अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2020 (US Presidential Elections 2020) में वोटिंग का दिन आने में अभी नौ दिन बचे हैं, लेकिन चुनाव से पहले होने वाली बैलट वोटिंग में ही 2016 वाले रिकॉर्ड टूट रहे हैं. एक स्वतंत्र वोट मॉनिटर संस्था ने रविवार को बताया कि इस बार जो अर्ली वोटिंग हो रही है, उसने 2016 में हुई बैलट वोटिंग के आंकड़े को पार कर लिया है. अमेरिका में 3 नवंबर को वोटिंग होनी है.
लाखों अमेरिकी कोरोनावायरस महामारी के बीच पोलिंग बूथ पर अपना बैलट वोट डालने के लिए जुट रहे हैं. बहुत से लोग वोट डालने के लिए पोलिंग बूथ पर जुट रहे हैं या फिर मेल से भेज रहे है. यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा की ओर से चलाए जा रहे स्वतंत्र US Election Project के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 59 मिलियन यानी पांच करोड़ नौ लाख से ज्यादा लोग अर्ली वोटिंग में अपना मतदान दे चुके हैं. US Election Assistance Commission की वेबसाइट के मुताबिक, 2016 में अर्ली वोटिंग या मेल से वोट डालने वालों की संख्या 57 मिलियन थी.
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अर्ली वोटिंग को बढ़ावा देने वाले डेमोक्रेट्स अब तक रेस में आगे चल रहे हैं, हालांकि, बाइडेन के पास अभी राहत की सांस लेने का वक्त नहीं है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड महीनों से बिना सबूत के दावे करते रहे हैं कि मेल-इन-बैलट से फ्रॉड होता है, ऐसे में बहुत से रिपब्लिकन्स चुनाव वाले दिन ही वोट डाल सकते हैं. हालांकि, Election Project के हेड माइकल मैकडॉनल्ड को यह रणनीति थोड़ी जोखिमभरी लगती है. वोटरों का मन बदलने या फिर चुनाव के दिन चुनावी प्रक्रिया में बाधा आने जैसी चुनौतियां होंगी.
Election Project ने अनुमान लगाया है कि इस बार का वोटर टर्नआउट 150 मिलियन रह सकता है. 2016 में 137 मिलियन बैलट वोटिंग हुई थी. 2020 के लिए अहम माने जा रहे कुछ राज्यों में भी रिकॉर्ड टूटते दिखाई दे रहे हैं. जैसे कि टेक्सास में इलेक्शन प्रोजेक्ट का कहना है कि यहां 2016 में जितनी वोटिंग हुई थी, उसकी 80 फीसदी वोटिंग अब तक हो चुकी है. टेक्सास में 1980 के बाद से तक रिपब्लिकन कैंडिडेट को सपोर्ट करने का ट्रेंड रहा है, लेकिन चुनावी पोल्स में दिख रहा है कि डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन, ट्रंप को पीछे छोड़ रहे हैं.
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