क्या चुनाव में घांधली हुई है...?
क्या हमारा वोट उसी को गया, जिसे हम देना चाहते थे...?
क्या बाहरी ताकतें चुनाव में धांधली करने की कोशिश कर रही हैं...?
ये सवाल भारत में ही नहीं, 2016 से अमेरिका में भी पूछे जा रहे हैं. जब से ये आरोप लगे कि पिछले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूस ने दखलअंदाज़ी की, तब से अमेरिका में नागरिकों के वोट को सुरक्षित रखने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. कोरोना के दौर में - जब पोलिंग बूथ पर जाकर वोट डालने की बजाय बड़ी संख्या में लोग पोस्टल बैलट को चुन रहे हैं - सुरक्षा और भी अहम हो गई है.
जर्मन मार्शल फंड ऑफ यूनाइटेड स्टेट्स की पहल से बने एलायन्स फॉर सिक्योरिंग डेमोक्रेसी के इलेक्शन इन्टिग्रिटी फेलो डेविड लेविन कहते हैं कि अमेरिकी चुनाव को सुरक्षित रखने के लिए 2016 के बाद डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने चुनाव को संवेदनशील माना है. क्योंकि अमेरिकी चुनाव काफी विकेंद्रीकृत हैं, तो फेडेरल एजेंसियां, जैसे - DHS और FBI चुनाव सुरक्षा को लेकर राज्यों को सलाह देती हैं और जांच भी करती हैं.
रोचक यह है कि अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में वोट देने के लिए रजिस्टर करने की प्रक्रिया, डाक से वोट देने की प्रक्रिया, पहले वोटिंगस यानी 3 नवंबर के वोटिंग के दिन से पहले खुद जाकर वोट देने की प्रक्रिया अलग-अलग हो सकती है. लेकिन वोटर रजिस्ट्रेशन और वोटर को जानकारी हर राज्य में समान है. लेविन कहते हैं कि एक अहम कदम, जो सुरक्षा एजेंसियों ने उठाया है, वह यह है कि 2020 में हर वोट का एक पेपर ट्रेल या पेपर वोट का सबूत होगा. इससे पहले भले ही कुछ वोटरों ने बिना पेपर वाली वोटिंग मशीन के ज़रिये वोट दिया हो, लेकिन DHS के मुताबिक इस बार करीब 92 फीसदी वोटर क्योंकि पेपर पर वोट देंगे, इसलिए उसे ऑडिट किया जा सकेगा. भारत में भी अब कुछ ऐसा ही है, जब EVM पर दिए वोट का पेपर सबूत भी होता है.
हालांकि वोट गिनने में ऐसे भी वक्त लगता है, लेकिन कोविड के कारण पोस्टल बैलट के ज़्यादा इस्तेमाल के कारण शायद चुनाव वाली रात तक गिनती पूरी न हो पाए. हालांकि इसमें खतरा यह है - डेविड लेविन कहते हैं कि इस वक्त में कुछ विदेशी ताकतें गलत ख़बरें फैला सकती हैं, जैसे - वोटरों को दबाया गया, सायबर हमले हुए हैं, चुनावी ढांचे पर हमला हुआ, चुनावी धांधली हुई वगैरह.
लेकिन इस बार किसी भी तरह से चुनाव में दखलअंदाज़ी मुश्किल होगी, क्योंकि न सिर्फ वोटों का पेपर ट्रेल होगा, बल्कि अर्ली वोटिंग या पहले जाकर वोट करने वालों की संख्या ज़्यादा है और इसमें समस्या होती है तो वोटर फिर आकर वोट डाल सकते हैं. पोस्ट से आने वाले वोट को ट्रैक किया जा सकेगा और साइबर सुरक्षा चाक-चौबंद है.
लेकिन कुल मिलाकर पेपर ट्रेल वाली मशीनों पर सबसे ज़्यादा भरोसा जताया जा रहा है, जो इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि पहले ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चुनाव नतीजों पर शक जता चुके हैं और साफ नहीं कह रहे हैं कि वह नतीजों को मानेंगे या नहीं. ऐसे में मामला अगर अदालत पहुंचता है, तो पेपर वाला सबूत कि कौन सा वोट किसे गया, सबसे अहम साबित होगा.
कादम्बिनी शर्मा NDTV इंडिया में एंकर और फारेन अफेयर्स एडिटर हैं...
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.
क्या दो Voter ID होना गुनाह? कितनी सजा और जुर्माना, कैसे कराएं घर बैठे कैंसल
Written by: अमरीश कुमार त्रिवेदीबेहतर क्या है, हाथ से खाना या कांटा छुरी से? ज़ोहरान ममदानी के हाथ से खाने पर विवाद
Written by: अपूर्व कृष्णअमेरिका गए राहुल गांधी के बयान पर फिर बवंडर, चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उठाए सवाल
Edited by: श्वेता गुप्ताVoter ID Card: किसी भी भारतीय के पास दो मतदाता पहचान पत्र होना गलत है. पैन कार्ड या आधार कार्ड जैसे दस्तावेजों की तरह तो ईपीआईसी वाले वोटर आईडी कार्ड रखना भी मुसीबत की वजह बन सकता है.
न्यूयॉर्क के मेयर चुनाव में डेमोक्रेट उम्मीदवार ज़ोहरान ममदानी के हाथ से खाना खाने पर विवाद हो गया है. भारतीय मूल के ममदानी के हाथ से चावल खाने के एक वीडियो को लेकर यह विवाद पैदा हुआ. रिपब्लिकन नेता ब्रैंडन गिल ने इस तरह से खाने को असभ्य बताया है.
अमेरिका में राहुल गांधी ने चुनाव आयोग (Rahul Gandhi On Election Commission) पर निष्पक्षता से समझौता करने और सिस्टम में बहुत बड़ी गड़बड़ी होने का आरोप लगाया.
डोनाल्ड ट्रंप ने कार्यकारी आदेश पर साइन करके अमेरिका के फेडरल चुनावों में वोटर रजिस्ट्रेशन के लिए नागरिकता का डॉक्यूमेंट प्रूव देना अनिवार्य कर दिया है.
चुनाव के जल्द ऐलान से पता चलता है कि कार्नी अपनी लिबरल पार्टी के लिए वोटिंग में हुई वृद्धि का लाभ उठाना चाहते हैं. जिसकी वजह मुख्य रूप से अमेरिकी टैरिफ और ट्रंप के बार-बार दिए गए बयानों को भी माना जा रहा है.
USAID Funding Case: अमेरिकी संस्था यूएसएड की 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग पर ट्रंप के बयान से भारत में सियासी घमासान मचा है. भाजपा-कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. USAID फंडिंग का पूरा मामला क्या है, जानिए इस रिपोर्ट में.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सरकारी दक्षता विभाग के उस फैसले का बचाव किया है, जिसमें USAID के जरिए भारत को दी जाने वाली 1 अरब 80 करोड़ रुपये की मदद रोक दी गई है. यह मदद भारत में मतदान बढ़ाने के लिए दी जा रही थी.ट्रंप का कहना है कि भारत के पास बहुत पैसा है.
अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन का कहना है कि वह डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव हरा सकते थे, लेकिन पार्टी के कहने पर उन्हें पीछे हटना पड़ा.
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि भारत में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. यह एक तरह से दुनिया के सबसे रईस व्यक्ति एलन मस्क को जवाब माना जा रहा था, जिन्होंने लेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन की सुरक्षा पर सवाल उठाए थे.
अमेरिका में निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के समर्थक एच 1 बी वीजा पर भिड़े हुए है. इसकी शुरूआत श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति के बाद हुई. ट्रंप के कुछ समर्थक इस पर आपत्ति जताने लगे. लेकिन अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने इसका समर्थन करते हुए एच 1 बी वीजा में सुधार की बात कही है.