अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) ने अपने पहले कार्यकाल में चीन (China) पर खूब हमले बोले हैं और हर दूसरी बात में उसको घेरने की कोशिश की है, लेकिन चीन फिर भी उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए व्हाइट हाउस में देखना चाहेगा, क्योंकि बीजिंग अपने सुपरपावर प्रतिद्ंद्वी के पतन का इंतजार कर रहा है. दोनों देशों में चार दशक पहले औपचारिक संबंध स्थापित हुए थे, तब से अभी तक ये रिश्ते ठंडे ही पड़े हैं. वहीं, चीन ने हाल ही में चेतावनी दी है कि वो अमेरिका के साथ नया 'शीत युद्ध' नहीं चाहता है.
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने 'अमेरिका फर्स्ट' बैनर के तहत चीन को अमेरिकी और दुनिया के लोकतंत्र का सबसे बड़ा खतरा बताया था. उन्होंने चीन के साथ ट्रेड वॉर शुरू किया है, जिससे चीन को बिलियन डॉलर्स का नुकसान हो रहा है. उन्होंने चीनी टेक कंपनियों के लिए मुश्किलें खड़ी की हैं और बीजिंग पर ही कोरोनावायरस की पूरी जिम्मेदारी डाल रहे हैं. लेकिन नवंबर में होने वाले चुनावों में ट्रंप की जीत में चीन अपना फायदा देख रहा है. शी जिनपिंग चीन को ग्लोबल सुपरपावर बनाने के मिशन में लगे हुए हैं.
ट्रंप ने अमेरिका को एशिया-पैसिफिक कॉमर्शियल डील और क्लाइमेट समझौते से बाहर कर दिया है, चीनी सामानों पर बिलियन डॉलर्स का टैरिफ थोपा है और वैश्विक महामारी के बीच में अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन से बाहर कर लिया है. और ट्रंप जहां-जहां से पीछे हटे हैं, शी जिनपिंग वहां-वहां आगे बढ़े हैं. जिनपिंग ने चीन को फ्री ट्रेड का चैंपियन और क्लाइमेट चेंज के खिलाफ लड़ाई के नेता के तौर पर स्थापित किया है और इसका वादा किया है कि वो गरीब देशों के साथ भावी कोविड-19 वैक्सीन को साझा करेंगे.
यह भी पढ़ें : आंकड़ों की अनदेखी मत करिए: चीन के GDP के डेटा में सुधार लेकिन भारत के लिए 'खतरे की घंटी'..
Bucknell University के पॉलिटिकल एंड इंटरनेशनल रिलेशंस के प्रोफेसर झू झीकुन ने कहा कि 'ट्रंप का दूसरा कार्यकाल चीन को दुनिया में सुपरपावर के तौर पर स्थापित होने के लिए और ज्यादा वक्त दे सकता है. चीन के लीडरशिप को वैश्वीकरण, बहुपक्षवाद और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के क्षेत्र में अपना रुख ज्यादा सख्ती से रखने का मौका मिल सकता है.'
अमेरिका के हार्वर्ड केनेडी स्कूल में चीन पर एक्सपर्ट फिलिप ल`कॉ ने भी माना कि ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' की नीतियां लंबे वक्त में चीन को फायदा पहुंचाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि इससे अमेरिका अपने पारंपरिक सहयोगियों से दूर हो रहा है, जिससे चीन को अपने लिए जगह बनाने में मदद मिल रही है.
सबसे बड़ी बात है कि चीनी राष्ट्रवादी ट्रंप के समर्थन में (दरअसल, चीन के समर्थन में) खुलेआम ही बोल रहे हैं. चीन े राष्ट्रवादी अखबार ग्लोबल टाइम्स के एडिटर-इन-चीफ हू शिजिन ने ट्रंप के नाम से किए गए एक ट्वीट में कहा था कि 'आप अमेरिका में ये सनक पैदा कर सकते हैं, जिसको दुनिया नापंसद करेगी. आप चीन में एकता पैदा करने में सहयोग कर रहे हैं.'
Video: भारत के मामले में न बोले चीन : विदेश मंत्री एस जयशंकर
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने एलन मस्क को दिया जवाब, कहा, भारत में हैक नहीं की जा सकती है EVM
Reported by: अश्वनी कुमार सिंहअमेरिका में H1B वीजा पर क्यों भिड़े हैं राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के समर्थक, किस देश को होता है फायदा
Written by: राजेश कुमार आर्यअदाणी समूह के खिलाफ अमेरिकी विभाग की कार्रवाई में शामिल जज देंगे इस्तीफा
Written by: NDTV इंडिया© Copyright NDTV Convergence Limited 2025. All rights reserved.