महाकुंभ क्या है
देव-असुर युद्ध के दौरान दोनों पक्ष समुद्र मंथन के लिए राजी हुए थे. समुद्र को मथने के लिए मंदराचल पर्वत को मथनी और नागवासुकि से नेति बनाई गई थी. समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले. इन्हें दोनों पक्षों ने आपस में बांट लिया था. इस दौरान धनवंतरि अमृत कलश लेकर निकले. उन्होंने अमृत को देवताओं को दे दिया. इससे वहां युद्ध की स्थिति पैदा हो गई. भगवान विष्णु मोहिनी का रूप धारण कर अमृत बांटने लगे.अमृत कलश की सुरक्षा का जिम्मा इंद्र के पुत्र जयंत संभाल रहे थे. जब वो दानवों से बचाने के लिए अमृत कलश लेकर स्वर्ग की ओर भाग रहे थे, तो अमृत की कुछ बूंदे पृथ्वी पर चार जगहों पर गिरीं. इन्हीं चार जगहों पर कुंभ और अर्धकुंभ का आयोजन हर बारह साल पर किया जाता है.
कहां कहां लगता है कुंभ
प्रयागराज महाकुंभ
12 कुंभ के बाद लगने वाले कुंभ को महाकुंभ कहा जाता है. तीर्थ राज प्रयागराज में पौष पूर्णिमा से महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है. अगले 45 दिन तक देश-दुनिया से आने वाले करोड़ों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाएंगे. इस दौरान छह स्नान पर्व होंगे. इन्हें अमृत स्नान के नाम से भी जाना जाता है.
सामान्य स्नान:
प्रयागराज गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर बसा है. ऐसी मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और बीमारियां दूर हो जाती हैं.गंगा को मोक्षदायिनी और जीवनदायिनी भी माना जाता है. ऐसे में संगम और गंगा में रोज स्नान कर भी श्रद्धालु पुण्य कमा सकते हैं
अमृत स्नान
पौष पूर्णिमा (13 जनवरी)
हिंदू पंचांग के मुताबिक पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा होती है. इस दिन चंद्रमा पूर्णरूप में दिखाई देता है. इसलिए पूर्णिमा को पवित्र तिथि माना जाता है. इस दिन सूर्य और चंद्र की पूजा व गंगा में स्नान करना शुभ माना जाता है.ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
मकर संक्रांति (14 जनवरी)
हिंदू पंचांग के अनुसार जब भगवान सूर्य धनु राशि का भ्रमण पूरा कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उस काल को मकर संक्रांति कहा जाता है. मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होते हैं. इसके बाद से दिन बड़े होने लगते हैं. ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन नदियों में स्नान करने, पूजा-पाठ, तिल, घी, गुड़ और खिचड़ी का दान देने से अक्षय पुण्य मिलता है.
मौनी अमावस्या (29 जनवरी)
माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं.मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान के लिए ग्रहों की स्थिति अनुकूल होती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत का पालन करते हुए जो व्यक्ति उपासना करता है वह सभी प्रकार के भौतिक सुखों को पाकर अंत में मोक्ष प्राप्त करता है.
वसंत पंचमी (3 फरवरी)
माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को वसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है.इसी दिन ज्ञान की देवी सरस्वती के आविर्भाव का उत्सव मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि वसंत पंचमी से ही ऋतुओं में बदलाव होता है.वसंत पंचमी पर पवित्र नदियों में स्नान, दान और पूजन का विशेष महत्त्व है.
माघी पूर्णिमा (12 फरवरी)
माघ माह की अंतिम तिथि को माघी पूर्णिमा कहा जाता है.माघी पूर्णिमा पर स्नान, वस्त्र और गोदान करने से दैहिक-दैविक कष्ट दूर होते हैं.ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवता पृथ्वी का भ्रमण करते हैं.
महा शिवरात्रि (26 फरवरी)
फाल्गुन के कृष्ण पक्ष के 13वें दिन महाशिवरात्रि मनाई जाती है. इसी दिन भगवान शिव का पार्वती जी से विवाह हुआ था. कुंभ का अंतिम अमृत स्नान इसी दिन होता है.इस दिन शिवालयों में जाकर पवित्र जल और अन्य चीजों से पूजा और अभिषेक करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.
कैसे पहुंचे प्रयागराज
प्रयागराज देश के प्रमुख शहरों में से एक है. धार्मिक स्थानों के साथ-साथ यह शहर अपने शिक्षण संस्थानों के लिए मशहूर है. प्रयागराज देश के प्रमुख शहरों से सड़क, रेल और हवाई सेवाओं के जरिए जुड़ा हुआ है. इन तीनों ही माध्यमों से प्रयागराज आसानी से पहुंचा जा सकता है. इसलिए ट्रेनों के जरिए आसानी से प्रयागराज पहंचा जा सकता है.
प्रयागराज और उसके आसपास के रेलवे स्टेशन और उनके कोड
क्या प्रयागराज में हवाई अड्डा है.
प्रयागराज में नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से संचालित एक हवाई अड्डा है. इस हवाई अड्डे से देश के प्रमुख शहरों के लिए हवाई सेवा उपलब्ध है. इस हवाई अड्डे पर रात में भी उड़ान भरने की सुविधा उपलब्ध है. महाकुंभ के लिए कई एयरलाइंस ने हवाई सेवा शुरू की है. दिल्ली से प्रयागराज की दूरी करीब 700 किमी है.राजधानी दिल्ली से प्रयागराज के लिए सीधे एयर कनेक्टिविटी है. कई एयरलाइंस दिल्ली से प्रयागराज की उड़ानें संचालित कर रही हैं. इन उड़ानों की जानकारी इन एयरलाइंस की बेवसाइट पर जाकर ली जा सकती है.
प्रयागराज के नजदीकी शहर कौन से हैं, जहां हवाई सेवा उपलब्ध है और उनकी दूरी कितनी है.
शहर | हवाई अड्डा | दूरी | रोड यात्रा में लगने वाला समय |
---|---|---|---|
वाराणसी | लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा | 123 किमी | 2 घंटे 22 मिनट |
कानपुर | सिविल एयरपोर्ट | 210 किमी | 4 घंटे |
लखनऊ | चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा | 260 किमी | 4 घंटे 45 मिनट |
अयोध्या | महर्षि वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा | 165 किमी | 4 घंटे |
गोरखपुर | महायोगी गोरखनाथ हवाई अड्डा | 290 किमी | 8 घंटे |
प्रयागराज के इन नजदीकी शहरों के हवाई अड्डों से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद समेत देश के दूसरे बड़े शहरों के लिए फ्लाइट मिलती हैं. इन शहरों से भी प्रयागराज की यात्रा सड़क या रेलवे के जरिए की जा सकती है. इन सभी शहरों से प्रयागराज के लिए सीधे बसें और ट्रेनें चलती हैं.
प्रयागराज के लिए बस की सुविधा
प्रयागराज ऐतिहासिक जीटी रोड या ग्रैंड टैंक रोड के किनारे बसा हुआ है. इसके आसपास कई राष्ट्रीय राजमार्ग है. यह शहर इनके जरिए देश के बाकी शहरों से भी सड़क मार्ग के जरिए जुड़ा हुआ है. उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम प्रदेश के बड़े शहरों के साथ-साथ दूर-दराज के शहरों को भी जोड़ता है. महाकुंभ के लिए यूपी रोडवेज हजारों बसों का संचालन कर रहा है. इनमें लग्जरी बसों के साथ-साथ एसी बसें और साधारण बसें शामिल हैं. महाकुंभ में जाने के लिए श्रद्धालु यूपी रोडवेज की वेबसाइट (www.onlineupsrtc.co.in) से बसों की जानकारी ले सकते हैं. यात्री अपना रिजर्वेशन भी इस वेबसाइट से करा सकते हैं. इनके अलावा प्राइवेट ऑपरेटर भी देश के अलग-अलग शहरों से प्रयागराज के लिए बसें चलाते हैं. इन बसों की जानकारी आप उनकी वेबसाइटों या टिकटिंग की सुविधा देने वाली साइटों पर जाकर ले सकते हैं.
प्रयागराज में कितने बस अड्डे हैं
- प्रयागराज बस अड्डा या सिविल लाइंस बस अड्डा
- कचहरी बस अड्डा
महाकुंभ के लिए प्रयागराज में बने अस्थायी बस अड्डे
कौन से टोल प्लाजा फ्री किए गए हैं
महाकुंभ के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की मांग पर केंद्र सरकार ने प्रयागराज के आसपास के सात टोल प्लाजा को टोल फ्री कर दिया है. इन टोल प्लाजा पर आम गाड़ियों से कोई टोल नहीं वसूला जाएगा.
उमापुर टोल प्लाजा | चित्रकूट राजमार्ग |
गन्ने टोल प्लाजा | रीवा राजमार्ग |
मुंगारी टोल प्लाजा | मीरजापुर मार्ग |
हंडिया टोल प्लाजा | वाराणसी मार्ग |
कोखराज टोल प्लाजा | कानपुर मार्ग |
अंधियारी टोल प्लाजा | लखनऊ मार्ग |
मऊआइमा टोल प्लाजा | अयोध्या मार्ग |
प्रयागराज के मंदिर
अगर आप महाकुंभ में शामिल होने जा रहे हैं तो प्रयागराज में इन मंदिरों में दर्शन करना न भूलें.
श्री लेटे हुए हनुमान
दारागंज में गंगा जी के किनारे लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर है. ऐसी मान्यता है कि संत समर्थ गुरु रामदास जी ने यहां हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना की थी. शिव-पार्वती, गणेश, भैरव, दुर्गा, काली और नवग्रह की मूर्तियां भी मंदिर परिसर में स्थापित हैं. इसके पास ही श्री राम जानकी मंदिर और हरित माधव मंदिर स्थित है.
अक्षयवट
अक्षयवट या अविनाशी वटवृक्ष पौराणिक कथाओं और हिंदू ग्रंथों में वर्णित एक पवित्र बरगद का पेड़ है.ऐसी मान्यता है कि वनवास के दौरान राम, लक्ष्मण और सीता जी ने यहां पर विश्राम किया था.
अक्षयवट
अक्षयवट या अविनाशी वटवृक्ष पौराणिक कथाओं और हिंदू ग्रंथों में वर्णित एक पवित्र बरगद का पेड़ है.ऐसी मान्यता है कि वनवास के दौरान राम, लक्ष्मण और सीता जी ने यहां पर विश्राम किया था.
पातालपुरी मंदिर
पातालपुरी मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है. इसका इतिहास वैदिक काल से जुड़ा हुआ है. यह भूमिगत मंदिर इलाहाबाद किले के भीतर अक्षयवट के पास बना हुआ है.
मनकामेश्वर मन्दिर
इलाहाबाद किले के पश्चिम यमुना तट पर मिंटो पार्क के पास स्थित इस मंदिर में काले पत्थर की भगवान शिव का एक लिंग और गणेश और नंदी की मूर्तियां स्थापित हैं. यहां हनुमान जी की भी एक बड़ी मूर्ति स्थापित है. मंदिर के पास ही पीपल का एक प्राचीन पेड़ है.
महर्षि भारद्वाज आश्रम
भारद्वाज मुनि से संबद्ध यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. भारद्वाज मुनि के समय यह शिक्षा का एक बड़ा केंद्र है. ऐसी मान्यता है कि वनवास के दौरान चित्रकूट जाते समय भगवान राम, सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ इस स्थान पर आए थे.
वेणी माधव मंदिर
यह मंदिर संगम के पास दारागंज में स्थित है. यहां भगवान विष्णु के 12 स्वरूप विद्यमान हैं. भगवान माधव को प्रयागराज का नगर देवता माना जाता है. इन मंदिरों के अलावा आप आलोप शंकरी मंदिर, ललिता देवी मंदिर, शंकर विमान मंडपम मंदिर के भी दर्शन कर सकते हैं.
ऐतिहासिक महत्व के स्थान
तीर्थराज प्रयाग में आप धार्मिक महत्व के मंदिरों के दर्शन के अलावा आप ऐतिहासिक महत्व के स्थानों पर घूमने भी जा सकते हैं.इनमें से कुछ प्रमुख निम्न हैं.
अकबर का किला
इस किले को मुगल सम्राट अकबर ने 1575 में बनवाया था. इसे बनाने में कई साल लगे थे. इस समय किला सेना के कब्जे में है.यह प्रयागराज का प्रमुख आकर्षण है. अक्षयवट और सरस्वती कुआं इसी किले के अंदर मौजूद हैं.
इलाहाबाद म्यूजियम
अगर आप की रुचि धर्म के अलावा इतिहास में है तो आप इलाहाबाद संग्रहालय को देखने जा सकते हैं.इस संग्रहालय में अन्य प्राचीन वस्तुओं के अलावा सम्राट अशोक की ओर से बनवाए गए अशोक स्तंभ की प्रतिकृति देख सकते हैं. इस पर सम्राट समुद्रगुप्त की प्रशस्ति में लिखा प्रयाग प्रशस्ति दर्ज है.
स्वराज भवन
स्वराज भवन देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का पैतृक घर था. उनके परिवार ने उसे बाद में सरकार को दान कर दिया. इस स्वराज भवन में एक संग्रहालय चलता है. उसे आप देख कर आजादी के आंदोलन को जान-समझ सकते हैं. यह आनंद भवन के नाम से भी मशहूर है.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय
इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज का प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान है.एक समय इसे पूरब का ऑक्सफोर्ड कहा जाता था. इस समय इस विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा हासिल है.
चंद्रशेखर आजाद पार्क
सन 1870 में बने इस पार्क को अंग्रेजी शासनकाल में कंपनी बाग या अल्फ्रेड पार्क के नाम से जाना जाता था. महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद इसी पार्क में अंग्रेजों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे. बाद में इस पार्क का नाम उनके नाम पर कर दिया गया था.
प्रयागराज के आसपास के धार्मिक स्थान
प्रयागराज से कुछ घंटे की दूरी पर कई बड़े तीर्थ स्थान हैं. प्रयागराज में महाकुंभ का पुण्य हासिल करने के बाद आप इन तीर्थों की यात्रा कर सकते हैं.
चित्रकूट धाम
चित्रकूट को भगवान राम की कर्मभूमि कहा जाता है. भगवान राम ने वनवास के 11 साल इस स्थान पर बिताए थे. चित्रकूट को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है. प्रयागराज से चित्रकूट की दूरी करीब 120 किमी है. वहां आने-जाने के लिए सड़क और रेल यातायात की सुविधा उपलब्ध है.
विंध्यवासिनी धाम
उत्तर प्रदेश के मिरजापुर जिले में गंगा नदी के किनारे विंध्यवासिनी देवी का मंदिर स्थित है. यह 51 शक्तिपीठों में से एक है. प्रयागराज से विंध्याचल की दूरी करीब 90 किमी है.यह ट्रेन और सड़क मार्ग से प्रयागराज से जुड़ा हुआ है.
काशी
तीर्थराज प्रयाग से करीब 120 किमी की दूरी पर स्थित है काशी. इसे दुनिया का सबसे प्राचीन शहर माना जाता है. यह शहर बनारस और वाराणसी के नाम से भी मशहूर है. गंगा के किनारे स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए दुनिया भर में मशहूर है. यह देवों के देव महादेव के 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है. मंदिरों के अलावा बीएचयू के नाम से मशहूर काशी हिंदू विश्वविद्यालय इस शहर का प्रमुख आकर्षण है.
प्रयागराज में कहां रुकें
महाकुंभ में जाने वाले तीर्थयात्रियों के सामने सबसे बड़ा सवाल यह होता है कि वो जाएंगे तो रुकेंगे कहां. इस सवाल से घबराने की जरूरत नहीं हैं. प्रयागराज में होटल, धर्मशालाएं और होमस्टे पर्याप्त मात्रा में हैं. इसके अलावा स्थानीय लोग भी अपने घर के कमरे भी तीर्थयात्रियों को किराये पर उपलब्ध कराते हैं.
प्रयागराज में डेढ़ सौ से अधिक होटल हैं. इनमें से किसी एक को आप अपने लिए चुन सकते हैं. इन होटलों की बुकिंग के लिए आप ऑनलाइन बुकिंग ऐप का भी सहारा ले सकते हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि महाकुंभ में होटलों की मांग को देखते हुए इन होटलों में कमरों के लिए आपको सामान्य से अधिक किराया देना पड़ सकता है.
होटलों के अलावा प्रयागराज में 50 से अधिक धर्मशालाएं हैं. इन धर्मशालाओं में भी तीर्थयात्रियों के ठहरने की व्यवस्था है. इन धर्मशालाओं में 'पहले आओ,पहले पाओ' के आधार पर कमरे मिलते हैं. कुछ धर्मशालाएं मुफ्त हैं तो कुछ में इसके लिए पैसे भी देने पड़ सकते हैं.
प्रयागराज के होटलों, धर्मशालाओं और होम स्टे के अलावा आप संगम क्षेत्र में बसाई गई टेंट सिटी में भी रह सकते हैं. इनका संचालन उत्तर प्रदेश पर्यटन निगम की ओर से किया जा रहा है. इस टेंट सिटी में तीन तरह के करीब 25 हजार टेंट तीर्थयात्रियों के लिए उपलब्ध हैं.ये टेंट हैं-
विला | डबल बेड के दो बेडरूम और लाउंज वाले इस टेंट का एक दिन का किराया 35 हजार रुपये प्रतिदिन है. इसमें अतिरिक्त व्यक्ति के रहने का किराया आठ हजार रुपये प्रतिदिन है. इसमें जीएसटी शामिल नहीं हैं. |
महाराजा | डबल बेड का एक बेडरूम और लाउंज.इसका किराया 24 हजार रुपये प्रतिदिन है. इसमें अतिरिक्त व्यक्ति के रहने का किराया छह हजार रुपये प्रति व्यक्ति है. इस किराए में जीएसटी शामिल नहीं है. |
सुपर डिलक्स | डबल बेड का एक बेडरूम और लाउंज वाले इस टेंट का एक दिन का किराया 12 हजार रुपये है. इसमें अतिरिक्त व्यक्ति के रहने का किराया चार हजार रुपये प्रति व्यक्ति है. जीएसटी अलग से देना होगा. |
इन टेटों को आप उत्तर प्रदेश पर्यटन निगम की वेबसाइट (https://upstdc.co.in/Web/kumbh2025) पर जाकर बुक करा सकते हैं.
इन टेंट के अलावा उत्तर प्रदेश पर्यटन निगम प्रयागराज में कई टूर भी आयोजित कर रहा है. इनमें शामिल होकर आप भव्य और दिव्य महाकुंभ के साथ-साथ सनातन धर्म की महान परंपराओं और प्रयागराज शहर के वैभव को महसूस कर सकते हैं. इनमें से हर टूर का चार्ज अलग-अलग है. इनकी बुकिंग भी आप उत्तर प्रदेश पर्यटन निगम की वेबसाइट (https://upstdc.co.in/Web/kumbh2025) पर कर सकते हैं. इन टूर पैकेज में शामिल हैं-
प्रयागराज महाकुंभ में जाएं तो क्या करें
जब आप महाकुंभ का पुण्य लेने के लिए प्रयागराज जाएं तो इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें.
अपना पहचान पत्र अपने पास रखें. इससे तमाम तरह की सुविधाएं लेने के अलावा अपनी पहचान स्थापित करने में भी सुविधा होगी.
अगर आपके साथ बुजुर्ग और बच्चे जा रहे हैं तो उन्हें पहचान पत्र बनाकर दे दें या पूरी जानकारी लिखा हुआ एक रिस्ट बैंड उन्हें पहना दें. जिससे उनके गुम होने की स्थिति में लोग या सुरक्षाकर्मी उन्हें सुरक्षित आपके पास तक पहुंचा सकें.
अगर आप किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं तो कोशिश करें कि अपनी ताजा जांच रिपोर्ट अपने साथ रखें. अपने साथ के लोगों या आसपास के लोगों को अपनी बीमारी की जानकारी दे दें, जिससे आपात स्थिति में आपके इलाज में आसानी हो.
प्राथमिक उपचार की किट भी अपने साथ रखें. इसमें मरहम-पट्टी के अलावा बुखार, सर्दी-खांसी, दस्त और उल्टी होने पर ली जाने वाली दवाएं भी होनी चाहिए.
अपने पास खाने-पीने का सामान भी थोड़ा-बहुत रखें. इसमें पीने के पानी के अलावा बिस्कुट, नमकीन और सूखे मेवे हो सकते हैं.
मेला प्रशासन ने जिन जगहों को आम लोगों के लिए प्रतिबंधित किया है, वहां जाने से बचें.
कुंभ मेले बहुत से शरारती तत्व सक्रिय रहते हैं. इनमें ठग, चोर और उचक्के प्रमुख हैं. इनसे बच कर रहें.
मेला प्रशासन ने जो दिशा-निर्देश आम लोगों के लिए जारी किए हैं, उनका कड़ाई से पालन करें.
मेले में अगर कोई आपका अपना बिछड़ जाए तो क्या करें
कुंभ का मेला लोगों के बिछड़ने के लिए भी जाना जाता है. बहुत से लोग अपने परिजनों से इस मेले में बिछड़ जाते हैं. इस तरह खोए लोगों को उनके परिजनों से मिलाने के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं. इस तरह की स्थिति आने पर आप खोया-पाया केंद्र से संपर्क करें. अपने आसपास मौजूद पुलिसकर्मियों को भी आप इसकी जानकारी दें सकते हैं. मेला प्रशासन इस बार लोगों की जानकारी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का सहारा ले रहा है.
हेल्पलाइन
मेला में किसी भी तरह की आपात स्थिति पैदा होने पर इन हेल्पलाइन पर संपर्क कर सकते हैं.
महाकुंभ की हेल्पलाइन | 1920 |
मेला पुलिस हेल्पलाइन | 1944 |
फायर सर्विस | 1945 |
एंबुलेंस की हेल्पलाइन | 102, 108 |
खाद्य और राशन की हेल्पलाइन | 1010 |