1999 की गर्मियों में दुनिया उस वक्त स्तब्ध रह गई, जब पाकिस्तानी सैनिक आतंकियों के वेश में कारगिल की बर्फीली ऊंचाइयों पर चुपचाप कब्ज़ा कर बैठे. ये वे पोस्ट थीं, जिन्हें भारतीय सेना ने मौसम की कठोरता के कारण अस्थायी रूप से खाली किया था. इस दुस्साहसिक घुसपैठ के ज़रिए पाकिस्तान की मंशा साफ थी- नियंत्रण रेखा (LoC) को बदलना, लद्दाख को कश्मीर से अलग करना और कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाना.
भारत ने इसका जवाब कारगिल युद्ध के रूप में दिया, एक ऐसा सैन्य अभियान जिसने भारतीय सेना के अद्वितीय साहस, समर्पण और रणनीतिक कौशल की मिसाल पेश की. हमारी सेनाओं ने एक-एक ऊंचाई को फिर से हासिल किया और घुसपैठियों को खदेड़ दिया. युद्ध का अंत पाकिस्तान की सैन्य और कूटनीतिक पराजय के रूप में हुआ. इसने उसके आक्रामक इरादों और कब्ज़ाए गए इलाकों में प्रशासनिक नाकामी को उजागर कर दिया.
इस घटना के 26 साल बाद, अब नियंत्रण रेखा के दोनों ओर की तस्वीर बिल्कुल बदल चुकी है. एक ओर भारत का जम्मू-कश्मीर विकास, पर्यटन, शिक्षा और नवाचार का केंद्र बन चुका है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र ( पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर - PoJK) और गिलगित-बाल्टिस्तान (PoGB) आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
कारगिल की विजय सिर्फ़ सीमाओं की रक्षा नहीं थी, यह भारत की लोकतांत्रिक प्रतिबद्धता और समावेशी विकास की नींव थी. 2019 में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद, जम्मू-कश्मीर ने विकास की एक नई यात्रा शुरू की है.
साल 2024 में 18 लाख से ज्यादा पर्यटक कश्मीर घाटी की सुंदरता का अनुभव करने पहुंचे थे. श्रीनगर में जी20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक यहां कायम हुई शांति का अंतरराष्ट्रीय प्रमाण है.
जम्मू-कश्मीर के लोग भी प्रेरणा बन रहे हैं:
ये बदलाव संयोग नहीं बल्कि नीति, संकल्प और निरंतर प्रयास का परिणाम हैं.
दूसरी ओर पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र - PoJK और PoGB - आज भी उपेक्षा, दमन और पिछड़ेपन की गिरफ्त में हैं.
इतना ही नहीं, इन इलाकों में राजनीतिक असहमति को भी कुचल दिया गया है:
2018 का PoJK अंतरिम संविधान संशोधन, पाकिस्तान के ख़िलाफ़ बोलने को अपराध घोषित करता है.
भारत के जम्मू-कश्मीर में आज का युवा शिक्षा, स्टार्टअप, खेल और वैश्विक मंचों से जुड़ रहा है, वहीं पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के युवा अवसरों के अभाव में कट्टरता, दुष्प्रचार और अवसाद की ओर धकेले जा रहे हैं.
इसके उलट, भारत ने जम्मू-कश्मीर में आपदा प्रबंधन, पुनर्वास और दीर्घकालिक विकास में लगातार निवेश किया है. यही दृष्टिकोण का असली अंतर है.
भारत जहां अपने नागरिकों के सपनों को साकार करने के लिए पुल, सुरंगें, संस्थान, रोजगार और आत्मबल दे रहा है, वहीं पाकिस्तान अपने ही नागरिकों की ज़मीन को सामरिक संपत्ति मानकर उनका दोहन कर रहा है. वो कारगिल, जहां कभी युद्ध की आग दहकी थी, अब वहां विकास की बयार बह रही है. दूसरी तरफ स्कर्दू की वादियां आज भी टूटी उम्मीदों और अधूरे वादों की गूंज से भरी हैं.
कारगिल युद्ध भले ही सैनिक मोर्चे पर भारत की जीत थी, लेकिन उसकी असली उपलब्धि विकास की नींव रखना थी. जम्मू-कश्मीर जो कभी संघर्ष का केंद्र था, आज शांति और संभावना का प्रतीक है. वही, PoJK और PoGB आज भी पाकिस्तान की उपेक्षा, दमन और शोषण का बोझ उठाए हुए हैं.
यह सिर्फ़ दो भौगोलिक क्षेत्रों की कहानी नहीं बल्कि दो सोचों की टकराहट है. एक सोच जो अपने नागरिकों को सशक्त बनाती है, और दूसरी जो उन्हें मोहरा मानती है. कारगिल कभी सिर्फ़ एक सामरिक जीत थी, आज वह लोगों के आत्मविश्वास और भविष्य में भारत की जीत बन चुकी है.
हिंदी पखवाड़ा 2025: भाषाओं की नई उड़ान और नई चुनौतियां लेकर आया है AI
हिमांशु जोशी15 अगस्त के मौके पर जोशीला और असरदार भाषण तैयार करने की 8 आसान टिप्स
Written by: सुभाषिनी त्रिपाठीIndependence Day 2025 Quiz : स्वतंत्रता दिवर पर इन 20 सवालों के जवाब देकर जीत सकते हैं इनाम...
Written by: सुभाषिनी त्रिपाठी© Copyright NDTV Convergence Limited 2025. All rights reserved.