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प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी- अमीरों के कारण गरीब परेशान,  17 दिसंबर को सुनवाई, कड़े निर्देश जारी कर सकता है SC

प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी- अमीरों के कारण गरीब परेशान,  17 दिसंबर को सुनवाई, कड़े निर्देश जारी कर सकता है SC

Highlights

  1. SC में CJI सूर्यकांत ने कहा कि "महानगरों में लोग गंभीर प्रदूषण के बावजूद अपनी लाइफस्टाइल नहीं बदलना चाहते."
  2. चीफ जस्टिस ने कहा, "इन शहरी महानगरों में लोगों की अपनी लाइफस्टाइल होती है. लेकिन गरीबों का क्या होगा..."
  3. बिगड़ते वायु प्रदूषण से जुड़ी याचिकाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ 17 दिसंबर को सुनवाई करेगी."

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बिगड़ते वायु प्रदूषण से जुड़ी याचिकाओं पर 17 दिसंबर को सुनवाई करेगा. मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्य बागची और जस्टिस विपुल एम पामचोली की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह की दलीलों पर गौर किया. अपराजिता सिंह एमिकस क्यूरी या न्यायमित्र के तौर पर कोर्ट की सहायता कर रही हैं. इस सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि "कुछ निर्देश जबरन लागू किए जा सकते हैं, लेकिन शहरी महानगरों में लोग गंभीर प्रदूषण के बावजूद अपनी लाइफस्टाइल नहीं बदलना चाहते हैं."

इस दौरान एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने कहा कि जब तक यह अदालत कोई निर्देश नहीं देती, अधिकारी पहले से मौजूद प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते हैं.

इस पर सीजेआई ने कहा, ‘‘यह मामला बुधवार को तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष आएगा और इस पर सुनवाई होगी.''

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बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे से जुड़े एक आवेदन का हवाला देते हुए कोर्ट से कहा गया कि पहले के आदेशों के बावजूद स्कूल बाहरी खेल गतिविधियों का आयोजन कर रहे हैं.

अपराजिता सिंह ने कहा, ‘‘इस अदालत के आदेश के बावजूद स्कूलों ने इन खेल गतिविधियों को आयोजित करने के तरीके खोज लिए हैं. ये गतिविधियां हो रही हैं.''

चीफ जस्टिस ने कहा, ‘‘हम समस्या को जानते हैं और हम ऐसे आदेश पारित करेंगे जिनका पालन किया जा सके. कुछ निर्देश ऐसे हैं जिन्हें बलपूर्वक लागू किया जा सकता है. महानगरों में लोगों की अपनी लाइफस्टाइल होती है और वो गंभीर वायु प्रदूषण के बावजूद उसमें बदलाव नहीं लाना चाहते. लेकिन  गरीबों का क्या होगा...''

इस पर एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने कहा कि गरीब मजदूर सबसे अधिक पीड़ित हैं.

इससे पहले पीठ ने कहा था इस समस्या के अल्पकालिक और दीर्घकालिक समाधान खोजने के लिए महीने में दो बार मामले की सुनवाई की जाएगी.

सोमवार को इस सुनवाई के दौरान दिल्ली घनी धुंध की चादर में लिपटी रही और AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) 498 पर पहुंच गया, जो ‘गंभीर' श्रेणी में आता है.

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