त्रिपाठी ने कहा,'यह ध्यान में रखते हुए कि हम 15 भाषाओं में किताबें प्रकाशित करते हैं और हमारे साथ 2,500 से अधिक पुस्तक वितरक जुड़े हुए हैं, हमें उनकी मांगों को भी ध्यान में रखना होगा क्योंकि उनकी आजीविका इस पर निर्भर है.’’
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री के साथ सांसद गोपाल जी ठाकुर, विधान परिषद हरि सहनी, विधायक पवन यादव, यात्रा के संयोजक अर्जित चौबे, श्रीराम कर्मभूमि न्यास सिद्धाश्रम बक्सर के अध्यक्ष कृष्णकांत ओझा, अविरल चौबे, विनोद ओझा आदि उपस्थित थे.
भगवान राम की ससुराल मिथिला मानी जाती है, शुभ काम में ससुराल से अनाज मिठाई और अंग वस्त्र पहुंचाने की परंपरा सदियों से रही है.
मुख्यमंत्री योगी ने प्रदेशभर के ग्राम प्रधानों और पंचायत प्रतिनिधियों से कहा कि रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले विशेष स्वच्छता अभियान में भावना के साथ जुड़कर पूरे देश को एक नया संदेश दिया जाना चाहिए.
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा 7,000 से अधिक अतिथियों को आमंत्रित किया गया है, जिनमें विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिष्ठित हस्तियां और देश भर से बड़ी संख्या में साधु-संत शामिल हैं.
इससे पहले विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल से पूछा गया कि क्या सपा प्रमुख अखिलेश यादव को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए निमंत्रण भेजा गया हैं ? इस पर उन्होंने जवाब दिया, ‘‘निमंत्रण उन तक पहुंचा है, या नहीं, यह मैं नहीं कह सकता लेकिन निमंत्रण सूची में उनका नाम है.’’
राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल होंगे. समारोह का सीधा प्रसारण किया जाएगा.
हिंदुत्व के एजेंडे को चुन कर बीजेपी ने विहिप और संघ के साथ नई रणनीति पर काम शुरू किया. 1984 में रामजन्मभूमि (Ayodhya Ram Janam Bhoomi) मुक्ति का संकल्प लिया गया. इसी के साथ रामजन्मभूमि यज्ञ समिति का गठन किया गया था.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की कुलपति शांतिश्री डी पंडित ने भगवान राम को एकजुट करने वाली शक्ति करार देते हुए कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भारत के सभ्यतागत इतिहास के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए महत्वपूर्ण है और यह देश में एक आदर्श बदलाव लाएगा. डॉ पंडित ने ऐसा माहौल बनाने की भी वकालत की, जहां किसी को भी किसी अन्य के मत/मजहब का अपमान नहीं करना चाहिए.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दस्तावेजों के आधार पर कहा कि बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी के दावें पूरी तरह से गलत हैं. नेहरू पूरी तरह से पारदर्शी थे. वो अपने पीछे लिखित रिकॉर्ड छोड़ गए थे.