यूनिवर्सिटी ऑफ़ वेस्ट ऑफ़ इंग्लैंड के सेंटर फॉर अपियरेंस रिसर्च की सीनियर फेलो डॉ हेलेना लुईस-स्मिथ ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप दुनिया में कहां हैं या आप कितने साल के हैं. आप रूढ़िवादी विचारों के अधीन होने के लिए बहुत कमजोर हैं. जो लोग दूसरों की तुलना में गहरे रंग के होते हैं उन्हें चिढ़ाया जाता है. भारत में हम परिवारों के बारे में भी बात करते हैं. लड़कियों को हमेशा अपने परिवार के दबाव का सामना करना पड़ता है.
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