इस साल कोरोना वायरस के कारण वर्क कल्चर में काफी बदलाव हुए हैं. इस साल ज्यादातर कंपनियों ने वर्क फ्रॉम की इजाज़त दी है. माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन उन टेक कंपनियों में शामिल हो गई है, जो अपने कुछ कर्मचारियों को अगर वे चाहें, तो स्थायी तौर पर वर्क फ्रॉम होम की इजाजत देगी.
सॉफ्टवेयर कंपनियों ने कर्मचारियों के लिए एक हाइब्रिड वर्कप्लेस गठित किया है जिससे उन्हें अमेरिका में दफ्तरों के दोबारा खुलने पर ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी मिलेगी. कंपनी ने कंपनी के ब्लॉग पोस्ट में इसकी जानकारी दी है.
फेसबुक ने जनवरी से ही की थी शुरूआत
चीन में जब कोविड 19 महामारी के फैलने की खबरें आई थीं, तभी फेसबुक ने वैश्विक महामारी के खतरे की आशंका के चलते अपने कुछ कर्मचारियों को लंबे समय के लिए वर्क फ्रॉम होम की सहूलियत देने की पहल कर दी थी. इसके बाद जैसे जैसे महामारी विकराल होती चली गई, फेसबुक के ज़्यादातर कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम करने लगे.
काम भी दूर से और हायरिंग भी
ज़करबर्ग के मुताबिक अमेरिका में कंपनी की ओपन भूमिकाओं के लिए दूर से भर्ती और काम की व्यवस्था हो चुकी है. फेसबुक के दुनिया भर में 48 हज़ार से ज़्यादा कर्मचारियों में से ज़्यादातर इस साल के आखिर तक अपने ठिकाने से काम करने का आवेदन कर सकेंगे.
कोरोना के बाद भारत में वर्क कल्चर
कोरोना वायरस के कारण भारत में ज्यादातर कंपनी ने वर्क फ्रॉम होम की इजाजत दी है. इन कंपनियों में पेप्सीको, आईटीसी, टाटा मोटर्स, मोंड्लेज, एमवे और फ्लिपकार्ट आदि शामिल हैं. यह कंपनियां अपने स्टाफ का उत्साह बनाए रखने के लिए काफी जतन कर रही है. कोरोना संकट के इस दौर में स्टाफ भी अपने कंपनियों के कामकाज को बेहतर बनाने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं.
स्टाफ के घर से काम करने से कंपनियों को हर महीने लाखों की बचत हो रही है. इसे देखते हुए मैनेजमेंट इस बात पर विचार कर रहा है कि कोविड-19 का दौर खत्म हो जाने के बाद भी वह कर्मचारियों को ‘वर्क फ्रॉम होम' की सुविधा देती रहेगी.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की बड़ी एचआर (ह्यूमन रिसोर्स) फर्मों में से एक रैंडस्टैड इंडिया की चीफ़ पीपुल ऑफिसर अंजली रघुवंशी के मुताबिक़, "पहले जो रोल्स पारंपरिक रूप से वर्क फ्रॉम होम नहीं होते थे, वो भी अब इस दायरे में आने लगे हैं. पहले जिन सेक्टरों में वर्क फ्रॉम होम नहीं था उनमें भी अब इसके लिए दरवाजे़ खुल रहे हैं. मसलन, सेल्स वाले रोल्स में भी वर्क फ्रॉम होम मिलने लगा है. सेल्स के लोगों को कहा जा रहा है कि वे क्लाइंट्स के साथ वर्चुअल मीटिंग करें."
भारत में कोरोना का नौकरियों पर असर
कोरोना वायरस का असर नौकरीपेशा लोगों पर पड़ा, जिसकी वजह से दुनियाभर में से करोड़ों लोगों की नौकरी चली गई थी. भारत में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इकनॉमी यानी सीएमआईई (CMIE) ने कहा है कि जुलाई के महीने में करीब 50 लाख लोगों की नौकरी गई थी, जिसके चलते कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन की वजह से नौकरी गंवाने वालों की संख्या 1.89 करोड़ तक पहुंच गई थी. जून में अनलॉक की प्रक्रिया के साथ ही नौकरियां में कुछ रिकवरी दिखने लगी थी, लेकिन लोकल लेवल पर लगने वाले छोटे-छोटे लॉकडाउन की वजह से जुलाई में नौकरियों में फिर से गिरावट देखने को मिली. हालांकि कोरोना की स्थिति देश में वैसी की वैसी है, वहीं नौकरीपेशा लोगों को इस बात का डर हर पल है, कहीं उनकी नौकरी न चली जाएं.
नौकरी जाने पर खोला रोडसाइड बिरयानी स्टॉल
साल 2020 दुनियाभर के लिए ही बहुत दुखद और बुरा साबित हो रहा है. कहीं किसी की नौकरी चली गई तो कहीं किसी का कोई अपना बिछड़ गया. बहुत से लोग बेघर हुए तो बहुत से लोग बेरोजगार. कोरोना वायरस महामारी ने दुनियाभर में लोगों से उनका बहुत कुछ छीन लिया है. यहां तक कि देश की आर्थिक व्यवस्था भी खराब हो गई है. कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से बहुत से बीमारियों का शिकार हो गए और मानसिक रूप से भी परेशान हुए. मुंबई के शेफ अक्षय पारकर कोरोना के पहले बहुत अच्छी लाइफस्टाइल जी रहे थे. वे इंटरनेशनल क्रूज और 5 और 7 स्टार होटलों में शेफ की नौकरी कर चुके हैं. लेकिन, केरोना महामारी के इस दौर में उनकी 8 साल पुरानी नौकरी भी चली गई. लेकिन, अक्षय ने हार नहीं मानी और अपनी इतनी अच्छी लाइफस्टाइल जीने के बावजूद अपना गुज़ारा करने के लिए रोडसाइड बिरयानी स्टॉल खोल ली.
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