अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की कोलोराडो की सर्वोच्च अदालत के फैसले की अपील पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया. दरअसल कोलोराडो कोर्ट ने ट्रंप को पश्चिमी राज्य में राष्ट्रपति पद के प्राथमिक मतदान से रोक दिया है. कंजर्वेटिव मेजोरिटी वाले सुप्रीम कोर्ट, में पूर्व राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त तीन न्यायाधीश शामिल हैं. कोर्ट ने कहा कि वह 8 फरवरी को हाई-स्टेक चुनाव मामले में मौखिक दलीलें सुनेगा. पिछले महीने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यूएस कैपिटल पर 6 जनवरी, 2021 को किए गए हमले में उनकी भूमिका को रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के प्राथमिक मतदान में हिस्सा लेने से रोक दिया गया था.हालांकि यह आदेश सिर्फ कोलोराडो प्रांत के लिए ही दिया गया था. उसके बाद मेन में भी अदालत ने ट्रंप पर मतदान में शामिल होने पर रोक लगा दी थी.
ये भी पढ़ें-अरब सागर में हाईजैक हुए जहाज से नेवी कमांडोज ने सभी 15 भारतीयों को छुड़ाया | US ने कैसे कसी थी समुद्री डाकुओं पर नकेल?
2024 के रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के नामांकन के लिए डोनाल्ड ट्रंप का नाम सबसे आगे चल रहा है. ट्रंप के वकीलों ने इस हफ्ते की शुरुआत में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से मामले की सुनवाई करने और "कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने" की अपील की थी. उन्होंने कहा कि अगर कोलोराडो के फैसले को अगर कायम रहने दिया गया, तो यह अमेरिका के इतिहास में पहली बार होगा कि न्यायपालिका ने मतदाताओं को प्रमुख पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए मतदान करने से रोक दिया.
ट्रंप के वकीलों ने कहा, "अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने की पात्रता का प्रश्न उचित रूप से कांग्रेस के लिए आरक्षित है, न कि राज्य की अदालतों के लिए, जिस पर विचार और फैसला लिया जाए." 77 साल के ट्रंप ने मेन में शीर्ष चुनाव अधिकारी के उस फैसले के खिलाफ भी अपील दायर की है, जिसमें उन्हें पूर्वोत्तर राज्य में प्राथमिक मतदान से दूर रखने का आदेश दिया गया था.
ट्रंप के वकीलों ने मेन सुपीरियर कोर्ट से मेन सेक्रेटरी ऑफ स्टेट शेन्ना बेलोज़, डेमोक्रेट के फैसले को खारिज करने का अपील की, जिसमें उन्हें "पक्षपातपूर्ण फैसला लेने वाली" कहा गया. उन पर मनमाने और मनमौजी तरीके से काम करने का आरोप लगाया गया. बता दें कि कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट और मेन सेक्रेटरी ऑफ स्टेट दोनों ने फैसला सुनाया कि अमेरिकी संविधान में 14वें संशोधन की वजह से ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव में प्राथमिक मतदान में शामिल होने के लिए अयोग्य हैं.
14वें संशोधन की धारा तीन लोगों को सार्वजनिक पद संभालने से रोकती है. पहले वो लोग, जो एक बार संविधान का समर्थन और बचाव करने का वचन देने के बाद "विद्रोह या विद्रोह" में शामिल होते हैं. अमेरिकी गृह युद्ध के बाद 1868 में अनुमोदित संशोधन का मकसद गुलाम-धारक संघ के समर्थकों को कांग्रेस में चुने जाने या संघीय पदों पर रहने से रोकना था. ट्रंप की पात्रता के लिए इसी तरह की 14वें संशोधन की चुनौतियां अन्य राज्यों में भी दायर की गई हैं. मिनेसोटा और मिशिगन की अदालतों ने हाल ही में फैसला सुनाया कि ट्रंप को उन राज्यों में मतदान पर बने रहना चाहिए.
दक्षिणी राज्य में चुनाव परिणामों को कथित रूप से उलटने की साजिश रचने के लिए ट्रंप को जॉर्जिया में धोखाधड़ी के आरोपों का भी सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि मेन और कोलोराडो में राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन की प्रक्रिया 5 मार्च को होनी है, इसे "सुपर ट्यूजडे" भी कहा जाता है. इस दौरान कैलिफ़ोर्निया और टेक्सास समेत एक दर्जन से अधिक राज्यों में मतदाता मतदान के लिए जाते हैं.
ये भी पढ़ें-गर्लफ्रेंड को करोड़ों गिफ्ट करने वाला रवि काना कैसे बना कबाड़ माफिया? ढूंढ़ रही पुलिस
अमेरिका गए राहुल गांधी के बयान पर फिर बवंडर, चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उठाए सवाल
Edited by: श्वेता गुप्ताअमेरिका में वोट देने के तरीके को बदलने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप, भारत का उदाहरण देकर बताया क्या जरूरी
Written by: NDTV इंडियाकनाडा के PM मार्क कार्नी रविवार को करेंगे बड़ा ऐलान, इसके पीछे की वजह भी जानिए
Edited by: श्वेता गुप्ता© Copyright NDTV Convergence Limited 2025. All rights reserved.