Fighting Our Killer Air - A Citizens' Charter
  • Home/
  • निकली आग और बरसेंगे बादल! कानपुर से उड़े प्लेन ने दिल्ली के ऊपर कैसे की क्लाउड सीडिंग, जानिए

निकली आग और बरसेंगे बादल! कानपुर से उड़े प्लेन ने दिल्ली के ऊपर कैसे की क्लाउड सीडिंग, जानिए

निकली आग और बरसेंगे बादल! कानपुर से उड़े प्लेन ने दिल्ली के ऊपर कैसे की क्लाउड सीडिंग, जानिए
Delhi Cloud Seeding

Highlights

  1. कानपुर से दिल्ली आए स्पेशल प्लेन से दिल्ली में कई स्थानों पर क्लाउड सीडिंग की गई
  2. क्लाउड सीडिंग में सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड केमिकल का बादलों में छिड़काव कर बारिश कराई जाती है
  3. इस स्पेशल प्लेन में विंग के पास खास तरह की नलियां लगी हुई थीं, जिससे आग की फुफकार निकली
नई दिल्ली: 

दिल्ली में कुछ ही देर में बारिश होने जा रही है. यह पूरी दिल्ली नहीं, बल्कि एक खास इलाके के ऊपर होगी. बड़ी बात यह कि इस बार मर्जी इंद्रदेव की नहीं, बल्कि इंसान की चलेगी. दिल्ली में जिस विमान से कृत्रिम बारिश (क्लाउड सीडिंग) करवाई जाएगी, उसने मंगलवार सुबह कानपुर से उड़ान भरी थी. दिल्ली में क्लाउड सीडिंग सफल रही है और कुछ देर में कृत्रिम बारिश हो सकती है. कानपुर में विजिबिलिटी कम होने के कारण प्लेन की उड़ान में कुछ देरी हुई थी. कानपुर में सुबह विजिबिलिटी 2000 मीटर थी. प्लेन के उड़ान के लिए 5000 मीटर विजिबिलिटी का इंतजार किया गया. जैसे ही मौसम साफ हुआ, वह दिल्ली की ओर उड़ चला. दिल्ली में कृत्रिम बारिश बुराड़ी के ऊपर करवाई जाएगी. पिछले हफ्ते सरकार ने बुराड़ी क्षेत्र के ऊपर एक परीक्षण उड़ान भरी थी. इस दौरान विमान से सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड जैसे यौगिकों की कम मात्रा छोड़ी गई, जो कृत्रिम बारिश उत्पन्न करने में सहायक होते हैं. वातावरण में नमी का स्तर 20 प्रतिशत से कम होने के कारण बारिश नहीं कराई जा सकी, क्योंकि कृत्रिम बारिश के लिए सामान्यत 50 प्रतिशत की नमी की आवश्यकता होती है. दरअसल AQI लेवल सुधारने के लिए कृत्रिम बारिश कराने की तैयारी है. 

प्लेन ने दिल्ली के ऊपर कुछ यूं आग का फव्वारा छोड़ते हुए की क्लाउड सीडिंग (यहां पढ़ें पूरी खबर)

Latest and Breaking News on NDTV 

15 मिनट से 4 घंटे के भीतर हो सकती है बारिश

दिल्‍ली के पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि अगले 15 मिनट से लेकर 4 घंटे के भीतर बारिश हो सकती है. उन्‍होंने बताया कि बहुत बारिश नहीं होगी क्योंकि ह्यूमिडिटी इतनी ज्यादा नहीं है. साथ ही उन्‍होंने बताया कि अगर यह ट्रायल सफल रहा तो कहा जा सकता है कि भारत में यह पहली बार होगा कि साइंटिफिक तरीके से पॉल्यूशन को कम करने के लिए कृत्रिम बारिश हो रही है. 

उन्‍होंने बताया कि आगे आने वाले समय में सरकार की तरफ से ऐसी 10 बार क्लाउड सीडिंग कराई जा सकती है. मौसम जैसा होगा, उस हिसाब से हम क्लाउड सीडिंग करवाते रहेंगे. सिरसा ने उम्‍मीद जताई कि आईआईटी कानपुर के रिजल्ट अच्छे होंगे. 

कब होगी बारिश?: कानपुर से उड़े प्लेन ने मेरठ एयरफील्ड के अलावा दिल्ली-एनसीआर के खेकरा, बुराड़ी, नॉर्थ करोल बाग , मयूर बिहार, सादकपुर,  भोजपुर में कृत्रिम बारिश के लिए क्लाउड सीडिंग की. बारिश के लिए 2 से 3 घंटे तक इंतजार करना होगा. बताया जा रहा है कि अगर क्लाउड सीडिंग सफल रही तो शाम को 5 से 6 बजे के बीच बारिश आएगी. हालांकि इसको लेकर भी सस्पेंस बना हुआ है. दिल्ली की हवा में आज नमी की मात्रा काफी कम है. यह करीब 15 से 20 पर्सेंट है. कृत्रिम बारिश के लिए इतनी कमी नाकाफी मानी जाती है.


मिशन पूरा कर लौटा प्लेन: दिल्ली में खेकड़ा, बुराड़ी, नार्थ करोल बाग, मयूर विहार, सड़कपुर, भोजपुर में क्लाउड सीडिंग कराई गई है. इसके बाद प्लेन मेरठ जाकर लैंड कराया गया. एनडीटीवी रिपोर्टर पल्लव बागला के अनुसार, शाम 5 या 6 बजे बारिश हो सकती है, क्योंकि बादलों के बीच नमी अभी 15-20 फीसदी ही है. इससे उत्तरी दिल्ली और बाहरी दिल्ली के इलाकों में कृत्रिम बारिश का नजारा देखने को मिलेगा. सरकार को उम्मीद है कि इस विधि से कृत्रिम बारिश होने से प्रदूषण कम होगा. कृत्रिम बारिश का सफल परीक्षण को दूसरे इलाकों में भी अपनाया जाएगा.

दिल्ली-नोएडा की हवा 'खराब', ITO से आनंद विहार, बवाना तक हांफ रही राजधानी, आज कृत्रिम बारिश करा सकती है सरकार

मौसम पर सारा दारोमदार
दिल्ली सरकार ने कुछ दिनों पहले संकेत दिया था कि अगर मौसम अनुकूल रहा तो 28 और 29 अक्टूबर को कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है. आर्टीफीशियल रेन के लिए उड़ान कानपुर से दिल्ली उड़ चला है. दिल्ली और आसपास के इलाके में बादल छाये हुए हैं, ऐसे में अगर नमी 50 फीसदी के करीब रही तो ये कदम उठाया जा सकता है. इससे दमघोंटू प्रदूषण से परेशान जनता को फौरी राहत मिल सकती है. कानपुर से सेसना प्लेन इसके लिए उड़ान भर चुका है. अगर सारे हालात ठीक रहे तो कृत्रिम बारिश कराई जाएगी. अन्यथा ये प्लेन सीधे मेरठ में जाकर लैंड करेगा. 

Cloud Seeding

Cloud Seeding

कैसे कराई जाती है कृत्रिम बारिश, बादलों में कैसे भरा जाता है पानी? जानें कितना आता है खर्च

दिल्ली सरकार का कहना है कि कृत्रिम बारिश का आखिरी फैसला मौसम पर निर्भर करेगा. बुराड़ी में इसका टेस्ट किया जा चुका है. परीक्षण के दौरान कृत्रिम वर्षा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड केमिकल की थोड़ी मात्रा का विमान से छिड़काव किया गया था.

कैसे होती है कृत्रिम बारिश?
बादलों का घनत्व जब कम होने के कारण उनमें नमी नहीं होती है तो वो तैरते रहते हैं, लेकिन बारिश नहीं होती.ऐसे में तकनीक का इस्तेमाल कर बारिश कराना ही कृत्रिम बारिश या क्लाउड सीडिंग है. यानी कि प्राकृतिक बारिश की तरह कृत्रिम बारिश के लिए भी बादलों का होना जरूरी है.

क्या है क्लाउड सीडिंग टेक्नोलॉजी, जिससे दिल्ली में होगी आर्टिफिशियल बारिश, खर्च होंगे इतने करोड़

पहली बार कब कराई गई कृत्रिम बारिश?
डॉक्टर विंसेन शेफर्ड नाम के वैज्ञानिक ने 13 नवंबर 1946 को पहली बार ये तकनीक आजमाई थी. तब बादलों पर विमान से कच्ची बर्फ फेंकी गई थी. इससे बारिश होने लगी, फिर इसके बाद वैज्ञानिकों ने बादलों पर केमिकल का छिड़काव कर क्लाउड सीडिंग का तरीका ईजाद किया. सिल्वर आयोडाइड का इस्तेमाल कर कृत्रिम बारिश कराई गई.

क्या होती है क्लाउड सीडिंग?
क्लाउड सीडिंग में सिल्वर आयोडाइड (AgI) का इस्तेमाल कर बादलों को कंसट्रेशन बढ़ाकर बारिश कराई जाती है. इस कंडेंसेशन (संघनन) की प्रक्रिया तेज हो जाती है. बादल पानी की बूंदों में बदलकर बरसने लगते हैं. इसे ही क्लाउड सीडिंग कहा जाता है. दुबई और चीन जैसे देश में काफी ज्यादा आर्टीफीशियल रेन का इस्तेमाल होता है.

Clud Seeding

Clud Seeding


क्या है क्लाउड सीडिंग टेक्नोलॉजी
क्लाउड सीडिंग के जरिये कहीं भी बारिश करवाई जा सकती है. इसके लिए बादलों का होना जरूरी है. हवा में वाटर ड्रॉपलेट यानी बादल ही नहीं होंगे तो बारिश नहीं हो सकती है. ये टेक्नोलॉजी सिर्फ बादलों का कंडेंसेशन (संघनन) बढ़ाकर बारिश कराती है, बादल नहीं बना सकती है. 

भारत में कब इस्तेमाल
भारत में क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट भी काफी पहले आया. देश में 1983 और 1987 में इसका पहले इस्तेमाल हुआ. तमिलनाडु में 1993-94 में ऐसा हुआ. सूखे का संकट खत्म करने के लिए क्लाउड सीडिंग की गई. कर्नाटक और महाराष्ट्र में क्लाउड सीडिंग हो चुकी है.

Share this story on

Latest Stories

................................ Advertisement ................................

Latest Videos

Opinion

  • Opinion | Why Indians Have Just Given Up On Air Pollution Crisis

    Opinion | Why Indians Have Just Given Up On Air Pollution CrisisTanushree Ganguly

    Friday December 20, 2024

    While some may argue that people in Delhi are now more aware of air pollution than they were a decade back, my rebuttal would be that awareness does not mean that people are concerned.

  • Opinion | You Must Outrage Over Filthy Air More Than Once A Year

    Opinion | You Must Outrage Over Filthy Air More Than Once A YearJyoti Pande Lavakare

    Tuesday December 10, 2024

    Delhi welcomed us with monsoon rains and mangos. We were home. Fast forward a couple of years, in the winter of 2012, I found myself in denial about something other parents, mostly expats, were calling toxic air.

  • Opinion | Delhi's Air Pollution Situation Is Like A Bad Marriage

    Opinion | Delhi's Air Pollution Situation Is Like A Bad MarriageNishtha Gautam

    Friday November 22, 2024

    On a good day, such as today, the AQI reading in Delhi is 407. We are jubilant at the sickly sunshine trickling through the slightly dissipated smog. At least its not 1600.

  • दिवाली... पराली... सियासी जुगाली!

    दिवाली... पराली... सियासी जुगाली!Ashwini kumar

    Monday November 18, 2024

    दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का समाधान तो आज तक मिला नहीं. हर साल चिंतित होकर हम-आप सांसों की तकलीफ के साथ-साथ दिल और ब्लड प्रेशर के मरीज भी क्यों बनें?

  • घर में कैद बुजुर्ग और हांफते लोग, दिल्ली की सांसों में घुला ये कैसा रोग?

    घर में कैद बुजुर्ग और हांफते लोग, दिल्ली की सांसों में घुला ये कैसा रोग?Nidhi Kulpati

    Friday November 08, 2024

    हमारी हवा जहरीली हो रही है. गुरुवार की शाम को जब मैं इस मुद्दे पर लिखने बैठी तो AQI लगातार 400 पार  जाकर दम घोंट रहा था. बहुत लोगों को यह मामला बोरिंग लगे, लेकिन जब आप अपने साथ काम करने वालों को खांसते-हांफते देखते-सुनते हैं, तो चिंता होने लगती है. सुबह उठते ही दरवाजे खिड़कियां खोलने के लिए डॉक्टर मना कर रहे हैं. बड़े बुजुर्गों के लिए तो मॉर्निंग वॉक बाहर की दुनिया से सीधे संपर्क का ज़रिया है, लेकिन डॉक्टर इसकी भी मनाही कर रहे हैं.