अमेरिकी चुनाव में बंपर जीत दर्ज करने के बाद डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं. अमेरिका की जनता ने कमला हैरिस की तुलना में इस बार डोनाल्ड ट्रंप पर ज्यादा विश्वास जताया है. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद अब पूरी दुनिया डोनाल्ड ट्रंप की तरफ देख रही है. जानकार मान रहे हैं कि ट्रंप का आगामी कार्यकाल उनके पिछले कार्यकाल से काफी हद तक अलग होगा. आइये आज हम आपको बताते हैं कि ट्रंप अपने इस कार्यकाल में कौन से बड़े फैसले ले सकते हैं और इसका दुनिया के अन्य देशों पर क्या असर पड़ेगा.
अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप की वापसी का अगर सबसे ज्यादा सदमा किसी देश को लगा होगा तो वो देश है चीन है. चीन के साथ ट्रंप के संबंध काफी पहले से ही ठीक नहीं रहे हैं. ट्रंप सत्ता में वापसी के साथ ही चीन से आने वाले सामानों पर टैरिफ को 60 फीसदी कर सकते हैं जबकि चीन से आने वाली कारों पर 100 फीसदी की ड्यूटी भी लगा सकते हैं. ऐसा हुआ तो इसका असर चीन की अर्थव्यवस्था पर भी निश्चित तौर पर पड़ेगा. ट्रंप सरकार मानती है कि चीन के अलावा जो भी देश अमेरिका में अपने सामान को बेचते हैं उन सभी के टैरिफ में भी 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी की जानी चाहिए. अगर ऐसा हुआ तो विश्व के कई देशों की अर्थव्यस्था पर इसका असर दिख सकता है.डोनाल्ड ट्रंप और उनकी सरकार ने अगर अपनी कही बातों में कुछ भी अमल कर लिया तो इसका असर मल्टीलेटरल ट्रेड पर भी निश्चित तौर पर दिखेगा.
डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी का सबसे ज्यादा असर चीन और उसकी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. अगर ट्रंप सरकार ने टैरिफ से लेकर अन्य बड़े फैसले आते ही लिए तो इसका चीन की सरकार पर भी असर पड़ेगा. ऐसा इसलिए भी क्योंकि चीन बीते कुछ समय से गंभीर मंदी और बेरोजगारी के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में अगर टैरिफ बढ़ाने से लेकर कुछ और अन्य सख्त फैसले लिए गए तो इसका सीधा असर चीन पर पड़ेगा. और उसकी स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर जरूर होगी.
डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी का असर रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी जरूर पड़ेगा. ट्रंप ने चुनाव जीतने के बाद दिए अपने संबोधन में ही ये साफ कर दिया है कि यूक्रेन को अब आगे से मुफ्त में कोई हथियार नहीं मिलेंगे. साथ ही साथ उन्होंने रूस से युद्ध खत्म करने के लिए यूक्रेन पर दवाब बनाने की भी बात कही है. ऐसे में यूक्रेन के लिए आगे भी रूस के साथ युद्ध में बने रहना पहले की तरह आसान नहीं होने वाला है.
अमेरिका की सत्ता में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी का असर कई हजार किलोमीटर दूर इजरायल और हमास युद्ध पर भी पड़ेगा. ट्रंप की सत्ता में वापसी से इजरायल के पीएम नेतन्याहू गदगद हैं. उन्हें पता है कि ट्रंप पहले भी इजरायल का ही साथ दिया था. अगर बात बाइडेन प्रशासन की करें तो उनके कार्यकाल में इजरायल और अमेरिका के रिश्ते ज्यादा अच्छे नहीं रहे थे.
डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से चीन के साथ-साथ ईरान की भी टेंशन बढ़ती दिख रही है. माना जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन सत्ता में वापसी के बाद ईरान पर एक बार फिर कई तरह के प्रतिबंध लगाने पर विचार कर सकता है.अगर ऐसा हुआ तो ईरान इजरायल से जारी संघर्ष में कमजोर पड़ेगा और इजरायल एक बार फिर ईरान और उसके प्रॉक्सी पर भारी पड़ सकता है. ट्रंप प्रशासन अगर ऐसा कोई एक्शन ईरान के खिलाफ लेती है तो इसका असर ईरान की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा.
जानकार मानते हैं कि ट्रंप की सत्ता में वापसी का वैश्विक जलवायु न्याय के लिए एक गहरा झटके की तरफ है.कहा जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय समझौतों के प्रति उनकी उपेक्षा और जलवायु वित्त प्रदान करने से इनकार करने से संकट और गहरा होगा. कहा जा रहा है कि कार्बन इमिशन को लेकर किसी भी मल्टीलेटरल डील नहीं करने वाले हैं.
सत्ता में वापसी के साथ ही ट्रंप सरकार ने मानवाधिकार को लेकर भी अपना रुख साफ कर दिया है. ट्रंप काफी समय से ही मानवाधिकार और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर अपनी बात रखते रहे हैं. उन्होंने कई बार ऑन रिकॉर्ड कहा है कि अमेरिका कभी अपने वैल्यू से अलग नहीं हो रहा है. ये कुछ देशों के लिए अच्छी बात है तो कुछ के लिए ये एक दिक्कत की तरह है.
USAID Funding Case: अमेरिका का भारत के चुनाव में दखल? USAID फंडिंग को लेकर ट्रंप के बयान के बाद मचे घमासान की पूरी कहानी
Written by: प्रभांशु रंजनUSAID पर घमासान, ट्रंप ने कहा-'भारत के पास बहुत पैसा, हम 1.8 अरब क्यों दे रहे हैं?'
Reported by: NDTV इंडिया, Edited by: पीयूष जयजानबाइडन का दर्द-ए-दिल, मैं ट्रंप को पक्का हरा देता लेकिन...
Edited by: तिलकराजUSAID Funding Case: अमेरिकी संस्था यूएसएड की 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग पर ट्रंप के बयान से भारत में सियासी घमासान मचा है. भाजपा-कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. USAID फंडिंग का पूरा मामला क्या है, जानिए इस रिपोर्ट में.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सरकारी दक्षता विभाग के उस फैसले का बचाव किया है, जिसमें USAID के जरिए भारत को दी जाने वाली 1 अरब 80 करोड़ रुपये की मदद रोक दी गई है. यह मदद भारत में मतदान बढ़ाने के लिए दी जा रही थी.ट्रंप का कहना है कि भारत के पास बहुत पैसा है.
अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन का कहना है कि वह डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव हरा सकते थे, लेकिन पार्टी के कहने पर उन्हें पीछे हटना पड़ा.
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि भारत में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. यह एक तरह से दुनिया के सबसे रईस व्यक्ति एलन मस्क को जवाब माना जा रहा था, जिन्होंने लेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन की सुरक्षा पर सवाल उठाए थे.
अमेरिका में निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के समर्थक एच 1 बी वीजा पर भिड़े हुए है. इसकी शुरूआत श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति के बाद हुई. ट्रंप के कुछ समर्थक इस पर आपत्ति जताने लगे. लेकिन अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने इसका समर्थन करते हुए एच 1 बी वीजा में सुधार की बात कही है.
अमेरिकी न्याय विभाग में अटार्नी ब्रायन पीस ने कहा है कि वो 10 जनवरी को इस्तीफा दें देंगे. पीस को राष्ट्रपति जो बाइडेन ने नियुक्त किया था. वो चुने गए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के 20 जनवरी को शपथ लेने से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे देंगे.
दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की मदद के लिए कम से कम 270 मिलियन डॉलर खर्च किए थे. जिसके साथ ही वो रिपब्लिकन के शीर्ष दाता बन गए हैं.
डोनाल्ड ट्रंप कथित तौर पर एक कार्यकारी आदेश की योजना बना रहे हैं, जिसके तहत अमेरिकी सेना से सभी ट्रांसजेंडर सदस्यों को हटा दिया जाएगा.
एक्स के सीईओ एलन मस्क भारत की चुनाव प्रक्रिया के फैन हो गए हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए हैरानी जताई कि भारत में एक दिन में ही 64 करोड़ वोटों की गिनती हो गई.
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि बॉन्डी ने लगभग 20 वर्षों तक अभियोजक के रूप में काम किया और उस दौरान उन्होंने अपराधियों के प्रति सख्त रुख अपनाया साथ ही फ्लोरिडा को लोगों के लिए सुरक्षित स्थान बनाया.