US Election Results: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. इस चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के नेता डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस को पराजित कर दिया. डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए हैं. जब दुनिया के कई देश युद्धों में उलझे हुए हैं और इसके साथ दुनिया की अर्थव्यवस्था भी अस्थिरता के दौर में है तब अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव कहीं अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है. ईरान-इजराइल युद्ध और यूक्रेन-रूस संघर्ष के बीच ट्रंप की जात के क्या मायने हैं? ट्रंप की जीत जहां कुछ देशों के लिए खुशी लेकर आई है तो कुछ के लिए यह दुखदाई साबित हो सकती है. हम यहां चीन, रूस, यूक्रेन, इजरायल और ईरान की बात कर रहे हैं. इन देशों पर ट्रंप के जीतने से खासा असर पड़ने के आसार हैं.
वैश्विक व्यापार में चीन और अमेरिका बड़े आर्थिक प्रतिद्वंदी माने जाते हैं. डोनाल्ड ट्रंप पहले ही चीन के खिलाफ ट्रेड वार छेड़ने की बात कह चुके हैं. ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में चीन से आयात पर 250 बिलियन डॉलर का टैरिफ लगाया था. इस बार चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने कहा था कि वे यदि वे जीतते हैं तो चीनी माल के आयात पर टैरिफ 60 से 100 फीसदी तक बढ़ा देंगे. ट्रंप ने चीन के खिलाफ ट्रेड वार तेज करने के संकेत देते हुए 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' का नारा दिया है.
ट्रंप एक तरफ जहां चीन को आर्थिक मोर्चे पर परेशानी में डाल सकते हैं वहीं दूसरी तरफ उसकी ताइवान पर दावेदारी पर भी आघात कर सकते हैं. चीन का इरादा 2027 तक ताइवान पर कब्जा करने का है. इसके लिए उसने दुनिया की सबसे बड़ी सेना और नौसेना तैयार कर ली है. चीन के युद्धपोत अक्सर ताइवान को घेराबंदी करने की कोशिश करते रहते हैं. ताइवान और अमेरिका के बीच रक्षा संधि है और ट्रंप ताइवन के मुद्दे पर पहले से मुखर रहे हैं. चीन अगर ताइवान के खिलाफ कोई भी सैन्य अभियान चलाता है तो ट्रंप ताइवान को बचाने के लिए अमेरिकी सेना भेज सकते हैं. ऐसे में चीन के लिए ट्रंप की जीत तनाव बढ़ाने वाली हो सकती है.
डोनाल्ड ट्रंप के दुबारा अमेरिका की सत्ता में आने से रूस खुश है. उसे आशा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध का अब समाप्त हो जाएगा. डोनाल्ड ट्रंप ने कहा भी है कि वे युद्ध खत्म करा देंगे. रूस यूक्रेन के बहुत बड़े हिस्से पर कब्जा कर चुका है. यदि बिना किसी समझौते के यह युद्ध समाप्त हो जाता है तो व्लादीमिर पुतिन को इससे खुशी मिलेगी. पूर्व में डोनाल्ड ट्रंप और पुतिन के संबंध अच्छे रहे हैं. वे आपस में कई बार बातचीत भी कर चुके हैं.
हालांकि रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अब तक न तो ट्रम्प को जीत की बधाई दी है और न ही उनकी ऐसी कोई योजना है. क्रेमलिन के प्रवक्ता ने कहा है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की डोनाल्ड ट्रम्प को बधाई देने की कोई योजना नहीं है. उन्होंने कहा कि, "हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम एक ऐसे अमित्र देश के बारे में बात कर रहे हैं जो हमारे राज्य के खिलाफ युद्ध में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है." हालांकि रूस का सधा हुआ शुरुआती रुख हो सकता है.
ट्रंप की जीत यूक्रेन के लिए अच्छी खबर नहीं है. ट्रंप युद्ध पर जल्द ही विराम लगवा सकते हैं. इसका कारण यह है कि ट्रंप यूक्रेन को दी जा रही मदद बंद सकते हैं, जिससे उसकी युद्ध क्षमताएं सीमित हो जाएंगी. यूक्रेन की ताकत विदेशों से मिलने वाली सहायता पर ही निर्भर है. ट्रंप पहले यह कह भी चुके हैं कि वे राष्ट्रपति बनेंगे तो यूक्रेन-रूस युद्ध 24 घंटे के अंदर खत्म करा देंगे. इसके मायने यह भी हैं कि ट्रंप यूक्रेन को मदद देना बंद करके उसे रूस के साथ समझौता करने के लिए मजबूर कर सकते हैं. अमेरिका की मदद के बगैर यूक्रेन को अपनी जमीन का बड़ा हिस्सा खोना पड़ सकता है.
नाटो के सदस्य के रूप में अमेरिका अनुच्छेद 5 के तहत नाटो के अन्य सदस्य देशों की सहायता के लिए बाध्य है. बाइडेन ने यूक्रेन को रूसी कब्जे से बचाने के लिए सैन्य और वित्तीय सहायता के साथ नाटो का नेतृत्व किया. लेकिन अब ट्रंप के आने से नाटो को लेकर अमेरिका की नीति में बदलाव हो सकते हैं. ट्रंप ने संकेत दिया है कि वे यूक्रेन को समर्थन देना समाप्त कर देंगे और उसे रूस के साथ उसकी शर्तों पर समझौते के लिए दबाव डालेंगे. संभव है कि ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में नाटो को छोड़ दें, या फिर रूस को समर्थन देकर उसका प्रभाव कम कर दें.
हालांकि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को उम्मीद है कि ट्रंप उनके पक्ष में खड़े होंगे. उन्होंने एक्स पर कहा, "डोनाल्ड ट्रंप को चुनाव में शानदार जीत के लिए बधाई. मुझे सितंबर में राष्ट्रपति ट्रंप के साथ हुई शानदार मुलाकात याद है. इस दौरान हमने यूक्रेन-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी, विक्ट्री प्लान और यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता को समाप्त करने के तरीके पर चर्चा की थी."
सितंबर में जेलेंस्की से मिलने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था, "यह युद्ध जल्द समाप्त होना चाहिए क्योंकि यूक्रेन और उसके राष्ट्रपति बड़ी कठिनाइयां झेल रहें हैं." जेलेंस्की ने कहा था कि, "इस दौर में अमेरिका मजबूती के साथ खड़ा रहा है और उन्हें उससे पूरी उम्मीद है."
इजरायल डोनाल्ड ट्रंप की जीत से खुश है. अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में अधिकांश यहूदियों ने कमला हैरिस का समर्थन किया लेकिन ट्रंप की जीत से इजरायल का पक्ष अधिक मजबूत होने की संभावना है. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप को जीत पर बधाई दी है. नेतन्याहू ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'व्हाइट हाउस में आपकी ऐतिहासिक वापसी अमेरिका के लिए नए युग की शुरुआत है, साथ ही इजरायल और अमेरिका के बीच रिश्तों की दिशा में शक्तिशाली प्रतिबद्धता है. यह एक बहुत शानदार जीत है.'
अपने पिछले कार्यकाल में यरुशलम को इजरायल की राजधानी बताते हुए उसका समर्थन कर चुके डोनाल्ड ट्रंप इस बार के चुनाव में भी इजरायल के पक्ष में बोलते रहे. ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान खुलकर कहा था कि अमेरिका हमेशा इजरायल के साथ खड़ा रहेगा. उन्होंने कहा था कि, ''जो भी यहूदी है या यहूदी और इजरायल से प्यार करता है वह यदि डेमोक्रेट को वोट देता है तो वह बेवकूफ है.'' उनका यह कथन साफ तौर पर फिलिस्तीनियों के विरोध में और इजरायल के समर्थन में था. यानी कि इजरायल के लिए ट्रंप की जीत फायदेमंद साबित होगी.
दूसरी तरफ हमास के समर्थक ईरान के लिए ट्रंप की जीत एक बुरी खबर है. इजरायल के समर्थक ट्रंप उसे ईरान के परमाणु ठिकानों को नेस्तनाबूत करने के लिए मदद दे सकते हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने पिछली बार सत्ता में आने के बाद ईरान के खिलाफ कई कदम उठाए थे. ईरान ने साल 2015 में दुनिया के कई देशों के साथ परमाणु समझौता किया था. डोनाल्ड ट्रंप ने सन 2018 में वह परमाणु समझौता खत्म कर दिया था और अमेरिका उससे बाहर आ गया था. ट्रंप ने ईरान पर कई कड़े आर्थिक प्रतिबंध भी लगा दिए थे जिससे वह आर्थिक रूप से कमजोर हो गया था. ईरान का हिज्बुल्लाह को समर्थन है और हिज्बुल्लाह हमास का समर्थन करता है. यानी इजरायल को जिन मोर्चों पर संघर्ष करना पड़ रहा है उसके पीछे ईरान की ताकत है. जबकि ट्रंप इजरायल के साथ हैं.
ट्रंप की जीत के साथ ईरान पर बुरा असर दिखना शुरू हो गया है. ईरान की मुद्रा रियाल बुधवार को अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. ईरानी रियाल एक डॉलर के मुकाबले अपने सबसे निचले स्तर 703,000 रियाल पर पहुंच गई. डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में ईरान पर कई प्रतिबंध लगाए थे. अब उनके फिर से राष्ट्रपति बनने से ईरान के लिए बुरे दिनों की वापसी हो गई है.
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Reported by: NDTV इंडिया, Edited by: रितु शर्मा© Copyright NDTV Convergence Limited 2024. All rights reserved.