उत्तर प्रदेश की हाट सीटों में से एक कन्नौज में सपा प्रमुख अखिलेश यादव आगे चल रहे है, वहां उनका मुकाबला बीजेपी के सुब्रत पाठक से है.
उत्तर प्रदेश के कन्नौज की पहचान देश-दुनिया में इत्र नगरी के रूप में है. इस शहर में इत्र का कारोबार होता है.कन्नौज को समाजवादी रूझान वाला इलाका माना जाता है. इस सीट पर 1967 में हुए पहले चुनाव में मशहूर समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया सांसद चुने गए थे.इस सीट पर अबतक हुए 16 चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस केवल 2-2 बार ही जीत पाई हैं. समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव, उनके बेटे अखिलेश यादव और बहू डिंपल यादव इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.साल 2019 के चुनाव से पहले हुए छह चुनावों में यहां से सपा को विजय मिली है.इस बार के चुनाव में भी अखिलेश यादव कन्नौज में ताल ठोक रहे हैं.उनका मुकाबला बीजेपी के निवर्तमान सांसद सुब्रत पाठक से है.
कन्नौज सीट का भूगोल
कन्नौज लोकसभा सीट तीन जिलों में फैली हुई है.इसमें कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं. ये हैं कन्नौज जिले की छिबरामउ, तिवरा और कन्नौज,औरैया जिले की बिधुना और कानपुर देहात जिले की रसूलाबाद विधानसभा सीट. इस लोकसभा सीट पर चुनाव के चौथे चरण में 13 मई को मतदान कराया गया था.चुनाव आयोग के मुताबिक इस सीट पर कुल 61.08 फीसदी मतदान हुआ था. अगर विधानसभा वार मतदान की बात करें तो छिबरामउ में 59.86, तिवरा में 62.03, कन्नौज में 62.23, बिधुना 61.39 में और रसूलाबाद में 59.93 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया.
अखिलेश यादव पहली बार जीते थे लोकसभा चुनाव
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव चौथी बार यहां से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.इससे कन्नौज सीट हाई प्रोफाइल हो गई है.उन्हें चुनौती दे रहे हैं बीजेपी के सांसद और दूसरी बार उम्मीदवार बने सुब्रत पाठक. पाठक ने 2019 के चुनाव में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को 12 हजार 353 वोट से चुनाव हराया था.पाठक को पांच लाख 63 हजार 87 वोट मिले थे. वहीं डिंपल को पांच लाख 50 हजार 734 वोट मिले थे. इससे पहले 2014 के चुनाव में डिंपल यादव ने सुब्रत पाठक को मात दी थी.डिंपल को चार लाख 89 हजार 164 वोट मिले थे. वहीं पाठक के खाते में चार लाख 69 हजार वोट आए थे. बसपा के निर्मल तिवारी को एक लाख 27 हजार 785 वोट मिले थे.
इस बार का मुकाबला सपा के अखिलेश यादव और बीजेपी के सुब्रत पाठक के बीच माना जा रहा है. लेकिन बसपा इमरान बिन जफर के मैदान में आने से इस बार कन्नौज का मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.बसपा की कोशिश मुस्लिम और दलित वोटों में हिस्सेदारी लेने की है.कन्नौज में करीब साढ़े तीन लाख दलित मतदाता और करीब तीन लाख लाख मुस्लिम मतदाता हैं.इसी उम्मीद में बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है.
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