US President Elections 2020: अमेरिका में तीन नवंबर को रहे 46वें राष्ट्रपति चुनाव पर भारत समेत दुनिया भर की निगाहें हैं. क्या रिपब्लिकन प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) दोबारा जीत हासिल करेंगे या डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बाइडेन (Joe Biden) बाजी पलट देंगे. इसको लेकर मंगलवार रात से ही गूगल, टीवी चैनल से लेकर सोशल मीडिया तक धमक दिखेगी. आइए जानते हैं चुनाव से जुड़ी सारी बारीकियों को...
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मतदान कब शुरू होगा
अमेरिकी समयानुसार वोटिंग सुबह 6 बजे और भारतीय समयानुसार बुधवार दोपहर 3.30 बजे शुरू होगी. भारतीय समयानुसार अमेरिकी चुनाव में मतदान गुरुवार सुबह 6.30 बजे पूरा होगा. रिपब्लिकन प्रत्याशी (Republican President Candidate) डोनाल्ड ट्रंप औऱ डेमोक्रेट (Democrat Candidate) जो बाइडेन भी चुनाव वाले दिन ही वोट करेंगे.
मतगणना रात से शुरू होगी
अमेरिका में मतगणना (US Counting of votes) हर राज्य में चुनाव प्रक्रिया पूरी होते ही मंगलवार रात (भारत में बुधवार को) ही शुरू हो जाएगी. फ्लोरिडा (Florida), विस्कोंसिन (Wisconsin), पेनसिल्वेनिया जैसे कांटे की टक्कर वाले राज्यों में मतगणना कई हफ्तों तक खिंच सकती है.
यहां जान सकते हैं रुझान
BBC, CNN, एबीसी न्यूज, अलजजीरा, फ्रांस24 जैसे कई विदेशी समाचार चैनल अमेरिका चुनाव की पूरी प्रक्रिया का लाइव प्रसारण करने वाले हैं. इन चैनलों पर राज्यवार रुझान भी जारी होंगे.
परिणाम कब आएंगे- ऐसे समझिए
अमेरिकी चुनाव (US Election Results) में इस बार 23.9 करोड़ मतदाता हैं, लेकिन 3 नवंबर को मतदान के आधिकारिक पहले ही 9.2 करोड़ लोग पोस्टल बैलेट(Mail In Voting) या अर्ली वोटिंग (Early Voting)) )के जरिये वोट दे चुके हैं. यानी 38 फीसदी वोट पहले ही पड़ चुके हैं. यह 2016 के चुनाव का दो तिहाई से भी ज्यादा है.
नतीजों में हो सकती है देरी
पोस्टल बैलेट यानी डाक से भेजे गए मतपत्रों को खोलने, उनमें गलतियां देखने और छांटने में लंबा वक्त लग सकता है. ऐसे में स्पष्ट नतीजे आने में एक-दो हफ्ते लग सकते हैं.
नए राष्ट्रपति के लिए करीब दो माह का वक्त
अमेरिकी चुनाव का समय, नए राष्ट्रपति के शपथग्रहण (US President Oath Ceremony) से लेकर सब कुछ तय होता है. नवंबर में पहले सोमवार के बाद पड़ने वाले मंगलवार (इस बार 3 नवंबर) को ही चुनाव होता है. राष्ट्रपति 20 जनवरी को शपथ लेते हैं. ऐसे में नतीजे देरी से आए या अदालती विवाद हुआ तो दिक्कत नहीं होगी.
रिपब्लिकन औऱ डेमोक्रेट के बीच टक्कर
अमेरिकी चुनाव में प्रायः दो दलों रिपब्लिकन और डेमोक्रेट के बीच टक्कर होती है. रिपब्लिकन का चुनाव चिन्ह हाथी और डेमोक्रेट का गधा है. रिपब्लिकन को कंजरवेटिव या ग्रैंड ओल्ड पार्टी भी कहा जाता है और ग्रामीण इलाकों में उसकी पैठ है. जॉर्ज बुश, रोनाल्ड रीगन, रिचर्ड निक्सन रिपब्लिकन पार्टी से दिग्गज राष्ट्रपति हुए हैं. रिपब्लिकन धर्म, चर्च के अधिकारों के, हथियार रखने के समर्थक और गर्भपात विरोधी रहे हैं. डेमोक्रेटों का शहरों में दबदबा है.
दो उम्रदराज नेताओं के बीच मुकाबला
बराक ओबामा ने 2008 में 44 साल की उम्र में राष्ट्रपति बनकर इतिहास रचा था. इस बार मुकाबला 74 साल के डोनाल्ड ट्रंप और 78 साल के जो बाइडेन के बीच है. बाइडेन 8 साल ओबामा शासन में उप राष्ट्रपति रहे. बाइडेन ने कमला हैरिस (Kamala Harrsis) को उप राष्ट्रपति नामित किया है.
60-65 फीसदी मतदान का अनुमान
इलेक्शन प्रोजेक्ट जैसे चुनाव विश्लेषक एजेंसियों का अनुमान है कि 24 करोड़ में से मतदान 16-17 करोड़ के पार हो सकता है. यह करीब 60-65 फीसदी रह सकता है. इनमें से 40 फीसदी पोस्टल बैलेट (Postal Ballot) और चुनाव के दिन पड़े वोटों को गिनने में वक्त लगेगा.
राज्य अलग-अलग नतीजे जारी करेंगे
अमेरिका में 50 प्रांत हैं. भारत में एक साथ नतीजों के ऐलान से उलट अमेरिकी राज्यों में मतदान, पोस्टल बैलेट की गिनती और मतगणना के अलग-अलग नियम हैं. कुछ राज्यों ने पोस्टल बैलेट डाल चुके लोगों को भी इसे रद्द कराने और चुनाव वाले दिन 3 नवंबर को वोट करने का विकल्प दिया है. ऐसे चुनाव प्रक्रिया और जटिल हो गई है.
ज्यादा वोट पाने वाला राष्ट्रपति हो जरूरी नहीं
अमेरिका में जनता सीधे राष्ट्रपति नहीं चुनती, यानी जो पूरे देश में सबसे ज्यादा वोट पाए वह राष्ट्रपति घोषित हो यह जरूरी नहीं है. राष्ट्रपति का फैसला निर्वाचक वोटों से होता है. पूरे देश में 538 इलेक्टोरल कॉलेज (Electoral College) हैं. हर राज्य के अपने इलेक्टोरल कॉलेज तय हैं, जैसे कैलीफोर्निया में 55. कैलीफोर्निया (California) में जिस प्रत्याशी को सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे. उसे ये पूरे 55 निर्वाचक वोट मिल जाएंगे.
बहुमत का जादुई आंकड़ा
जैसे भारत में लोकसभा की 543 सीटों में से 272 का बहुमत का आंकड़ा होता है. उसी तरह अमेरिका में बहुमत के लिए किसी भी उम्मीदवार को 269 निर्वाचक वोटों का जादुई आंकड़ा पार करना होता है. उसे कम से कम 270 वोट मिलना जरूरी है.
ये राज्य होंगे निर्णायक
अमेरिका में फ्लोरिडा, विस्कोंसिन, मिशिगन, नार्थ कैरोलिना, पेनसिल्वेनिया और ओहायो के नतीजों को निर्णायक माना जा रहा है. फ्लोरिडा जैसे राज्य में 22 दिन पहले ही वोटों की गिनती शुरू हो गई, लेकिन विस्कोंसन में 24 पहले भी ऐसा नहीं हो सकेगा. बुश और अलगोर के चुनाव में फ्लोरिडा निर्णायक साबित हुआ था
मुकाबला बराबरी पर रहा तो
अमेरिका में कुल 538 निर्वाचक वोटों में दोनों प्रत्याशियों को 269-269 के बराबर निर्वाचक वोट भी मिल सकते हैं. ऐसे में मुकाबला बराबरी पर रह सकता है. ऐसा भी हो सकता है कि किसी प्रत्याशी को बहुमत न मिले. मगर इसमें दोबारा चुनाव की नौबत नहीं आएगी.
हाउस ऑफ रिप्रंजेटेटिव में होगा निर्णय
ऐसी स्थिति में अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा (House of Representatives) में बहुमत से निर्णय होता है कि कौन अगला राष्ट्रपति होगा. उप राष्ट्रपति पद के लिए सीनेट (US Senate ) में वोटिंग होती है.
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