अमेरिकी के न्याय विभाग ने तीन ईरानी हैकरों पर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के चुनाव अभियान को निशाना बनाने और 5 नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) को बाधित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. यह आरोप पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और उनकी डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के बीच होने वाले चुनाव में विदेशी हस्तक्षेप से मुकाबला करने की बाइडेन प्रशासन की सबसे नई कोशिश है. हालांकि ईरान ने गुरुवार को कहा कि यह आरोप कि उसने पूर्व अमेरिकी अधिकारियों को निशाना बनाया था, निराधार हैं.
अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि तीन लोग मसूद जलीली, सैय्यद अली अघामिरी और यासर बालाघी ट्रंप के चुनाव अभियान को कमजोर करने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने कहा, "हम इस चुनाव के दौरान तेजी से आक्रामक ईरानी साइबर गतिविधि देख रहे हैं."
आरोप में कहा गया है कि तीन लोगों ने अभियान से जुड़े अधिकारियों को यह विश्वास दिलाने के लिए फर्जी ईमेल अकाउंट का इस्तेमाल किया कि वे एक विश्वसनीय स्रोत के साथ काम कर रहे हैं और फिर उन्हें लिंक पर क्लिक करने के लिए कहा गया, जिससे हैकर्स को ईमेल और अन्य आंतरिक दस्तावेज जैसे बहस की तैयारी की सामग्री और संभावित उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों की प्रोफाइल चुराने की अनुमति मिल गई.
आरोप में कहा गया है कि उन्होंने जानकारी को मीडिया आउटलेट्स और राष्ट्रपति जो बाइडेन के अभियान को लीक कर दिया, जबकि वह अभी भी उम्मीदवार थे.
आरोपों में वायर फ्रॉड, आईडेंटिटि फ्रॉड और कंप्यूटर फ्रॉड शामिल हैं. अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने यह भी कहा कि वह ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के कई अन्य सदस्यों के साथ-साथ तीन लोगों पर भी प्रतिबंध लगा रहा है.
ट्रंप के कैंपेन ने अगस्त में कहा था कि इसे ईरान द्वारा हैक किया गया था. हालांकि उनकी ओर से कहा गया था कि अपराधी निजी जानकारी प्राप्त करने में सक्षम नहीं थे. हालांकि कई समाचार आउटलेट्स ने कहा है कि उन्होंने कैंपेन के उन आंतरिक दस्तावेजों को प्रकाशित करने से इनकार कर दिया, जो उन्हें पेश किए गए थे.
आरोप में कहा गया कि 27 जून को अपनी एकमात्र बहस के लिए दोनों उम्मीदवारों की मुलाकात से कुछ समय पहले जब बाइडेन अभियान के अधिकारियों को ट्रंप की बहस की तैयारी सामग्री की पेशकश की गई तो उन्होंने भी कोई जवाब नहीं दिया.
यह संयम 2016 के चुनाव के बिलकुल उलट है, जब डेमोक्रेट उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन के अभियान के हैक किए गए कम्युनिकेशन को व्यापक कवरेज मिला था.
इस मामले के जांचकर्ताओं का कहना है कि ईरानी हैकिंग टीम को एपीटी42 या चार्मिंग किटन के नाम से जाना जाता है. यह मोबाइल फोन पर निगरानी सॉफ्टवेयर रखने के लिए जानी जाती है जो कॉल रिकॉर्ड करने, टेक्स्ट चुराने और चुपचाप कैमरे और माइक्रोफोन शुरू करने के लिए जानी जाती है.
तीनों व्यक्ति इस समय ईरान में हैं और अमेरिकी कानून की पहुंच से बाहर हैं, लेकिन गारलैंड ने कहा कि न्याय विभाग ने अन्य अंतरराष्ट्रीय संदिग्धों को आरोप लगाए जाने के लंबे समय बाद सफलतापूर्वक पकड़ लिया है. उन्होंने कहा, "हम जीवन भर इन लोगों का पीछा करेंगे."
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