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AQI@500: दमघोंटू हवा में हाल-ए-इंडिया गेट, एक रिपोर्टर की आंखोंदेखी

AQI@500: दमघोंटू हवा में हाल-ए-इंडिया गेट, एक रिपोर्टर की आंखोंदेखी
राजधानी के कई इलाकों में विजिबिलिटी 50 मीटर से भी कम आंकी गई.
नई दिल्ली: 

दिल्ली-NCR में हवा एक बार फिर बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है. AQI दर्ज करने के लिए बने 39 एक्टिव मॉनिटरिंग स्टेशनों में से 38 स्टेशनों पर AQI 400 के पार दर्ज किया गया है. जबकि कई इलाकों में यह 500 के बेहद करीब पहुंच गया. सबसे खराब हालात रोहिणी में दर्ज किए गए, जहां AQI 499 तक पहुंच गया. राजधानी और आसपास के इलाकों में हालात को देखते हुए GRAP-4 लागू है. रविवार को इंडिया गेट का नजारा इस संकट की गंभीरता को साफ दिखाता है. स्मॉग की मोटी चादर में लिपटा इंडिया गेट दूर से ही धुंधला नजर आ रहा था, लेकिन इसके बावजूद लोगों की भारी भीड़ यहां पहुंची हुई थी.

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कुछ परिवार गाजियाबाद, फरीदाबाद और हिसार से आए थे, तो बाइकर्स का एक ग्रुप भी स्मॉग के बीच इंडिया गेट तक पहुंचा. ग्राउंड पर हालात ऐसे रहे कि लोगों को सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और घुटन की शिकायत साफ महसूस हो रही थी. इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग बेपरवाह नजर आए. माता-पिता छोटे बच्चों को लेकर घूमते दिखे, दोस्त सैर-सपाटे में मशगूल रहे और ज़्यादातर लोग बिना मास्क के ही बाहर निकले.

"बेहद जरूरी न हो तो घर से बाहर न निकलें"

एनडीटीवी से बातचीत में कई लोगों ने माना कि मास्क पहनना चाहिए, लेकिन कुछ का कहना था कि मास्क कार में रखा है और कार पार्किंग में खड़ी है. यानी खतरे का एहसास होने के बावजूद एहतियात जमीन पर नजर नहीं आई. इस बीच डॉक्टरों और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की सलाह साफ है, अगर बेहद जरूरी न हो तो घर से बाहर न निकलें, खासकर बुज़ुर्ग, बच्चे और बीमार लोग. GRAP-4 के तहत निर्माण गतिविधियों पर सख्ती, डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर रोक, प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों पर कार्रवाई और खुले में कूड़ा, पत्ते, प्लास्टिक या रबर जलाने पर जुर्माने जैसे कड़े कदम लागू हैं.

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प्रदूषण की मार यहीं नहीं थमी. राजधानी के कई इलाकों में आज घना कोहरा भी नजर आया. विजिबिलिटी 50 मीटर से भी कम आंकी गई. बहरहाल, सरकार के कदम, CAQM की हिदायतें और डॉक्टरों की चेतावनियों के बावजूद ग्राउंड पर तस्वीर कुछ और ही कहानी कह रही है. जहरीली हवा के बीच सामान्य जीवन की तरह घूमते लोग इस बात का संकेत हैं कि प्रदूषण की गंभीरता को अभी भी पूरी तरह नहीं समझा जा रहा और यही सबसे बड़ी चिंता है.

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