दुनियाभर में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या 10 लाख से अधिक हो गयी है. मरने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ती ही जा रही है. लेकिन इन दोनों के अलावा एक और संख्या है, वो है ठीक होने वालों की. उनकी संख्या कम है, क्योंकि लेंसकेट के एक स्टडी के अनुसार जो ठीक होकर आते हैं उन्हें औसतन 24-25 दिन लग जाते हैं, और जो ठीक होकर नहीं आते हैं उन्हें शायद 18 दिन से अधिक का मौका नहीं मिलता है. ऐसे में बहुत जरूरी है कि जो लोग ठीक हुए हैं उनसे हम बात करें. उनके अनुभवों को साझा करें, ताकि हमारा मनोबल ऊंचा रहे, बढ़ा रहे. ताकि उन्हें हम देख सकें कि उन्होंने कैसे कोरोना से लड़ाई लड़ी है. पहली बार जब सूचना मिली कि कोरोना हुआ है तब उनकी क्या प्रतिक्रिया थी. इसी प्रकार आइसोलेशन वार्ड में कैसे रहे? ऐसे ही एक मरीज राहुल जो पटना के फुलवारीशरीफ के एक गांव के रहने वाले हैं उन्होंने हमसे अपना अनुभव शेयर किया है.
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