीं दूसरी ओर पूरी दुनिया में कई स्थानों पर युद्ध की स्थिति बनी हुई है. यहां तक कि ट्रेड को लेकर भी युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है.
आज की शिफ्टिंग जियो पॉलिटिक्स ने यह साबित कर दिया है कि आज के समय में डिफेंस सेक्टर में दूसरे पर निर्भर रहना कोई विकल्प नहीं है. हमारी इकॉनमी और हमारी सिक्यॉरिटी, दोनों के लिए आत्मनिर्भरता बहुत जरूरी है. पीएम नरेंद्र मोदी का भी यही विजन है. सरकार के हर फैसले में आत्मनिर्भरता का विजन है.
इस दुनिया में उथल-पुथल चल रही है. एक तरह का संरक्षणवाद विकिसित कहे जाने वाले देश की तरफ से देखने को मिल रहा है. ट्रेड वॉर और टैरिफ वॉर की स्थिति गंभीर होती जा रही है. किसी समय एडमंड बर्क (एंग्लो-आयरिश राजनीतिज्ञ और दार्शनिक) ने ईस्ट इंडिया कंपनी के बारे में कहा था- A state in the disguise of a merchant.(सौदागर के भेष में एक देश). आज के समय में स्टेट व्यापारी के जैसे बर्ताव कर रहा है. ऐसे में उनका यह कोट थोड़े बदलाव के साथ - A merchant in the disguise of a state. (एक देश के भेष में सौदागर) बन गया है.
पीएम मोदी ने स्पष्ट कहा है कि हम कभी भी अपने सिद्धांतों और मूल्यों से समझौता नहीं करेंगे. कोई भी देश जब आगे बढ़ता है तो कुछ देशों के साथ उसके विचार मिलते हैं. वहीं कुछ देशों के साथ उसके विचार नहीं भी मिलते हैं. जिनके साथ विचार मिलते हैं, उन्हें आमतौर पर फ्रेंडली देश समझा जाता है. जिनसे विचार नहीं मिलते हैं, उन्हें adversary (बैरी/विरोधी) समझा जाता है.
अंतरराष्ट्रीय संबंधों के संबंध में यह चर्चित तौर पर कहा जाता है कि इसमें कोई स्थायी शत्रु या मित्र नहीं, केवल स्थायी हित होते हैं. भारत किसी को अपना दुश्मन नहीं मानता, लेकिन हमारे लिए अपने लोगों का , अपने किसानों का, अपने छोटे व्यापारियों का, अपने देशवासियों का हित सबसे ऊपर है. किसी भी कीमत पर इसको लेकर समझौता नहीं किया जाएगा. चाहे कितना भी दबाव डाला जाए. भारत इन्हें सर्वोच्च प्राथमिकता देता रहेगा.
भूगोल में पढ़ाया जाता है कि चट्टान पर जितना दबाव पड़ता है, वह उतनी ही मजबूत होती है. मुझे लग रहा है भारत पर जितना दवाब डाला जाएगा, भारत उतनी ही मजबूत चट्टान के तौर पर सामने आएगा. हमारी रणनीति और आत्मनिर्भरता किसी भी ग्लोबल दबाव के बावजूद अडिग है और यह स्थिर रही है.
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