Famous temple in Prayagraj : इन मंदिरों में दर्शन करने से महाकुंभ का अनुभव और भी विशेष बन जाएगा. यहां दर्शन करने से न केवल आपको आध्यात्मिक शांति मिलेगी, बल्कि यहां की सांस्कृतिक धरोहर को भी महसूस कर सकेंगे.
Mahakumbh mela 2025 : हम यहां पर आपको शाही के अलावा और कौन सी तिथियों पर स्नान करके पूण्य प्राप्त कर सकते हैं, इसके बारे में बताने जा रहे हैं...ताकि आप भीड़ की धक्का-मुक्की से बच जाएं.
Kumb mela 2025 : क्या आपको पता है कुंभ के चार प्रकार होते हैं, जिनमें कुंभ, महाकुंभ, अर्धकुंभ, और पूर्णकुंभ हैं. आइए जानते हैं इनमें क्या अंतर है...
महाकुंभ मेले में देश-दुनिया से श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आगमन को देखते हुए टेंट सिटी बनाई जा रही है. टेंट सिटी का संचालन एक जनवरी, 2025 से पांच मार्च, 2025 तक किया जाएगा.
अगर आप भी इस बार प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ में स्नान के लिए जा रहे हैं तो लौटते समय इन खास चीजों को अपने साथ जरूर ले आएं. ये आपके घर परिवार में सुख शांति लाएंगी.
प्रयागराज में लगने वाला महाकुंभ मेला पवित्र नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम स्थल पर लगता है. धार्मिक मान्यताएं हैं कि महाकुंभ में स्नान करने से जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन भर के पाप मिट जाते हैं.
Kumbh mela Prayagraj 2025 : कुंभ मेले में नजर आने वाले नागा साधुओं का समूह लोगों के मन में कई तरह के सवाल खड़े करता है. उनकी विशेष वेश-भूषा देखकर हर कोई उनके रहन-सहन और जीवन के बारे में जानने को लेकर उत्सुक हो उठता है.
संगमनगरी प्रयागराज (Prayagraj Kumbh Mela) में लगने वाले महाकुंभ मेले (Mahakumbh Mela 2025) में देश के कोने-कोने से साधु संत और श्रद्धालु पहुंचेंगे. वहीं पूरी दुनिया से पर्यटक भी मेले को देखने आएंगे.ऐसे में आइए जानते हैं वर्ष 2025 में प्रयागराज में लग रहे महाकुंभ मेले की पूरी जानकारी...
Significance of akhada in kumbh mela : आखिर साधु- संतों के समूह को ''अखाड़ा'' का नाम क्यों दिया गया, इसके बारे में हम आगे आर्टिकल में विस्तार से बता रहे हैं.
प्रयागराज के कई प्रमुख घाटों की यात्रा करना यादगार अनुभव होता है. यहां के कई घाट अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है. मेले के दौरान भीड़-भाड़ के चलते उन खास घाटों तक पहुंचना आसान नहीं होता है, चलिए हम आपको बताते हैं कैसे आप अपना रास्ता यहां से सुगम बना सकते हैं.
महाकुंभ 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा के दिन से शुरू होगा. महाकुंभ मेले में स्नान का बहुत महत्व होता है. मेले में पहला स्नान पौष पूर्णिमा के दिन होगा.
अगर आप कुंभ मेले में भाग लेने जा रहे हैं तो इस दौरान प्रयागराज नगरी में कुछ खास जगहों पर जाना ना भूलें. यहां धर्म और संस्कृति का अनोखा संगम है.
महाकुंभ मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूरी भक्ति व निष्ठा सें कई तरह के पूजन और अनुष्ठान करते हैं. कई श्रद्धालु मेले में कल्पवास करते हैं. यह एक कठिन तपस्या और भगवत साधना है जिससे साधक आध्यात्मिक जीवन की ओर आगे बढ़ता है
इंडिया को डिजिटल करना पीएम मोदी का सपना है और इसका असर अब महाकुंभ में भी नजर आ रहा है. इस वजह से अब खोया-पाया केंद्र में भी इसका असर नजर आ रहा है. महाकुंभ में जो खोया-पासा बनाया गया है, वो भी कंप्यूटराइज है
Maha Kumbh: प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन वह चार स्थान हैं जहां 12 साल के अंतराल पर महाकुंभ मेले का आयोजन होता है. 2 ग्रहों के योग से यह तय किया जाता है कि कुंभ मेला इन चार में किस एक जगह पर आयोजित किया जाएगा.