मुंबई, जो पहले सपनों की नगरी के नाम से जानी जाती थी, अब प्रदूषण की वजह से एक गंभीर समस्या का सामना कर रही है. शहर में बढ़ते प्रदूषण ने लोगों की परेशानियों को बढ़ा दिया है. सुबह के समय धुंध के कारण विजिबिलिटी कम हो जाती है और हवा की गुणवत्ता दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है. इस बार प्रदूषण ने पिछले तीन सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. लगातार धुंध से घिरी मायानगरी की हवा अब लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन चुकी है और इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ रहा है. यह प्रदूषण उनकी सेहत को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है.
बता दें कि मुंबई के बढ़ते प्रदूषण का असर लोगों के स्वास्थ्य पर किस तरह से पड़ रहा है इस बारे में डॉ इरफ़ान अली (इंटेंसिविस्ट, बालरोग, केजे सोमैया अस्पताल) ने बताया कि, हर दिन 20-30 मरीज़ हम देख रहे हैं, सारी तकलीफ सांस रिलेटेड है. 14 बेड के हमारे इस आईसीयू में 9 सांस की दिक्कत वाले मरीज़ हैं. एक मरीज का एक्सरे के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके लंग्स सफेद दिख रहे हैं और सिर्फ़ लंग्स नहीं, जब ये अफेक्ट होता है तो हृदय पर भी ज़ोर पड़ता है, हार्ट की दिक्कत और न्यूरो प्रॉब्लम भी लोंग टर्म में उत्पन्न होना शुरू होता है.
वो लोग जो ख़ुद को सेहतमंद मानते हैं वो भी अब आँखों में जलन, एक महीने की लंबी सूखी खांसी, स्किन की दिक्कत जैसी कई तकलीफ़ों का इज़हार कर रहे हैं. इस बारे में जब लोगों से बात की गई जो आने-जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने बताया कि बस में तो बैठना मुश्किल हो जाता है, आँखें जलती हैं. एक एक महीने तक सूखी खांसी होती है, साँस लेने में तकलीफ़ है जहाँ देखो मिट्टी धूल, हर जगह सड़क खुदी हुई हैं. बता दें कि इस धुंध से कोई महफ़ूज़ नहीं है, मुंबई की गगनचुंबी इमारतों में रहने वाले वो रईस भी नहीं जो साफ़ हवा और अच्छे व्यू के लिए करोड़ों खर्च करते हैं.
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एक शख्स जो मुंबई के एक इलाके की सबसे ऊँचीं बिल्डिंग, नथानी हाइट्स के 72 वें फ्लोर पर थे उन्होंने बताया कि एक समय था कि इतनी ऊंचाई से पूरा दक्षिण मुंबई हमें यहाँ से साफ़ दिखता था लेकिन अब कुछ नहीं दिख रहा, क्वींस नेकलेस, गेट वे, कोस्टल रोड, सी लिंक कुछ नहीं दिख रहा है. नथानी हाइट्स में ही रहने वाले दूसरे लोगों ने भी अपनी परेशानियां शेयर की. इस बिल्डिंग में रहने वाले उर्विशा जगाशेठ ने बताया कि हम जहर पी रहे हैं हम, खाँसी जा नहीं रही, वाक करना छोड़ दिया है. वहीं रहने वाले हसित जगाशेठ ने बताया कि मैंने पहले ऐसा कभी नहीं देखा, मुंबई गैस चैम्बर जैसी लग रही है, बाहर वॉक किया तो और बीमार हो जाऊँगा.
डॉ. हनी सावला (इंटरनल मेडिसिन कंसल्टेंट, वॉकहार्ट हॉस्पिटल) ने बताया कि, अस्पताल रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम वाले मरीजों से भरा है, PM2.5 सबसे खतरनाक पॉल्यूटेंट. इतना महीन होता है की सांस की नली के बाद भीतर तक पहुंचता है, और फिर शुरुआती तौर पर तो मामूली तकलीफ़ आप देखते हैं लेकिन लोंग टर्म इसका इफ़ेक्ट बहुत खतरनाक होता है. लंग्स कैंसर का कारण बनता है.
दिल्ली की ही तरह मुंबई ने भी प्रदूषण की चादर ओढ़ी है. कई बार वायु गुणवत्ता 200 के ऊपर यानी ख़राब श्रेणी में रही, कुछ इलाक़ों का AQI 300 से ऊपर दिखा और ये हाल आज का नया नहीं बल्कि 2022 से है. कई बार मुंबई दिल्ली से भी रेस में आगे निकले. राज्य सरकार और तमाम एजेंसियों ने भी माना है कि मुंबई की हवा बिगड़ने का बड़ा और मुख्य कारण है एक साथ शुरू हुए निर्माण कार्य! कहा जाता है की मुंबई ने इतिहास में आजतक इतने निर्माण कार्य एकसाथ नहीं देखे ! निजी-सरकारी मिलाकर दस हज़ार से भी कहीं ज़्यादा बड़े निर्माण कार्य चल रहे हैं!
मेट्रो, कोस्टल रोड, सी लिंक विस्तार, बुलेट ट्रेन, फ़्लाइओवर, ब्रिजेस सारे मेगा प्रोजेक्ट्स तेज़ी से एकसाथ आगे बढ़ रहे हैं! एमएमआरडीए, सिडको, एमआईडीसी, एमएसआरडीसी, म्हाडा, बीएमसी जैसी तमाम बड़ी सरकारी एजेंसियां रफ़्तार से शहर की शकल बदलने में लगी हैं. शहर के लगभग हर वॉर्ड की सड़क बीएमसी ने खोद रखी है, तो वहीं पुरानी तोड़कर नई इमारतों को खड़ी करने में निजी कांट्रैक्टर्स के हथौड़े भी साथ-साथ चल रहे हैं. जिसकी वजह से मुंबई धूल-मिट्टी से सनी दिखती है. जगह जगह मिट्टी-मलबे की जमा ढेर हवा में घुल रही है, और सिकुड़ती सड़कों से 10 गुना बढ़ा ट्रैफिक हर सांस को ज़हरीला बना रहा है!
महाराष्ट्र पोल्युशन कंट्रोल बोर्ड के मुंबई दफ़्तर में पूरे राज्य का लाइव डेटा फीट रिकॉर्ड किया जाता है. वहां के एक सदस्य डॉ अविनाश ढाकणे (IAS, सदस्य सचिव, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ) से इस बारे में पूछा गया कि कैसे मुंबई कंट्रोल बोर्ड के कंट्रोल बोर्ड से बाहर हो गई तो उन्होंने जवाब दिया, हालत अब बेहतर हो रहे हैं पर बात तो सही है की इतने निर्माण कार्यों के पहले प्लान तैयार होना चाहिए था की इससे निकलने वाले प्रदूषण को कैसे टैकल करना है, हमारे 13 कर्मचारी हर साईट पर जा रहे हैं, सरकारी साईट को भी नोटिस दे रहे हैं. पहले हम उनको नोटिस देकर थोड़ा समय देते हैं फिर स्टॉप वर्क नोटिस देते हैं.
कैसे रोकें प्रदूषण
बता दें कि ऐसी कुछ मशीने आती हैं जो निर्माण कार्यों में लगाई जाती हैं और हवा को दूषित होने से रोक लेती हैं, इस बारे में श्री कुमार कुमारस्वामी (प्रोग्राम डायरेक्टर, क्लीन एयर एक्शन, WRI इंडिया) ने बताया कि 50% कंट्रीब्यूटर हवा प्रदूषण में धूल मिट्टी है. विदेश में कंस्ट्रक्शन साईट पर अगर आप जायें तो वहाँ से निकला धूल प्रदूषण वहीं लगी मशीनें खींच लेती हैं, सड़क पर नहीं आती. यहाँ हमारे पास तकनीक ही नहीं, अब गाइडलाइन में लिखा है निर्माण की जगह हरा कपड़ा लगाओ वो तो सेफ्टी नेट है, वो बड़े पत्थर गिरने से रोकेगा, धूल तो बाहर निकलेगी ही.
महाराष्ट्र पोल्युशन कंट्रोल बोर्ड के सचिव डॉ अविनाश ढाकणे (IAS, सदस्य सचिव, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) ने बताया कि हम कई नई तकनीक ला रहे हैं 100 करोड़ का एक प्रोजेक्ट है जिससे डस्ट सड़कों की मशीनें खींचेंगी,थोड़ा समय लगता है प्रोक्योर करने में. फण्ड की कमी नहीं है टेक्नोलॉजी भी ले रहे हैं पर समय जाता है. सवाल - क्या एक अम्ब्रेला एजेंसी नहीं होनी चाहिए जो निजी सरकारी सभी संस्थाओं के कार्यों पर वॉच रखें आपको (एमपीसीबी) को इतने पॉवर क्यों नहीं दे दिए जाते? - हमारे पास इतने कर्मचारी नहीं ये काम बीएमसी का है. अगर हमने बाहर कर भी लिया तो बाक़ी दिन वो क्या करेंगे? वो कॉस्ट इफेक्टिव भी नहीं, जब पहले से एक संस्था है, स्ट्रिक्ट पॉलिसिंग ज़रूरी है.
शहर की देखरेख का जिम्मा देश की सबसे अमीर महानगरपालिका बीएमसी के ज़िम्मे है. तो वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए 2023 की तरह ही करीब 28 बिंदुओं वाला एक लंबा गाइडलाइन 2024 के आख़िर में भी जारी कर दिया गया. ऐलान हुआ की उन क्षेत्रों में जहाँ AQI 200 से ऊपर है वहां सभी निजी और सार्वजनिक निर्माण गतिविधियाँ तुरंत रोक दी जाएँगी. बोरीवली और भायखला में ग्रैप 4 को लागू करते हुए निर्माण गतिविधियां रोक दी गईं. पर इससे हुआ क्या? कई सरकारी कंस्ट्रक्शन साइट पर बीएमसी के ही गाइडलाइन नियमों का उल्लंघन भी साफ़ हो रहा है!
मुंबई के अंधेरी ईस्ट से लेकर कोस्टल रोड तक हर जगह सड़कें खुदी हुई हैं और काम चल रहा है. कहीं पर भी पानी का कोई छिड़काव नहीं है जो हवा को रोक सके. ज़ोरू भथेना (पर्यावरण कार्यकर्ता, सिटी एक्टिविस्ट ) ने बताया कि करोड़ों का प्रोजेक्ट का पैसा है? लेकिन 1-2 करोड़ ऐसी मशीनें खरीदने का नहीं जो हवा साफ़ रखे? ब्रीच कैंडी इलाके को देख लीजिए वो रेगिस्तान जैसा दिख रहा है जबकि यहाँ हरियाली होनी थी प्लान के मुताबिक, लेकिन यहां पर एक भी पेड़ नहीं दिख रहा है.
ब्रीच कैंडी में रहने वाले एक निवासी निगम लखानी ने बताया कि हम गुजारिश कर करके थक गए लेकिन कोई नहीं सुनता रात दिन मशीनें यहाँ चलती हैं, धूल मिट्टी उड़ती है सब बीमार हो रहे हैं, हमारा गया गार्डन बर्बाद कर दिया, कोई पेड़ पौधा नहीं, सिर्फ़ ज़मीन खोद रहे हैं, कैंपेन चलाया, लेकिन हम भी कितना करें समय और ताक़त भी नहीं बची अब.
इस पॉल्यूशन की वजह सिर्फ धूल मिट्टी और ट्रैफिक ही नही हैं. इस प्रदूषण के पीछे और कई खिलाड़ी हैं! क़रीब 5 रुपए में बिकने वाले इस पाव पर मुंबई वासी इस कदर निर्भर हैं की यहाँ हर रोज़ क़रीब 5 करोड़ पाव की खपत होती है, अब इसे बनाने वाली भट्टियां आपको क्या लगता है PNG जैसे ग्रीन गैस का इस्तेमाल करती हैं? नहीं? अधिकतर बेक़रीज़ जो हाथ आए उसे जला रही हैं जिससे दूषित हवा और घातक बन रही है.
डॉ अविनाश ढाकणे (IAS, सदस्य सचिव, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) ने बताया कि कोल ही नहीं जो हाथ आए प्लास्टिक कचरा सब जला रहे हैं, ऐसे 800 से ज़्यादा बेक़रीज़ हैं. सिर्फ़ 80 के आस पास ही नियमों का पालन करते हैं.
तटीय शहर होने के कारण चलने वाली हवाएं साल के ज्यादातर वक्त मुंबई में वायु गुणवत्ता को सुरक्षित स्तर पर बनाए रखती है. अब से 3-4 साल पहले तक मुंबई में वायु प्रदूषण कभी इस तरह का बड़ा मुद्दा नहीं बना. निर्माणकार्यों से निकलता प्रदूषण भले ही बड़ा विलन हो पर हाल के दिनों में धूल भरी आंधी ने हालात और ख़राब किए. सरकार के लिए स्टडी और रिसर्च करने वाले IIT बॉम्बे के क्लाइमेट स्टडीज विभाग का कहना है की ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान देशों वाले पश्चिम एशिया से आने वाली धूल भरी आंधी ने भी मुंबई की हवा और ख़राब की. डॉ. रघु मुर्तुगुड्डे (क्लाइमेट स्टडीज, आईआईटी बॉम्बे) ने बताया कि, देखिए मास्टर प्लान तो तैयार करना चाहिए थे, यकीन भी निपटने के लिए ज़रूरी है लेकिन बाक़ी फैक्टर्स का भी ध्यान रखिए वेस्टर्न एशिया विंड स्टॉर्म भी बड़ा फैक्टर है की AQI इतना नीचे गया.
जब हम वायु प्रदूषण से सेहत बिगड़ने की बात करते हैं तो पीएम 2.5, को समझना बेहद महत्वपूर्ण है. जो वायु प्रदूषण का एक प्रमुख योगदानकर्ता है. ये कई स्रोतों से आता है, वाहनों का धुआं, धूल, औद्योगिक उत्सर्जन. हमारे इस एक बाल से करीब पचास गुना ये बारीक और छोटा कण होता है, जो हमारी सांस की नली तक आराम से पहुंचता है और हमें बीमार कर रहा है. 60 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर तय सीमा है लेकिन कई बार इसे पार होते देखा गया है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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Reported by: पूजा भारद्वाज, Edited by: बिक्रम कुमार सिंहस्कोप्जे में प्रदूषण के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग, दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर होने का लगा है धब्बा
Reported by: एएफपी, Edited by: आलोक कुमार ठाकुरWith air quality worsening again, stricter pollution curbs under GRAP 3 were reimposed in Delhi and surrounding areas, the Commission for Air Quality Management (CQAM), the Centre's pollution watchdog, said on Friday.
New Year's Resolutions: Below we share a list of tips you can follow to ensure you and your health stay on track as 2025 has begun.
As Delhi welcomes the New Year, the Air Quality Index (AQI) was recorded at 239 at 8 am on Wednesday which falls in the 'poor' category.
The number of 'good to moderate' air quality days was 159 in 2018, 182 in 2019, 227 in 2020, 197 in 2021, 163 in 2022 and 206 in 2023, Commission for Air Quality Management (CAQM) data showed.
Nutritionist Anjali Mukerjee has shared easy tips that can help people deal with air pollution during winter and safeguard their health.
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Opinion | Why Indians Have Just Given Up On Air Pollution CrisisTanushree Ganguly
Friday December 20, 2024While some may argue that people in Delhi are now more aware of air pollution than they were a decade back, my rebuttal would be that awareness does not mean that people are concerned.
Opinion | You Must Outrage Over Filthy Air More Than Once A YearJyoti Pande Lavakare
Tuesday December 10, 2024Delhi welcomed us with monsoon rains and mangos. We were home. Fast forward a couple of years, in the winter of 2012, I found myself in denial about something other parents, mostly expats, were calling toxic air.
Opinion | Delhi's Air Pollution Situation Is Like A Bad MarriageNishtha Gautam
Friday November 22, 2024On a good day, such as today, the AQI reading in Delhi is 407. We are jubilant at the sickly sunshine trickling through the slightly dissipated smog. At least its not 1600.
दिवाली... पराली... सियासी जुगाली!Ashwini kumar
Monday November 18, 2024दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का समाधान तो आज तक मिला नहीं. हर साल चिंतित होकर हम-आप सांसों की तकलीफ के साथ-साथ दिल और ब्लड प्रेशर के मरीज भी क्यों बनें?
घर में कैद बुजुर्ग और हांफते लोग, दिल्ली की सांसों में घुला ये कैसा रोग?Nidhi Kulpati
Friday November 08, 2024हमारी हवा जहरीली हो रही है. गुरुवार की शाम को जब मैं इस मुद्दे पर लिखने बैठी तो AQI लगातार 400 पार जाकर दम घोंट रहा था. बहुत लोगों को यह मामला बोरिंग लगे, लेकिन जब आप अपने साथ काम करने वालों को खांसते-हांफते देखते-सुनते हैं, तो चिंता होने लगती है. सुबह उठते ही दरवाजे खिड़कियां खोलने के लिए डॉक्टर मना कर रहे हैं. बड़े बुजुर्गों के लिए तो मॉर्निंग वॉक बाहर की दुनिया से सीधे संपर्क का ज़रिया है, लेकिन डॉक्टर इसकी भी मनाही कर रहे हैं.