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हिन्दी दिवस

हर साल 14 सितंबर को समूचा देश और दुनिया के कोने-कोने में बसे हिन्दीभाषी भारतवासी हिन्दी दिवस मनाते हैं. दरअसल, वर्ष 1949 में इसी दिन, यानी 14 सितंबर को संविधान सभा ने हिन्दी को केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा बनाए जाने का फ़ैसला किया था. इस निर्णय के पीछे कारण था कि देश के बहुत बड़े हिस्से में ज़्यादातर हिन्दी ही बोली और लिखी-पढ़ी जाती थी. इसके बाद, इसी फ़ैसले की अहमियत समझाने और हिन्दी का देश के हर कोने तक प्रसार करने के उद्देश्य से वर्ष 1953 से समूचे देश में हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है.

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  • हिन्दी दिवस क्विज़ : देशभक्‍त कवि प्रदीप के बारे में कितना जानते हैं आप? यहां जांच लें
    Written by Tilak Raj | Saturday September 14, 2024 , नई दिल्‍ली

    Hindi Diwas: कवि प्रदीप को 'देशभक्‍त कवि' माना जाता है. आज हम लेकर आए हैं, कवि प्रदीप से जुड़े कुछ खास सवाल. NDTV की इस क्विज की मदद से आप हिंदी के महान रचनाकार को और करीब से जान पाएंगे.

  • हिन्दी दिवस क्विज़ : अपना भाषा ज्ञान जांचें - भाग 6
    Written by Vivek Rastogi | Friday September 13, 2024 , नई दिल्ली

    NDTV की यह हिन्दी वर्तनी क्विज़ सीरीज़ आपको अपना भाषा ज्ञान जांचने में तो मदद करेगी ही, आपके शब्दकोश को विस्तार भी देगी. हमारी हर हिन्दी क्विज़ में सात हिन्दी शब्दों को दो-दो बार लिखा गया है, जिनमें से एक वर्तनी सही है, और एक गलत, और आपको सिर्फ़ सही वर्तनी में लिखे शब्द को चुनना है.

  • हिन्दी दिवस क्विज़ : अपना भाषा ज्ञान जांचें - भाग 5
    Written by Vivek Rastogi | Friday September 13, 2024 , नई दिल्ली

    NDTV की इस क्विज़ की सहायता से आप न सिर्फ़ अपना भाषा ज्ञान जांच सकेंगे, बल्कि आपका शब्दकोश भी इससे निश्चित रूप से विस्तृत होगा. NDTV की प्रत्येक हिन्दी क्विज़ में सात हिन्दी शब्द दो-दो बार लिखे गए हैं, और उनमें से एक वर्तनी गलत है, और एक सही, और आपको सही वर्तनी को चुनना है.

ब्लॉग

  • हिंदी में नुक़्ता के इस्तेमाल की सीमा क्या हो, मीडिया किस राह पर चले?

    हिंदी में नुक़्ता के इस्तेमाल की सीमा क्या हो, मीडिया किस राह पर चले?Amaresh Saurabh

    Saturday September 14, 2024

    भाषा के कई विद्वान हिंदी में नुक़्ता का प्रयोग साफ तौर पर न किए जाने के पक्षधर हैं. इनका तर्क है कि बाहर से आए जिन शब्दों में नुक़्ता लगाया जाता है, उन शब्दों को अब हिंदी ने पूरी तरह अपना लिया है. जब वैसे शब्द हिंदी में पूरी तरह घुल-मिल चुके हैं, तो उन्हें हिंदी के बाकी शब्दों की तरह बिना नुक़्ता के ही लिखा जाना चाहिए. ज़्यादातर हिंदीभाषी उन शब्दों का उच्चारण भी वैसे ही करते हैं, जैसे उनमें नुक़्ता न लगा हो.

  • हिन्दी में तेज़ी से फैल रहे इस 'वायरस' से बचना ज़रूरी है...!

    हिन्दी में तेज़ी से फैल रहे इस 'वायरस' से बचना ज़रूरी है...!Amaresh Saurabh

    Wednesday September 11, 2024

    यहां हिंदी बोलने और लिखने में अंग्रेजी या दूसरी भाषाओं के शब्दों के बढ़ते इस्तेमाल की बात नहीं हो रही है. दूसरी भाषाओं के शब्दों को अपने में अच्छी तरह समा लेना तो अच्छी बात है. इससे तो हिंदी समृद्ध ही हो रही है.