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लोकसभा चुनाव 2024: उत्तर प्रदेश की इस सीट पर जीजा-सलहज में है मुकाबला,सपा ने इतनी बार बदला उम्मीदवार

लोकसभा चुनाव 2024: उत्तर प्रदेश की इस सीट पर जीजा-सलहज में है मुकाबला,सपा ने इतनी बार बदला उम्मीदवार
मिश्रिख लोकसभा सीट पर 2014 से बीजेपी का कब्जा है.
नई दिल्ली: 

उत्तर प्रदेश की मिश्रिख लोकसभा सीट (Mishrikh Lok Sabha seat) तीन जिलों-कानपुर, हरदोई और सीतापुर में फैली हुई है. यह सीट अनुसूचित जाति (Schedule Caste)के लिए आरक्षित है. मिश्रिख में चौथे चरण में 13 मई को मतदान होगा. यह सीट 2014 से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कब्जे में है. इस बार के लोकसभा चुनाव में इस सीट का मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है.दरअसल इस सीट पर जीजा और सलहज आमने-सामने हैं. 

मिश्रिख में कौन-कौन लड़ रहा है चुनाव

भाजपा ने इस बार के चुनाव में अपने मौजूदा सांसद डॉक्टर अशोक कुमार रावत पर भरोसा जताया है. वहीं इंडिया गठबंधन में यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में आई है. सपा ने संगीता राजवंशी को टिकट देकर मैदान में उतारा है.संगीता रिश्ते में डॉक्टर रावत की सलहज हैं.बहुजन समाज पार्टी ने डॉक्टर बीआर अहिरवार को टिकट दिया है. डॉक्टर रावत इस सीट पर 2004 और 2009 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जीत चुके हैं. 

सपा ने इस बार के चुनाव में कई सीटों पर तीन-तीन बार उम्मीदवारों को बदला. लेकिन मिश्रिख एक ऐसी सीट है, जहां सपा ने चार बार अपने उम्मीदवार बदले.सपा ने यहां पहले पूर्व मंत्री रामपाल राजवंशी के उम्मीदवारी की घोषणा की थी.वो रिश्ते में डॉक्टर अशोक रावत के ससुर लगते हैं.रामपाल राजवंशी ने दामाद के खिलाफ चुनाव लड़ने में दिलचस्पी नहीं दिखाई.

इसके बाद सपा ने रामपाल के बेटे मनोज कुमार राजवंशी के उम्मीदवारी की घोषणा की.वो अपने जीजा के खिलाफ लड़ाई की रणनीति बना ही रहे थे कि सपा ने एक बार फिर टिकट बदलते हुए पूर्व सांसद रामशंकर भार्गव को उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी. इसके अगले ही दिन सपा ने एक बार यहां से अपना उम्मीदवार बदल दिया. सपा ने भार्गव की जगह रामपाल राजवंशी की बहू संगीता राजवंशी को उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी.

संगीता राजवंशी भाजपा उम्मीदवार डॉक्टर अशोक रावत की सलहज यानी साले की पत्नी हैं.वो अपने जीजा को चुनौती देते हुए मैदान में टिकी हुई हैं. 

मिश्रिख लोकसभा सीट में कितनी विधानसभा क्षेत्र हैं?

मिश्रिख लोकसभा सीट में सीतापुर की मिश्रिख विधानसभा क्षेत्र, कानपुर का बिल्हौर विधानसभा क्षेत्र और हरदोई जिले का बालामऊ, संडीला और मल्लावां विधानसभा क्षेत्र आता है.साल 2022 के चुनाव में इन सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया था.

कैसी है मिश्रिख की लड़ाई का इतिहास

साल 2019 का लोकसभा  चुनाव समाजवादी पार्टी और बसपा ने मिलकर लड़ा था. इस गठबंधन में यह सीट बसपा के खाते में आई थी. उस चुनाव में बसपा उम्मीदवार डॉक्टर नीलू सत्यार्थी ने चार लाख 33 हजार 757 वोट हासिल किए थे. यह कुल पड़े वोटों का 42.22 फीसदी था. वहीं इस सीट पर जीते डॉक्टर अशोक कुमार रावत को पांच लाख 34 हजार 429 वोट मिले थे.कुल पड़े वोटों में से उन्हें 52.02 फीसदी वोट हासिल हुए थे. कांग्रेस की मंजरी राही ने 26 हजार 505 वोट हासिल किए थे. 

वही 2014 के चुनाव में डॉक्टर अशोक कुमार रावत बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे. लेकिन भाजपा के अंजूबाला के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. अंजू बाला को चार लाख 12 हजार 468 वोट मिले थे.यह कुल पड़े वोटों का 41.33 फीसदी था. वहीं अशोक कुमार रावत को तीन लाख 25 हजार 212 वोट मिले थे. यह कुल पड़े वोटों का 32.58 फीसदी था. सपा उम्मीदवार जयप्रकाश को एक लाख 94 हजार 759 वोट मिले थे. यह कुल पड़े वोटों का 19.51 फीसदी था.
 
मिश्रिख में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या करीब 33 फीसदी है. इनमें पासी जाती के मतदाताओं की संख्या अधिक है. इसे ध्यान में रखते हुए ही भाजपा और सपा ने इसी जाति के उम्मीदवार उतारे हैं.

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