Air Pollution Side Effects on Health: प्रदूषण का स्तर लगातार बदतर स्थिति में पहुंचता जा रहा है. अगर आप सोच रहे हैं कि पॉल्यूशन सिर्फ आपकी मॉर्निंग वॉक और कफ की वजह है तो आपका ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने चेतावनी देते हुए बताया कि पॉल्यूशन आपके माइंड पर भी असर डाल रहा है. जिसकी वजह से डिमेंशिया जैसी बीमारी होने का रिस्क भी बढ़ रहा है. हम हर रोज जिस हवा में सांस ले रहे हैं इसकी वजह से ना सिर्फ हमारे लंग्स बल्कि हमारे ब्रेन पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है.
द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि PM2.5 (फाइन पार्टिकुलेट मैटर) — जो ट्रैफिक, उद्योग, जंगल की आग आदि से निकलने वाले बेहद छोटे कण होते हैं इनके संपर्क में लंबे समय तक रहना बुढ़ापे में डिमेंशिया (स्मृति हानि) के खतरे को बढ़ा सकता है. ये सूक्ष्म कण इतने छोटे होते हैं कि ये शरीर की सुरक्षा प्रणाली को पार कर ब्लड स्ट्रीम में घुस सकते हैं, और यहां तक कि मस्तिष्क तक पहुंच सकते हैं.
इस अध्ययन में 51 अलग-अलग शोधों का विश्लेषण किया गया, जिसमें 2.9 करोड़ से अधिक प्रतिभागियों का डेटा शामिल था, जो कम से कम एक साल तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहे थे. इस स्टडी को देखकर ये कहा जा सकता है कि प्रदूषण ना सिर्फ आपकी नाक तक सीमित है बल्कि यह आपके न्यूरॉन्स तक भी पहुंच सकता है.
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दरअसल असली चिंता की बात ये है कि प्रदूषण सिर्फ बुज़ुर्गों को ही नहीं, बल्कि युवाओं को भी इससे उतना ही खतरा है. शोधकर्ताओं ने पाया है कि दिमाग को नुकसान पहुंचना बहुत पहले उम्र में ही शुरू हो सकता है, यानी जितना ज़्यादा समय आप प्रदूषित वातावरण में बिताते हैं, डिमेंशिया का खतरा उतना ही बढ़ जाता है.
हवा में प्रदूषण की खासियत यह है कि यह नजर नहीं आता है, और ज़्यादातर मामलों में इससे बचना मुश्किल होता है — खासकर अगर आप किसी व्यस्त शहर में रहते हैं. यहां तक कि घर के अंदर की हवा भी सुरक्षित नहीं होती है.
डॉ. हनीन ख्रीस, जो इस अध्ययन की सीनियर लेखिका हैं, ने The Guardian को बताया: "वायु प्रदूषण से निपटना स्वास्थ्य, सामाजिक, जलवायु और आर्थिक दृष्टिकोण से दीर्घकालिक लाभ दे सकता है. यह मरीजों, परिवारों और देखभाल करने वालों पर पड़ने वाले भारी बोझ को कम कर सकता है, और पहले से ही दबाव में चल रहे स्वास्थ्य तंत्र को राहत दे सकता है."
शोधकर्ताओं ने कहा, "इस व्यवस्थित समीक्षा और मेटा-विश्लेषण में हमने पाया कि डिमेंशिया के मामलों और लंबे समय तक PM2.5, NO2 और BC/PM2.5 एब्जॉर्बेंस के संपर्क में रहने के बीच सकारात्मक और सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण संबंध हैं." हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि NOx, PM10 और वार्षिक O3 के साथ ऐसा कोई संबंध नहीं पाया गया, क्योंकि इन पर आधारित अध्ययन की संख्या बहुत कम थी.
दिमाग पर प्रदूषण का असर : स्ट्रोक, डिमेंशिया, पार्किंसंस रोग
आंखों पर प्रदूषण का असर : कंजंक्टिवाइटिस, ड्राई आई डिजीज, मोतियाबिंद
नाक पर प्रदूषण का असर : एलर्जी
दिल पर प्रदूषण का असर : इस्केमिक हार्ट डिजीज, हाइपरटेंशन, हार्ट फेल्योर, एरिथमिया या इर्रेगुलर हार्ट बीट
फेफड़ों पर प्रदूषण का असर : लंग कैंसर, लैरींगाइटिस, अस्थमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, ब्रोन्किइक्टेसिस और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)
लिवर पर प्रदूषण का असर : हेपेटिक स्टीटोसिस, हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा
ब्लड में प्रदूषण का असर : ल्यूकेमिया, एनीमिया, सिकल सेल, इंट्रावैस्कुलर कोएग्युलेशन
फैट पर प्रदूषण का असर : मेटाबोलिक सिंड्रोम, मोटापा
पेनक्रियाज पर प्रदूषण का असर : टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल पर प्रदूषण का असर : गैस्ट्रिक कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (आईबीडी)
यूरोजेनिटल पर प्रदूषण का असर : ब्लैडर कैंसर, किडनी कैंसर, प्रोस्टेट हाइपरप्लासिया
हड्डियां और जोड़ों पर प्रदूषण का असर : रूमेटिक डिजीज, ऑस्टियोपोरोसिस, कमजोर हड्डियां
स्किन पर पर प्रदूषण का असर : एटॉपिक स्किन रोग, स्किन एजिंग, यूट्रिकेरिया, डर्मोग्राफिज्म, मुंहासे
कुल मिलाकर शरीर पर होने वाला प्रदूषण का असर : यह जीवन प्रत्याशा यानी लाइफ एक्सपेक्टेंसी को कम कर सकता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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