एक शोध से यह बात सामने आई है कि कोलकाता में कुल मौतों में से 7.3 प्रतिशत शॉर्ट-टर्म एयर पॉल्यूशन की वजह से होती है. शोध के निष्कर्षों के अनुसार शोधकर्ताओं द्वारा सर्वेक्षण किये गए दस शहरों में से कोलकाता शॉर्ट-टर्म एयर पॉल्यूशन से संबंधित मौतों के मामले में तीसरे स्थान पर है. इस मामले में सबसे अधिक मृत्यु दर दिल्ली में 11.5 प्रतिशत है, जिसके बाद वाराणसी में 10.2 प्रतिशत मृत्यु दर है.
भारत के शीर्ष संस्थानों के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन के निष्कर्ष लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित हुए. दस प्रमुख भारतीय शहरों में किए गए शोध पर आधारित अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कोलकाता में होने वाली कुल मौतों में से 7.3 प्रतिशत (जो कि प्रति वर्ष 4,700 होती है) शॉर्ट-टर्म पीएम 2.5 उत्सर्जन के कारण होती हैं. आईएएनएस के पास उपलब्ध रिपोर्ट की एक प्रति के अनुसार, कोलकाता में लोगों का अल्पकालिक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहना विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों से कहीं अधिक है.
यह आंकड़ा शोध के तहत शामिल शहरों के 7.2 प्रतिशत औसत से थोड़ा अधिक है, जो सर्वे किए गए सभी दस शहरों में सालाना 33,000 मौतों के बराबर है.सर्वेक्षण के अंतर्गत शामिल दस शहरों में से शिमला में वायु प्रदूषण का स्तर सबसे कम था. रिपोर्ट में कहा गया, ''हालांकि वायु प्रदूषण अभी भी यहां जोखिम भरा था, यहां सभी मौतों में से 3.7 प्रतिशत (59 प्रति वर्ष) मौतें पीएम 2.5 के शॉर्ट-टर्म के संपर्क में आने से हुई.यह डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देश मूल्य से अधिक है.शिमला के परिणाम वैश्विक साक्ष्य को पुष्ट करते हैं कि वायु प्रदूषण के संपर्क का कोई सुरक्षित स्तर नहीं है."
अशोका विश्वविद्यालय के त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज में सेंटर फॉर हेल्थ एनालिटिक्स रिसर्च एंड ट्रेंड्स की निदेशक और चेयर-इंडिया कंसोर्टियम की भारत प्रमुख डॉ. पूर्णिमा प्रभाकरन के अनुसार, ''इस शोध में दस शहरों में वायु गुणवत्ता की विविधता को शामिल किया गया और पहली बार यह दर्शाया गया कि वायु प्रदूषण के निम्न स्तर पर भी मृत्यु दर का जोखिम बना रहता है.'' उन्होंने कहा, ''यह जानकारी हमारी वायु गुणवत्ता प्रबंधन रणनीतियों पर पुनर्विचार करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर देती है.जो वर्तमान में केवल नॉन एटेनमेंट (गैर-प्राप्ति) शहरों पर केंद्रित हैं.कम जोखिम सीमाओं को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में वायु गुणवत्ता मानकों पर पुनर्विचार करने की जरूरत है.साथ ही मानव स्वास्थ्य की प्रभावी रूप से रक्षा करने के लिए क्षेत्रीय स्रोतों से स्थानीय स्रोतों की ओर रुख करने की भी आवश्यकता है.''
Delhi Pollution: क्या होता है PM 2.5 और PM 10 क्या है, सेहत के लिए क्यों है इतना खतरनाक
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
The Graded Response Action Plan (GRAP) -- a set of emergency measures to control air pollution in the Delhi-NCR region during winter -- has come into effect earlier than the usual date of October 1, according to officials.
The Union and state governments must stop relegating pollution issues to the background.
The Delhi government on Monday banned the production, sale and use of firecrackers in the national capital to control air pollution in the coming winter season.
Delhi Environment Minister Gopal Rai announced on Thursday that the government will implement a 21-point Winter Action Plan to combat air pollution, featuring real-time drone monitoring of pollution hotspots.
The number of 'good days' referring to air quality, increased from 159 in 2018 to 206 in' 2023, it said.
................................ Advertisement ................................
Opinion: It Is Delhi's Annual Pollution Season - Who Can Stop This?Bharti Mishra Nath
Monday November 06, 2023Delhi is choking once again. Thick, toxic smog has engulfed the national capital and its surrounding areas, making Delhi the most polluted place in the world.
Blog: Why This Is Already A Landmark Year In The Pollution FightChetan Bhattacharji
Tuesday December 14, 2021The air pollution last month made it the worst November in seven years since records began. This is a setback to the central government's already modest target to cut air pollution by 20-30% by 2024.
सरकारों ने आपके जीवन से खिलवाड़ कर लियाRavish Kumar
Thursday November 18, 2021हमारा दो घंटे का समय बर्बाद हुआ. चीफ जस्टिस एन वी रमना की यह टिप्पणी ज़हरीली हवा को लेकर होने वाली सारी सुनवाइयों का सार है. आज और सोमवार की नहीं, बल्कि हवा में फैल रहे ज़हर को लेकर पिछले पांच छह साल में सुप्रीम कोर्ट की जितनी भी सुनवाई हुई है उसका यही सार है.
किसान नहीं कार और कारखाना वाले फैला रहे हैं हवा में ज़हरRavish Kumar
Monday November 15, 2021केवल नौकरशाही और मीडिया का विभाजन नहीं हुआ है बल्कि प्रदूषण का भी हुआ है. भूगोल और मौसम के हिसाब से प्रदूषण की चिन्ताओं को बांट दिया है और उसे सीबीआई और ईडी के अफसरों की तरह विस्तार देते रहते हैं. जिस तरह अब सीबीआई के प्रमुख तक पांच साल के लिए मेवा विस्तार मिलेगा सॉरी सेवा विस्तार मिलेगा उसी तरह से वायु प्रदूषण को हर नवंबर के बाद अगले नवंबर के लिए विस्तार मिल जाता है.
From The 'World's Air Pollution Capital' To COP26Chetan Bhattacharji
Sunday October 31, 2021Prime Minister Narendra Modi flew out of Delhi for the climate talks just as the capital's skies darkened with pollutants in this peak air pollution season.